नागौर। देश को आजाद करवाने में योगदान देने वाले नागौर जिले के गुढ़ा भगवानदास निवासी स्वतंत्रता सेनानी दौलतसिंह आज भी क्षेत्रवासियों के गर्व का प्रतीक हैं। आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में भाग लेकर भारत को आजादी दिलाने में भूमिका निभाई। 1987 और 2000 में राजस्थान के मुख्यमंत्री ने वीरांगना प्रेम कंवर को सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
युद्ध में बाएं पैर में गोली लगने के बाद भी हौसला नहीं टूटा। वे सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का हिस्सा बने और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। अंग्रेजों ने उन्हें बंदी बनाकर यातनाएं दीं, हफ्तों तक पानी तक नहीं दिया। साथियों की मदद से वह भाग निकले और आजाद हिंद फौज के साथ भारत लौटे। दौलतसिंह का जन्म साल 1916 में हुआ और उन्होंने साल 1993 में अंतिम सांस ली।
देश आजाद होने के बाद स्वतंत्रता सैनानी दिल्ली से पैदल चलकर जब गांव लौटे तो लोग उन्हें पहचान नहीं पाए। क्योंकि उन्होंने आठ साल तक बाल व दाढ़ी नहीं कटाई थी। वीरांगना प्रेम कंवर नेत्रहीन हैं। पति और पांच बेटों की मौत से टूट चुकी हैं। एक पुत्र खेती और पेंशन से परिवार का गुजारा कर रहा है। कई बार दौलत सिंह के नाम पर विद्यालय का नामकरण का प्रस्ताव आया, लेकिन आज तक स्वीकृति नहीं मिली।
परिवार आज भी हिरोशिमा-नागासाकी परमाणु हमले का दंश झेल रहा है। हमले के समय दौलत सिंह जापान में लोहा ले रहे थे। जिससे उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हो गई और पेट में गंभीर इंफेक्शन हुआ। उनकी संतानों पर भी इसका असर पड़ा। पांच बेटे दिव्यांग होकर असमय चल बसे और तीन बेटियों में से एक बेटी भी नि:शक्त है।
Published on:
10 Aug 2025 12:08 pm