नागौर. जिले के 80 फीसदी सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर अवस्था में हैं और स्कूल शिक्षा विभाग आदेश जारी कर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को विद्यार्थियों एवं विद्यालयी स्टाफ की व्यापक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं। एक तो सरकारी विद्यालयों में बच्चों के बैठने के लिए पूरा भवन नहीं और ऊपर से बारिश के सीजन में जर्जर भवनों में बैठकर पढऩा और पढ़ाना खतरे से खाली नहीं है। पिछले सालों में सरकारी स्कूलों में हुए हादसों के बाद सरकार ने विद्यालय भवनों की मरम्मत के लिए बजट देने की बजाए इस प्रकार के आदेश निकालना शुरू कर दिया, जिसके तहत संबंधित संस्था प्रधानों एवं पीईईओ/यूसीईईओ के माध्यम से उनके अधीन विद्यालयों के संबंध में सुरक्षा के प्रमाण पत्र लिए जा रहे हैं, ताकि हादसा होने पर ठीकरा उनके माथे पर फोड़ा जा सके। जबकि हकीकत यह है कि ज्यादातर सरकारी स्कूलों के भवन काफी पुराने होने से जर्जर हो चुके हैं और उनेक संस्था प्रधान लम्बे समय से मरम्मत व नया भवन बनाने के लिए बजट की मांग कर रहे हैं।
दानदाताओं से सहयोग लेने के निर्देश
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में लगभग सभी सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हैं। किसी की छत टपक रही है तो किसी की छत जीर्ण-शीर्ण होने से प्लास्टर गिरता रहता है। कहीं दीवारों में दरारें हैं तो कहीं पानी के टांके जर्जर हो गए हैं। किसी स्कूलका बरामदा जर्जर है तो किसी की रसोई और शौचालयों को मरम्मत की दरकार है, जिसको लेकर पिछले लम्बे समय से बजट की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार बजट देने की बजाए दानदाताओं से सहयोग लेकर मरम्मत कराने के लिए बोल दिया जाता है। जबकि कोई भी दानदाता मरम्मत के लिए दान देने की बजाए नया भवन बनाने पर जोर देता है, ताकि उस पर उसका नाम लिखा जा सके।
बजट दिया, लेकिन टीकी जितना
माध्यमिक शिक्षा विभाग के वित्तीय सलाहकार संजय धवन की ओर से 14 जुलाई को जारी दो आदेश के तहत प्रदेश की मात्र 109 स्कूलों के लिए एक करोड़,75 लाख, 93 हजार रुपए का बजट जारी किया है, जिससे जर्जर भवनों की सामान्य मरम्मत, शौचालय, क्षतिग्रस्त चार दीवारी मरम्मत तथा रंग रोगन आदि करवानी है। जबकि हालात यह हैं कि जिले में ही इससे अधिक विद्यालय जर्जर हैं, ऐसे में यह बजट ‘टीकी’ लगे जितना मात्र भी नहीं है।
संस्था प्रधानों ने लगाई पत्रों की झड़ी
शिक्षा विभाग की ओर से विद्यार्थियों एवं विद्यालयी स्टाफ की सुरक्षा को लेकर जारी आदेश के बाद संस्था प्रधानों ने जर्जर भवनों की मरम्मत को लेकर उच्चाधिकारियों को पत्र लिखने शुरू कर दिए हैं। पिछले तीन दिन में सैकड़ों पत्र जिला मुख्यालय के अधिकारियों को प्राप्त हुए हैं, जिनमें संस्था प्रधानों व पीईईओ ने भवन की मरम्मत के लिए बजट की मांग करते हुए वस्तु स्थिति से अवगत कराया है। कुछ ने तो विद्यालय विकास समिति की बैठक लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव भिजवाएं हैं।
शिक्षा विभाग के फरमान
राजस्थान सरकार स्कूल शिक्षा विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने गत दिनों एक आदेश जारी किया, जिसमें विभाग के समस्त संयुक्त निदेशक, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी एवं संभागीय संसकृत शिक्षा अधिकारी, संस्कृत शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि आगामी मानसून को मध्यनजर रखते हुए विद्यार्थियों और विद्यालयी स्टाफ की व्यापक सुरक्षा व्यवसथा के लिए दिशा-निर्देशों की पालना करवाया जाना सुनिश्चित करें। जो इस प्रकार हैं -
- विद्यालयों में जल स्त्रोत के क्षतिग्रस्त जर्जर अथवा खुला होने पर दुर्घटना को आशंकित करता है, संरथाप्रधान की ओर से उसका शीघ्र समाधान करवाया जाए।
- कुएं टैंक आदि अन्य जल स्त्रोतों के पास जाने के लिए विद्यर्थियों को प्रतिबंधित किया जाए। विद्यालय परिसरों में जल निकासी की उचित व्यवस्था की जाए।
- यह सुनिश्चित करें कि कक्षा-कक्ष की छत सुरक्षित हो, उसमें सीलन, पानी टपकना, प्लास्टर, पट्टी आदि क्षतिग्रस्त ना हो, यदि है तो, विद्यार्थियों को वहां नहीं बैठाया जाए।
- बिजली की वायरिंग और प्वॉइंट को व्यवरिथत रखा जाए। खुले तार पाए जाने की स्थिति में उनकी टेपिंग कराई जाए तथा विद्यार्थियों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए।
- पीईईओ/यूसीईईओ के माध्यम से उनके अधीन विद्यालयों के संबंध में एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत कराएं, कि उनके परिक्षेत्र में सभी विद्यालयों का निरीक्षण कर लिया गया है, विद्यालय परिसर सुरक्षित है तथा सुरक्षा मानकों में कमी को दूर कर लिया गया है।
Updated on:
20 Jul 2025 11:57 am
Published on:
20 Jul 2025 11:56 am