नागौर. आजकल हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्ट फोन है, चाहे वह शिक्षित है या फिर अनपढ़। अंग्रेजी तो दूर हिन्दी के मैसेज भी पढऩे नहीं आते, लेकिन हाथ में स्मार्ट फोन है। उसके फोन नम्बर बैंक खाते से जुड़े हुए हैं। उपभोक्ता की इसी अज्ञानता का फायदा उठाकर साइबर ठग रोजाना करोड़ों रुपए की ठगी को अंजाम दे रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक तरफ आईआईटी, बीटेक किए हुए एक्सपर्ट साइबर ठग हैं, जो अच्छे-अच्छों को अपने जाल में फंसा लेते हैं और दूसरी तरफ साइबर क्राइम के बारे में सामान्य समझ भी नहीं रखने वाले उपभोक्ता। इन्हें ठगी का शिकार बनाना साइबर ठगों के बाएं हाथ का खेल है। यही वजह है कि नागौर सहित प्रदेश में साइबर अपराधों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि साइबर क्राइम पोर्टल के माध्यम से वर्ष 2024 में 107.06 करोड़ रुपए व वर्ष 2023 में 39.29 करोड़ रुपए की राशि संदिग्ध अपराधियों/व्यक्तियों के खातों में पुलिस ने होल्ड करवाई। यह तो वह आंकड़ा है जो पुलिस तक पहुंचा, इससे कई गुना राशि के मामले पुलिस तक पहुंच ही नहीं पा रहे हैं।
पुलिस हुई सतर्क, आमजन को जागरूक होने की जरूरत
पुलिस विभाग के अनुसार एक अप्रेल 20224 से राष्ट्रीय साइबर अपराध हैल्पलाइन नम्बर 1930 के गठन के बाद साइबर अपराध की रोकथाम के लिए फरवरी 2025 तक कुल 2,52,046 फर्जी मोबाइल नम्बर (सिम) एवं 2,34,243 मोबाइल आइएमइआइहैण्डसेट ब्लॉक करवाए गए।
वर्ष वार ब्लॉक करवाए गए सिम व हैण्डसेट
वर्ष - सिम ब्लॉक - मोबाइल आइएमइआइ ब्लॉक
2021 - 1454 - 127
2022 - 1,02,244 - 1,11,823
2023 - 1,01,854 - 1,05,554
2024 - 46,494 - 16,739
पुलिस विभाग ने बढ़ाई टेकिंग लाइंस
राज्य सरकार के गृह विभाग ने विधानसभा में लगाए गए एक सवाल के जवाब में बताया कि 15 अक्टूबर 2024 से पहले तक प्रदेश में साइबर क्राइम हैल्पलाइन 1930 पर 7 कॉल टेकिंग लाइंस थी, जिसकी कॉल रिसीव कर शिकायत निवारण करने की सफलता दर 33 प्रतिशत थी। वर्तमान में 1930 साइबर क्राइम हैल्पलाइन पर 25 कॉल टेकिंग लाइंस है, जिनकी कॉल रिसीव कर शिकायत निवारण करने की सफलता दर फरवरी 2025 में बढकऱ 69 प्रतिशत हो गई है।
यह सबसे बड़ी चुनौती
सरकार ने प्रदेश में 36 साइबर पुलिस थाने खोले हैं, लेकिन ज्यादातर में न तो पूरा स्टाफ है और न ही एक्सपर्ट और संसाधन। ऐसे में साइबर क्राइम के मामले बहुत कम संख्या में खुल पाते हैं। नागौर सहित कई जगह तो साइबर थाने दूसरे भवनों में संचालित हैं। नागौर के साइबर पुलिस थाने में कुल 15 पद स्वीकृत है, जिसमें एक डीएसपी, एक सीआई, तीन एसआई, दो हैड कांस्टेबल, छह कांस्टेबल व दो सिविल पोस्ट के पद शामिल हैं, लेकिन स्टाफ आधा भी नहीं है। खासकर अधिकारियों के पद ज्यादातर समय खाली रहते हैं। साइबर थाने में कोई भी अधिकारी रहना नहीं चाहता।
इस प्रकार बच सकते हैं साइबर ठगों से
- मोबाइल नंबर और आइएमइआइ की सुरक्षा: मोबाइल उपभोक्ताओं को अपने मोबाइल नंबर और आइएमइआइ की सुरक्षा के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
- अनजान नंबरों से सावधानी: मोबाइल उपभोक्ताओं को अनजान नंबरों से सावधानी बरतनी चाहिए और अनजान नंबरों से आने वाले कॉल और मैसेज का जवाब नहीं देना चाहिए।
- पुलिस में शिकायत: यदि मोबाइल उपभोक्ता साइबर ठगी का शिकार होते हैं, तो उन्हें तुरंत पुलिस में शिकायत करनी चाहिए।
अवेयरनेस का बड़ा रोल
साइबर क्राइम एक ऐसा अपराध है, जिसमें अवेयरनेस का बहुत बड़ा रोल है। आमजन साइबर क्राइम को लेकर जागरूक हो तो 90 प्रतिशत क्राइम रोका जा सकता है। जन जागरुकता को लेकर जिला पुलिस की ओर से बड़ा अभियान चलाया जाएगा। हमने भरतपुर में ऑपरेशन एंटी वायरस चलाया था, वहां की सीख का यहां एप्लाई करने का प्रयास करेंगे।
- मृदुल कच्छावा, पुलिस अधीक्षक, नागौर।
Published on:
28 Jul 2025 11:28 am