Stray Dog Crisis in India: मुंबई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक आवारा कुत्ता एक आलीशान कार लैम्बोर्गिनी हरीकेन (Mumbai Dog Blocks Lamborghini in Viral Video) का रास्ता रोक रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस वीडियो पर लोग तरह-तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। कुछ लोग वीडियो वाले कुत्ते को सड़कों का असली मालिक, सड़कों का राजा तो कुछ लोग डॉगेश कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो आपका मनोरंजन कर सकते हैं लेकिन असली जीवन में यह स्थिति बच्चों और बूढ़े लोगों के लिए असुरक्षा के हालात पैदा करता है। इस वीडियो को लेकर दो तीन भी सवाल उठ रहे हैं। आइए, हम यह जानने समझने की कोशिश करते हैं कि कुत्ते और इंसानों की टकराहट को कैसे कम किया जा सकता है।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) के नियमों के अनुसार, पालतू कुत्तों को निजी संपत्ति माना जाता है। यही वजह है कि पालतू कुत्तों के टीकाकरण और उनके प्रजनन को नियंत्रित करने से जुड़े मुद्दे उनके संरक्षक की ज़िम्मेदारी होती है। वहीं आवारा कुत्तों के मामले में एबीसी के नियमों के अनुसार, आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण की जिम्मेदारी नगर पालिकाओं के माथे है। हालांकि, इस मद में धन की कमी और कर्मचारियों का टोटा बने रहने से इन नियमों का पालन मुश्किल हो जाता है।
भारत में आवारा कुत्तों के फीडिंग को लेकर कोई नियम नहीं है। यही वजह है कि इंसानी आबादी के बीच वह बसर करने को मजबूर होते हैं। कुत्तों के फीडिंग को लेकर कोई नियम नहीं होने से कुत्ता प्रेमी उन्हें खाना मुहैया कराते हैं जबकि कुछ लोग इसका विरोध करते हुए अक्सर देखे जा सकते हैं। यह कुत्ता और इंसानों के बीच टकराहट के साथ साथ इंसानों के बीच भी टकराहट पैदा करता है। हालांकि मोहल्लों में घूमने वाले पशुओं के आहार से संबंधित पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 (ABC) के नियम 20 में कहा गया है, "उस क्षेत्र के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन या स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि की यह ज़िम्मेदारी होगी कि वे परिसर या उस क्षेत्र में रहने वाले सामुदायिक पशुओं के आहार की आवश्यक व्यवस्था करें, जिसमें उस क्षेत्र या परिसर में रहने वाला व्यक्ति, जैसा भी मामला हो, शामिल हो, जो उन पशुओं को आहार देता है या देने का इरादा रखता है और दयालुता के साथ आवारा पशुओं की देखभाल करता है।" इसमें आहार के संदर्भ में क्षेत्र में रहने वाले मनुष्यों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के प्रावधान भी शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कई निर्णयों ने एबीसी नियमों की वैधता को बरकरार रखा है।
20K Dies by Rabies in India: भारत में बेघर पालतू सूचकांक 2023 (Pet Homelessness Index of India) रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 6.2 करोड़ आवारा कुत्ते हैं। वर्ष 2023 में कुत्ता काटने के 30 लाख मामले सामने आए जबकि 2022 में करीब 22 लाख मामले सामने आए। यह मामला 2019-2022 में कुत्ता काटने के 1.6 करोड़ मामलों की तुलना में 2023 और 2024 में मामलों में कमी आई है लेकिन यह हालत भी चिंताजनक है। वहीं अगर हम रेबीज से होने वाली मौतों के आंकड़ों पर गौर करें तो उस मामले में भारत की हालत डराने वाली है। दुनिया में रेबीज से मौत के 36 फीसदी मामले भारत में होते हैं। यहां हर साल रेबीज से कई मौतें हो जाती हैं। भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक देश को रेबीज से मुक्ति (Rabies free India by 2030) दिलाने का लक्ष्य रखा है।
Rabies Free Countries List: भारत को आवारा या पालतू कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए नीदरलैंड से सीख लेने की जरूरत है। वहां की सरकार ने आवारा कुत्तों को लेकर 1990 के दशक में नियम बनाए और उसका सख्ती से पालन भी करवाया। नीदरलैंड में पालतू जानवरों के लिए 'इकट्ठा करो, बधिया करो, टीका लगाओ और वापस करों की नीती लागू की गई। इसके साथ ही सरकारी तौर पर पालतू जानवरों का समय-समय पर चिकित्सा परीक्षण भी कराया जाता है। यह काम सरकारी कर्मचारियों के जिम्मे होता है। इस नीति के चलते नीदरलैंड पूरी तरह से आवारा कुत्तों और रेबीज की समस्या से पूरी तरह से मुक्ति पा चुका है।
नीदरलैंड के अलावे ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, आइसलैंड समेत कई देश रेबीज से मुक्ति पा चुके हैं।
नीदरलैंड में सरकार ने पालतू जानवरों की खरीद पर भारी कर लगाना शुरू कर दिया। इस नियम के लागू होते ही जानवर प्रेमी बड़ी संख्या में शैल्टर होम पहुंचने लगे। इसके चलते लोग आवारा कुत्तों को गोद लेने लग गए। वहीं दूसरी ओर सरकार ने देश में पशु क्रूरता के खिलाफ कठोर कानून बनाए। पालतू जानवरों को खुला छोड़ने की स्थिति में भारी जुर्माना लगाया जाने लगा। पशु क्रूरता के जुर्म में तीन साल तक की कैद का कानून बनाया और उसे सख्ती से लागू किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि नीदरलैंड में आज कुत्तों के काटने की घटना न्यूनतम होती चली गई और रेबीज से मौत की संख्या शून्य तक पहुंच चुकी है।
डॉ. नवनीत के अनुसार, रेबीज एक वायरल इन्फेक्शन जनित रोग है जो Lyssavirus नामक एक वायरस से होता है। यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार में पाया जाता है। इन जानवरों, विशेषकर कुत्ते के द्वारा काटने या खरोंच मारने पर यह वायरस उसकी लार के द्वारा व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट कर जाता है। अब इसके बाद अगर समय रहते इसका मुकम्मल इलाज न किया जाये तो यह शर्तिया मृत्यु का कारण बनता है। भारत में 95% केस संक्रमित कुत्ते के काटने से होते हैं। अगर किसी को कुत्ता काट ले तो उसे झाड़ या फूंक मारने वाले बाबा की बजाय किसी फिजिशियन से संपर्क करके अपना उपचार शुरू करवा देना चाहिए
Updated on:
29 Jul 2025 01:41 pm
Published on:
17 Jul 2025 04:04 pm