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शरद पवार, उद्धव और राज ठाकरे ने बिना अनुमति के निकाला विरोध मार्च, FIR दर्ज

MVA Protest March : महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) द्वारा चुनाव आयोग के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शन को लेकर मुंबई पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Nov 02, 2025

मुंबई में वोट चोरी के आरोपों को लेकर शनिवार को विपक्षी दलों ने जोरदार प्रदर्शन किया। दक्षिण मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) के सामने बीएमसी मुख्यालय के पास यह विरोध-प्रदर्शन हुआ, जिसमें महाराष्ट्र की सियासत के कई बड़े चेहरे एक साथ नजर आए।

इस रैली में एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे, कांग्रेस नेता बाला साहेब थोरात और सुप्रिया सुले समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सभी ने चुनाव प्रक्रिया में वोट चोरी के आरोपों की जांच की मांग की और स्थानीय निकाय चुनावों में पारदर्शिता की बात कही।

हालांकि इस प्रदर्शन के लिए मुंबई पुलिस से अनुमति नहीं ली गई थी। पुलिस ने इसे अवैध सार्वजनिक जमावड़ा करार देते हुए कहा कि इससे शहर के ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था पर असर पड़ा। इसके बाद आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। मुंबई पुलिस ने बयान जारी करते हुए कहा कि बिना अनुमति सार्वजनिक स्थल पर भीड़ जुटाना कानून का उल्लंघन है।

शिवसेना ने बताया दिखावा

महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के इस विरोध मार्च को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। शिवसेना (शिंदे गुट) नेता मनीषा कायंदे ने विपक्ष के इस प्रदर्शन को सिर्फ दिखावा बताया। उन्होंने कहा कि एमवीए नेताओं के लिए यह प्रदर्शन राजनीतिक अस्तित्व बचाने की कोशिश है, न कि किसी मुद्दे की लड़ाई।

कायंदे ने आरोप लगाया कि विपक्ष जब चुनाव जीतता है तो ईवीएम पर भरोसा करता है, लेकिन हार का डर होते ही उसी ईवीएम पर सवाल उठाने लगता है। उन्होंने कहा कि “ईवीएम को बार-बार जांचने के लिए हैकर्स को बुलाया जाता है, लेकिन अब तक कोई इसे हैक नहीं कर पाया। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है जो कानून के दायरे में काम करती है।”

उन्होंने कांग्रेस की भागीदारी पर तंज कसते हुए कहा कि यह गठबंधन मजबूरी का रिश्ता है। कांग्रेस सिर्फ अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए शामिल हुई, जबकि जनता अब ऐसे प्रतीकात्मक प्रदर्शनों से प्रभावित नहीं होती।

वहीं, विपक्षी दलों का कहना है कि उनकी मांग केवल चुनाव प्रणाली की निष्पक्षता को लेकर है। अक्टूबर में एमवीए का प्रतिनिधिमंडल राज्य चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिल चुका है और वोट चोरी के आरोपों की जांच की मांग कर चुका है। उनका कहना है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनाव पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होने चाहिए।