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नाजिर-चपरासी ने मिलकर किया 2.23 करोड़ से अधिक का गबन

-वर्ष 2018-19 से कर रहे थे कार्यालयीन कार्यों में वित्तीय गड़बडिय़ां, कोषालय की जांच में उजागर हुई, प्रभारी तहसीलदार की रिपोर्ट पर दर्ज हुआ केस

नाजिर-चपरासी ने मिलकर किया 2.23 करोड़ से अधिक का गबन
नाजिर-चपरासी ने मिलकर किया 2.23 करोड़ से अधिक का गबन

नर्मदापुरम. जिले के डोलरिया में तहसील कार्यालय में पद का दुरुपयोग कर मोटी सरकारी राशि का गबन उजागर हुआ है। सरकारी योजनाओ में किसान, मृतक परिजन समेत अन्य हितग्राहियों की करीब 2 करोड़ 23 लाख 33 हजार 863 रुपए की राशि वित्तीय वर्ष 2018-19 से लेकर चालू वर्ष 2023 के बीच में डकार ली गई। उक्त राशि को दोनों कर्मचारियों ने अपने बेटे-पत्नी व रिश्तेदारों के खातों में भी उक्त राशि ट्रांसफर कर ली और उसका दुरूपयोग भी किया। पुलिस ने प्रभारी तहसीलदार ऋतु सालवे की रिपोर्ट पर आरोपी नाजिर अमित लौवंशी एवं भृत्य आशीष कहार के खिलाफ धारा 409 आईपीसी का केस दर्ज कर विवेचना में लिया है। दोनों आरोपियों ने ये अनियमितता विभिन्न माध्यमों एवं प्रकारों से करते हुए शासन को ही करोड़ों का चूना लगा डाला। पुलिस केस दर्ज करने के बाद से दोनों की तलाश कर रही है। दोनों कर्मचारी आपराधिक कार्रवाई के बाद से तहसील कार्यालय में ड्यूटी पर नहीं पहुंच रहे। पुलिस इन्हें फरार बता रही है। सरकारी राशि के उक्त गबन का मामला जिला कोषालय नर्मदापुरम की जांच में सामने आया है।


किसान और मृतकों के नाम से डकारी राशि
पुलिस की प्रारंभिक जांच में ये बात सामने आई है कि विभिन्न सहायता योजनाओं में किसान और मृतकों को दी जाने वाली राशि को हितग्राहियों, उनके आश्रित परिवारों को न देते हुए खुद ही डकार लिया गया। इसमें सर्प दंश सहित अन्य प्रकार की सहायता राशि शामिल बताई जाती है। उक्त राशि को पांच सालों के भीतर कई बार आहरित कर हड़प लिया गया। उक्त गंभीर मामले के सामने आते ही डोलरिया तहसील कार्यालय सहित जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। इसमें मुख्य आरोपी व्दितीय श्रेणी लिपिक है जो कि नाजिर का काम करता है। उसने चपरासी के साथ मिलकर उक्त राशि का गबन किया।

एक बार के बाद कई बार तैयार किए कागज
दोनों आरोपी कर्मचारियों ने बड़े ही चालाकी से ये गबन किया है। हितग्राहियों को एक बार राशि का भुगतान करने के बाद उसी नाम से कई बार फिर खुद ही कागज तैयार कर राशि को भी बिना समक्ष अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार से मंजूरी लिए बिना ही आहरित कर हड़प लिया और राशि को अपने पुत्र-पत्नी, रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर इसका उपयोग खुद के लिए कर लिया। इसमें तहसीलदार के खुद ही हस्ताक्षर कर व सील लगाकर निकाल ली।

छह तहसीलदार भी नहीं पकड़ सके गड़बड़ी
हैरत की बात ये है कि इतने आर्थिक गबन को यहां पदस्थ रह चुके छह तहसीलदार भी नहीं पकड़ सके। इसके ये भी कारण बताया जा रहा है कि तहसीलदारों के बार-बार बदलाने, उनके ट्रांसफर-प्रभार को बदल दिए जाने से भी यह गबन होता रहा। किसी को भी इसकी जानकारी नहीं लग पाई। ऑडिट तक में नहीं पकड़ सके। एक ही खाते में बार-बार राशि आहरित होने की गड़बड़ी को सेंट्रल पोर्टल ने पकड़ा। खातों की सूची कलेक्टर कार्यालय को भेज जांच के आदेश हुए जिसमें कोषालय की जांच में गबन सामने आया।

भोपाल से आई टीम ने की थी जांच
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के निर्देश एवं भोपाल से आई लेखाधिकारियों की विशेष टीम ने बीते माह उक्त मामले की जांच-पड़ताल की। जांच लंबी चली। जिसके उपरांत पाया गया कि नाजिर का काम देख रहे बाबू अमित लौवंशी व भृत्य आशीष कहार ने मिलकर बेटे-पत्नी और रिश्तेदारों के अलग-अलग बैंक खातों में टुकड़े-टुकड़े में करीब 2 करोड़ 23 लाख 33 हजार 663 रुपए की इतनी बड़ी सरकारी राशि निकाल ली।

इनका कहना है...
कोषालय की जांच में यह मामला सामने आया है। प्रभारी तहसीलदार की रिपोर्ट पर तहसील कार्यालय में पदस्थ आरोपी कर्मचारी नाजिर एवं भृत्य के खिलाफ गबन का आपराधिक प्रकरण दर्ज कर विवेचना की जा रही है। प्रकरण में शासकीय कार्य में घोर लापरवाही एवं अनियमितता के साथ शासकीय राशि का कपटपूर्ण आहरण कर शासन को 2 करोड़ 23 लाख 33 हजार 863 रुपए की वित्तीय हानि पहुंचाई है। जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।
-खुमान सिंह पटेल, थाना प्रभारी डोलरिया जिला नर्मदापुरम

सिवनीमालवा में भी पकड़ा चुका है 1.09 करोड़ की हेराफेरी
जिले के सिवनीमालवा में भी 1 करोड़ 9 लाख का गबन पकड़ा चुका है। यहां जनपद पंचायत के सहायक लेखा अधिकारी सतीष उपाध्याय ने यह हेराफेरी कर डाली थी। स्वयं, पत्नी और रिश्तेदारों के बैंक खातों में शासकीय राशि का ट्रांसफर कर लिया था। इस मामले की जांच में भी राशि का दुरुपयोग किया गया था। यह राशि भी पांच साल में कई बार में हड़प लिया गया था। सीईओ से शिकायत के बाद यह गबन उजागर हुआ। इसमें भी सहायक लेखाधिकारी के खिलाफ आर्थिक गड़बड़ी का आपराधिक प्रकरण दर्ज होकर विवेचना में चल रहा है। इसमें जिला पंचायत के लेखापाल सवाई सिंह भाटी ने कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ के आदेश पर बीते अप्रेल माह में एफआईआर दर्ज करवाई थी।