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नागौर जिले में 9 साल में टीबी जांच की लगी 15 मशीनें, समय पर हो रही मरीजों की पहचान

पहले बाहर भेजने पड़ते थे बलगम के नमूने, अब उपखंड स्तर पर होने लगी जांच वो भी कुछ घंटों में, जिले में पहली बार लक्ष्य के नजदीक पहुंचे जांच के आंकड़े, समय पर हो रही टीबी की पहचान तो उपचार भी मिल रहा, सरकार टीबी मरीज की सूचना देने व दवा देने वालों को रुपए देकर कर रही प्रोत्साहित

TB hospital nagaur

नागौर. जिले में टीबी मरीजों की पहचान करने से लेकर उनका उपचार करने की प्रक्रिया में पिछले 9 सालों में क्रांतिकारी सुधार हुए हैं। 9 साल पहले जहां जिला मुख्यालय पर मरीजों के बलगम जांच की भी सुविधा नहीं थी, वहां आज जिला मुख्यालय के साथ ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर भी जांच की सुविधा हो गई है और तीन से चार घंटे में मरीज की पहचान कर ली जाती है। नागौर जिले में वर्तमान में टीबी मरीजों के बलगम जांच कुल 15 मशीनें उपलब्ध हैं, जिनमें पांच ‘सीबी नाट’ मशीनें हैं तो 10 ‘ट्रू नाट’ मशीनें हैं। इनमें ज्यादातर मशीनें वर्ष 2023 में खरीदी गई, जिसके बाद मरीजों के साथ चिकित्सा विभाग को भी काफी राहत मिली है। यह मशीनें बढऩे का ही परिणाम है कि पहली बार इस वर्ष अब तक जांचों का लक्ष्य 75 प्रतिशत तक हासिल किया गया है।

जानिए, कहां कौनसी मशीन

सीबी नाट मशीन

अस्पताल - मशीन मिलने का वर्ष

नागौर टीबी हॉस्पिटल - 2016

जेएलएन अस्पताल - 2024

जायल अस्पताल - 2023

डेगाना अस्पताल - 2023

रियां बड़ी अस्पताल - 2023

ट्रू नाट मशीन

अस्पताल - मशीन मिलने का वर्ष

गोटन - जनवरी 2023

खींवसर - जनवरी 2023

मेड़ता - जनवरी 2023

मूण्डवा - अगस्त 2023

कुचेरा - जून 2023

पांचौड़ी - फरवरी 2025

डेह - फरवरी 2025

बासनी - फरवरी 2025

डीटीसी नागौर - 2025

इस प्रकार बढ़ा जांचों का आंकड़ा

वर्ष - जांचों की संख्या

2016 - 12,942

2017 - 13,554

2018 - 15,301

2019 - 16,274

2020 - 13,436

2021 - 11,766

2022 - 22,953

2023 - 31,679

2024 - 42,530

2025 - 19,019

नोट - वर्ष 2025 के आंकड़े जनवरी से अब तक के हैं।

एक लाख पर 3 हजार जांच का लक्ष्य

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत जिले को एक लाख की जनसंख्या पर 1500 लोगों की जांच प्रति वर्ष माइक्रो स्कोप से करने का लक्ष्य दिया जाता है। इसी प्रकार 1500 जांच नाट मशीन पर करने के निर्देश हैं, इस प्रकार एक वर्ष में कुल 3 हजार जांच प्रति एक लाख की जनसंख्या पर करने का लक्ष्य दिया जाता है। पहले जहां लक्ष्य की प्राप्ति 40 प्रतिशत मुश्किल से हो पाती थी, लेकिन अब जिले में जांच मशीनों की संख्या बढऩे से जांच का लक्ष्य 75 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वर्ष 2025 में जिले को 58,770 जांचें करने का लक्ष्य मिला है। यानी प्रतिमाह करीब 4900 जांचें करनी हैं।

सूचना देने वालों को देते हैं प्रोत्साहन राशि

टीबी मरीज के बारे में पहली सूचना वाले को 500 रुपए का प्रोत्साहन दिया जाता है। इसी प्रकार टीबी मरीज को छह महीने दवा व नियमित जांच कराने वाले वर्कर, जिसमें आशा सहयोगिनी व सामाजिक कार्यकर्ता, को एक हजार रुपए का प्रोत्साहन दिया जाता है।

जांच की गति बढऩे से उपचार हुआ आसान

जिले में नाट मशीनों की संख्या बढऩे से अब अधिक लोगों को जांच कम समय में हो रही है। टीबी मरीज की पहचान समय पर होने से उपचार भी समय शुरू हो जाता है। भारत सरकार देश को टीबी मुक्त करने की दिशा में हरसंभव प्रयास कर रही है, इसके लिए टीबी मरीजों को निक्षय मित्रों से पोषण किट भी दिलवाए जा रहे हैं। साथ ही मरीजों को आर्थिक सहयोग भी दिया जाता है।

- डॉ. श्रवण राव, जिला नोडल अधिकारी, जिला टीबी अस्पताल, नागौर