भारत में नागरिकता साबित करने का मुद्दा हाल के दिनों में चर्चा का विषय बना हुआ है, खासकर बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची संशोधन और अवैध प्रवासियों की जांच के संदर्भ में। कई लोग आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड या राशन कार्ड को नागरिकता का प्रमाण मान लेते हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर इन दस्तावेजों की स्थिति क्या है? आइए जानते हैं।
यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड केवल पहचान और निवास का प्रमाण है, न कि नागरिकता का। यह किसी भी व्यक्ति को जारी किया जा सकता है जो भारत में रहता हो, चाहे वह भारतीय नागरिक हो या नहीं।
वोटर आईडी कार्ड (EPIC) भारत में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के नागरिकों को वोट देने के लिए जारी किया जाता है। यह पहचान और निवास का प्रमाण देता है, लेकिन अकेले यह नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं माना जाता। हालांकि, दिल्ली पुलिस और कुछ सरकारी एजेंसियों ने इसे पासपोर्ट के साथ नागरिकता के वैध प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है।
पैन कार्ड आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है और यह केवल वित्तीय पहचान का प्रमाण है। इसे नागरिकता साबित करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
राशन कार्ड का उपयोग मुख्य रूप से सब्सिडी वाले राशन के लिए होता है, लेकिन इसमें नाम और पते की जानकारी होती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से नागरिकता का समर्थन कर सकती है। हालांकि, यह भी नागरिकता का पक्का प्रमाण नहीं है।
हाल ही में दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार ने अवैध प्रवासियों, खासकर बांग्लादेशी और रोहिंग्या समुदाय के लोगों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के उपयोग को रोकने के लिए नियम सख्त किए हैं। अब केवल वोटर आईडी और पासपोर्ट को ही प्राथमिक रूप से नागरिकता के प्रमाण के रूप में माना जा रहा है।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मतदाता सूची संशोधन (SIR) के लिए अकेले दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से इन दस्तावेजों को 11 सांकेतिक दस्तावेजों की सूची में शामिल करने पर विचार करने को कहा है।
Published on:
31 Jul 2025 08:52 am