नागौर. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फसल खराबा होने के बावजूद यदि निर्धारित तिथि के 21 दिन में किसानों को क्लेम नहीं दिया गया तो बीमा कम्पनी पर 12 प्रतिशत ब्याज की पेनल्टी लगाई जाएगी। इसके साथ यदि राज्य सरकार ने बीमा प्रीमियम का शेयर समय पर नहीं दिया तो सरकार पर भी 12 प्रतिशत ब्याज लगाया जाएगा और ब्याज की राशि किसानों के खाते में जमा होगी। यह जानकारी केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में मंगलवार को सांसद हनुमान बेनीवाल के सवालों का जवाब देते हुए दी। कहा कि अगर बीमा कंपनी किसान को 21 दिनों में किसान को उसके निर्धारित हिस्से का क्लेम नहीं देती है मंत्री सिंह ने कहा कि कई बार राज्य सरकार अपने हिस्से का शेयर समय पर नहीं देती है, जिसके कारण किसान का क्लेम अटक जाता है। इसलिए अब केन्द्र सरकार अपना शेयर पहले ही जमा करवा देगी और यदि राज्य सरकार ने निर्धारित अवधि तक अपना शेयर जमा नहीं कराया तो 12 प्रतिशत ब्याज की पेनल्टी राज्य सरकारों पर भी लगाई जाएगी।
गौरतलब है कि राज्य सरकार हर बार अपने हिस्से की प्रीमियम राशि एक-एक साल तक जमा नहीं करवाती है, जिसके कारण किसानों को एक-डेढ़ साल तक बीमा क्लेम नहीं मिलता है। खरीफ 2024 का प्रीमियम शेयर भी राज्य सरकार ने अब तक जमा नहीं कराया है, इसको लेकर राजस्थान पत्रिका ने गत 25 जून को ‘फसल बीमा योजना के सारे नियम कायदे सिर्फ किसानों पर लागू, नियमों की आड़ में बीमा कम्पनी की मनमानी’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर सरकार एवं जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट किया था। पत्रिका ने समाचार के माध्यम से बताया कि एक साल बीतने के बावजूद राज्य सरकार ने प्रीमियम शेयर नहीं दिया है, जिसके कारण किसानों को एक साल बद भी अब क्लेम नहीं मिला है, जबकि नियम 21 दिन में देने का है। इसको लेकर सांसद बेनीवाल ने मंगलवार को लोकसभा में कृषि मंत्री से सवाल पूछा।
बीमा योजना में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर किसानों के हित से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे और फसल बीमा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने बीमा प्रणाली में सुधार की मांग उठाई। सांसद ने कहा कि योजना के तहत पिछले 5 वर्षों में किसानों को जो क्लेम दिया गया है, वो राशि न तो नुकसान की भरपाई करती है और न ही इस योजना के दावों पर खरी उतरती है। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा न सिर्फ योजना की असफलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि एक किसान को फसल बर्बादी की स्थिति में बहुत कम क्लेम मिलता है।
रिमोट सेंसेसिंग से करेंगे फसल की क्षति का आंकलन
बेनीवाल ने पूरक सवाल करते हुए बीमा कम्पनियों के सर्वेयर की कम संख्या पर भी प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि सर्वेयर की संख्या कम होने से फसल की कटाई के समय बीमा कंपनिया मनमानी करती हैं और क्लेम को रोक लेती है। सांसद ने कहा कि बीमा कंपनियां पटवार हल्के या पूरे गांव को इकाई मानती है। ऐसे में यदि किसी एक किसान की पूरी फसल नष्ट हो जाए और गांव के अन्य हिस्सों में औसत उपज ठीक निकल आए तो उस किसान को मुआवजा नहीं मिलता। यह प्रणाली असंवेदनशील है और व्यक्तिगत नुकसान को अनदेखा करती है। इसलिए गांव की बजाय खसरे को इकाई माना जाए, ताकि पीडि़त किसान को उसके हक का मुआवजा मिल सके। इस पर मंत्री सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि इसमें भी हमने बड़ा बदलाव किया है, अब रिमोट सेंसेसिंग के आधार पर फसल की क्षति का आंकलन करेंगे और उसके आधार पर किसानों को नुकसान की भरपाई करेंगे और जरूरत पड़ेगी तो कम्पनियों को सर्वेयर बढ़ाने के लिए भी कहेंगे। गौरतलब है कि गत वर्ष पत्रिका ने इस मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया था। पत्रिका ने बताया कि बीमा कम्पनी ने फसल कटाई प्रयोग के लिए पूरे जिले में मात्र 17 प्रतिनिधि लगाए।
Published on:
30 Jul 2025 11:13 am