पुणे के एक फैमिली कोर्ट ने अपने अहम फैसले में उस महिला के दावे को खारिज कर दिया, जिसने अपने पति पर शारीरिक संबंध स्थापित करने में असमर्थ होने का आरोप लगाते हुए उसका घर छोड़ दिया था। कोर्ट ने कहा कि महिला अपने आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई है, इसलिए उसके दावे को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता पति की महिला से 2021 में शादी हुई थी। लेकिन कुछ समय बाद ही पत्नी ने पति का घर छोड़ दिया। जिसके बाद पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैवाहिक संबंध पुनः स्थापित करने के लिए पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर की।
पति का कहना था कि पत्नी ने बिना किसी ठोस कारण के उसे छोड़ दिया, और वह चाहता है कि कोर्ट उसे दोबारा साथ रहने का आदेश दे। वहीं पत्नी ने जवाब में आरोप लगाया कि पति शारीरिक संबंध बनाने में अक्षम है और यह भी कहा कि उनके बीच विवाह के बाद कभी कोई संबंध स्थापित नहीं हुआ।
पत्नी ने एक अलग अदालत में विवाह रद्द करने की याचिका भी दाखिल की थी, लेकिन पुणे पारिवारिक न्यायालय ने पाया कि पत्नी अपने आरोपों को किसी भी तरह के प्रमाण से सिद्ध नहीं कर पाई। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी की बातों में विसंगति है, जिससे उसके दावे पर संदेह उत्पन्न होता है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि पति ने सबूतों के आधार पर पत्नी के सभी आरोपों का खंडन किया और रिपोर्ट पेश कर खुद के शारीरिक रूप से स्वस्थ होने की बात कही। दूसरी ओर, पत्नी ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई मेडिकल साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया।
न्यायाधीश गणेश घुले ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि आरोप लगाना और उन्हें कानूनी रूप से सिद्ध करना दोनों अलग बातें होती हैं। कोर्ट ने पत्नी का दावा खारिज करते हुए आदेश दिया कि वह दो महीने के भीतर पति के घर लौटकर वैवाहिक संबंध पुनः स्थापित करे।
Updated on:
04 Aug 2025 05:23 pm
Published on:
04 Aug 2025 05:20 pm