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नागौर. मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना में सरकार के दावों की पोल खुल गई है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में जहां 21 लाख पशुओं का बीमा करने का लक्ष्य रखा था, वहां वित्तीय वर्ष 2025-26 का अक्टूबर माह बीतने के बावजूद मात्र 10 लाख 59 हजार 102 पशुओं का बीमा हो पाया है, जबकि करीब 13 लाख पशुओं के पशुपालन विभाग के चिकित्सकों ने स्वास्थ्य प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए थे। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि सरकार ने बजट घोषणा में भले ही पशुओं का बीमा करने को लेकर बड़े दावे किए हों, लेकिन योजना की विसंगतियों व विभागीय अधिकारियों की ढिलाई के चलते बहुत कम पशुपालकों को इस योजना का लाभ मिल पाया है।
गौरतलब है कि सरकार ने इस योजना के तहत 400 करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की, जिसमें करोड़ों रुपए निजी एजेंसी को ऐसे कार्य के बदले दिए गए, जो विभाग के कर्मचारी आराम से व बेहतर तरीके से कर सकते थे। यही वजह है कि प्रदेश में जहां पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सकों ने जिन 12 लाख 98 हजार 144 पशुओं के हैल्थ सर्टिफिकेट जारी कर दिए, उनका सर्वे बेसलाइन सर्वे संबंधित एजेंसी की ओर से समय पर नहीं किया जा सका है, जिसके चलते करीब ढाई लाख पशुओं का बीमा नहीं हो पाया।
आंकड़ों से जानिए, योजना की हकीकत
बजट घोषणा : प्रदेश में 21 लाख दुधारू पशुओं का बीमा होगा, इसमें
- 5 लाख गाय
- 5 लाख भैंस
- 5 लाख बकरी
- 5 लाख भेड़ एवं
- 01 लाख ऊंट शामिल थे।
इतने पशुओं का हुआ रजिस्ट्रेशन
6,04,431 गायों का
7,41,170 भैंस का
4,87,980 बकरियों का
1,86,658 भेड़ों का और
9,716 ऊंटों को रजिस्ट्रेशन हो पाया
लॉटरी में 16,72,866 पशु चयनित
गाय व भैंस का रजिस्ट्रेशन लक्ष्य से अधिक होने के कारण उनकी लॉटरी निकाली गई, जिसमें गाय-भैंस की संख्या 5-5 लाख से कम कर दी गई, जबकि भेड़, बकरी व ऊंट का रजिस्ट्रेशन लक्ष्य से कम होने के कारण लॉटरी नहीं निकाली गई। ऐसे में लॉटरी के बाद 16,72,866 पशु चयनित किए गए, लेकिन इनमें से हैल्थ सर्टिफिकेट 12 लाख 98 हजार 144 पशुओं को जारी हो पाए, इनमें भी 10 लाख 59 हजार 102 को ही पॉलिसी जारी हो पाई। सरकार ने घोषणा की कि यदि लक्ष्य के बराबर पशुओं का बीमा नहीं होगा तो लॉटरी में वंचित रहने वाले पशुओं की प्रतीक्षा सूची निकालकर बीमा किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
नागौर में मात्र 21,319 पशुओं का बीमा
प्रदेश की तरह नागौर जिले की स्थिति भी खराब है। यहां कृषि के बाद पशुपालन भले ही दूसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है, लेकिन विभाग की ओर से जारी किए गए अंतिम आंकड़ों के अनुसार 21,319 पशुओं का ही बीमा किया गया, जबकि 25,572 पशुओं का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। जिले को 33 हजार 839 पशुओं का बीमा करने का लक्ष्य मिला था।
पशुओं का बीमा नहीं हो पाने की मुख्य वजह
- धीमी प्रक्रिया: योजना का क्रियान्वयन राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (एसआईपीएफ) के माध्यम से किया गया। इसमें बेसलाइन सर्वे और पॉलिसी जारी करने में काफी समय (3 से 4 महीने तक) लगा।
- लंबित स्वास्थ्य प्रमाण पत्र: प्रदेश में करीब 4 लाख पंजीकृत पशुओं के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पाए, जो बीमा के लिए एक अनिवार्य शर्त थी।
- कम आवेदन: पहले वित्त वर्ष (2024-25) में निर्धारित 21 लाख पशुओं के लक्ष्य के मुकाबले कम आवेदन प्राप्त हुए, इसके कारण चार-पांच बार तारीख बढ़ाई। इसके बाद गाय-भैंस के आवेदन ज्यादा आए, जबकि भेड़, बकरी व ऊंट के आवेदन कम आए।
- एजेंसी के स्तर पर देरी: पशुपालन विभाग ने बेसलाइन सर्वे का काम एजेंसी को सौंपा, जिसने समय पर काम नहीं किया। जिससे पता चलता है कि एजेंसी के स्तर पर भी समस्याएं रहीं।
- पशुपालकों में जागरूकता की कमी: कई पशुपालकों ने केवल पंजीकरण को ही बीमा मान लिया, लेकिन पूरी प्रक्रिया की जानकारी न होने के चलते उनके पशुओं की मृत्यु होने पर भी उन्हें लाभ नहीं मिल सका।
अधिकारियों से जवाब देते नहीं बन रहा
नागौर सहित प्रदेश में मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना में आठ माह ऊपर बीतने के बावजूद आधा लक्ष्य ही प्राप्त होने के कारण जानने के लिए निदेशालय पशुपालन विभाग जयपुर के अतिरिक्त निदेशक (पशुधन बीमा) डॉ. सुरेश चंद मीणा से बात की तो उन्होंने कहा कि उनका काम केवल स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी करना है, पॉलिसी जारी करने का काम एसआईपीएफ का है, वो ही बता पाएंगे। एसआईपीएफ के नोडल अधिकारी एसएन माथुर से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
Updated on:
01 Nov 2025 10:57 am
Published on:
01 Nov 2025 10:56 am
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