नागौर. शहर के रामदेव पित्ती अस्पताल भवन में संचालित जेएलएन राजकीय अस्पताल की एमसीएच विंग की टीम ने 67 दिन तक सतत चिकित्सा, पोषण प्रबंधन, ऑक्सीजन सपोर्ट, संक्रमण नियंत्रण और मां के दूध की निरंतर व्यवस्था से तीन जुड़वा बच्चों को जीवनदान दिया है। आज तीनों को डिस्चार्ज किया जाएगा। अब तीनों बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हो चुका है और उनका वजन सुरक्षित स्तर तक बढ़ चुका है। चिकित्सकों की देखरेख में अब वे स्वस्थ हैंं।
एमसीएच प्रभारी डॉ. मूलाराम कड़ेला ने बताया कि जेएलएन अस्पताल, नागौर के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) ने एक बार फिर अपनी उत्कृष्ट सेवाएं देकर नवजात शिशु चिकित्सा सेवा के लिए मिसाल कायम की है। टीम ने अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती तीन जुड़वां बच्चों (ट्रिप्लेट्स) को सफलतापूर्वक जीवनदान दिया है। ये बच्चे बेहद कम वजन के साथ शहर के निजी अस्पताल में जन्मे थे।
तीनों का वजन था एक किलो से कम
गत 11 फरवरी को जब इन नवजातों को अस्पताल के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट में भर्ती किया गया, तब उनके वजन क्रमश: मात्र 910 ग्राम, 930 ग्राम और 960 ग्राम था। इस प्रकार के अल्पवजनी नवजात शिशुओं के जीवन को बचाना एक अत्यंत जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, जिसमें विशेष देखभाल, तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधनों की आवश्यकता होती है। अस्पताल की एसएनसीयू टीम ने न सिर्फ इन नवजात बच्चों की गहन देखभाल प्रदान की, बल्कि विशेष रूप से उनके फेफड़ों की स्थिति को सुधारने के लिए ‘सर्फेक्टेंट’ थेरेपी का उपयोग किया। यह इलाज निजी अस्पतालों में अत्यधिक महंगा होता है, लेकिन जेएलएन अस्पताल में यह सेवा नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई।
निगरानी में रखा 67 दिन
डॉ. कड़ेला ने बताया कि लगभग 67 दिन की सतत चिकित्सा, पोषण प्रबंधन, ऑक्सीजन सपोर्ट, संक्रमण नियंत्रण और मां के दूध की निरंतर व्यवस्था के कारण अब तीनों बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हो चुका है और उनका वजन सुरक्षित स्तर तक बढ़ चुका है। चिकित्सकों की देखरेख में अब वे स्वस्थ हैं। इस उल्लेखनीय उपलब्धि के पीछे अस्पताल के नवजात विशेषज्ञ डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ की संयुक्त मेहनत और समर्पण है। एसएनसीयू टीम ने बताया, ‘यह केस हमारी टीम के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था, तीनों बच्चों की स्थिति अब स्थिर है और उनका विकास सामान्य रूप से हो रहा है।’
Published on:
17 Apr 2025 10:27 pm