शादाब अहमद
नई दिल्ली। आज देश में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत की 26 वीं सालगिरह मनाई जा रही है। इसके 26 साल बाद भारत को पाकिस्तानी घुसपैठ के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाना पड़ा। इन 26 साल के अंतराल में दुनिया में युद्ध का परंपरागत तरीका तकनीक पर आ गया है। यही वजह है कि कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोप की धूम से पाकिस्तानी बंकर उड़ गए थे, वहीं ऑपरेशन सिंदूर में आधुनिकतम ब्रह्मोस मिसाइल का जलवा दुनिया ने देखा है। हालांकि अब भी भारत के सामने चुनौतियों का अंबार है, खासतौर पर चीन से निपटने के लिए भारत को अपनी तैयारियों को धार देने की जरूरत है। दरअसल, कारगिल युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर दोनों ही पाकिस्तानी घुसपैठ के खिलाफ भारतीय सेना के अभियान थे।
कारगिल दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच लड़ा गया दुर्गम चोटियों पारंपरिक युद्ध था। इसमें पैदल सेना के हमले, तोपखाने की लड़ाइयां और रणनीतिक हवाई हमले शामिल थे। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया, जिसे भारतीय वायु सेना के ऑपरेशन सफेद सागर ने सहयोग दिया। इससे पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ की गई पर्वत चोटियों पर फिर से भौतिक नियंत्रण हासिल किया गया था। ऊंची चोटियों और खराब मौसम ने रसद और सैन्य गतिशीलता को कठिन बना रखा था। इस संघर्ष की विशेषता जमीनी-आधारित का अभाव और सर्दियों में सैनिकों की वापसी की धारणा पर अत्यधिक निर्भरता थी।
पहलगाम पर हुए आतंकी हमले के सीधे जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चार दिन का उच्च-प्रभाव वाला, सटीक और स्थिर हाइब्रिड अभियान था। इसमें एआई-संचालित निगरानी, क्वांटम कम्प्यूटिंग, रोबोटिक्स तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ऑपरेशन सिंदूर में सटीक निर्देशित हथियारों, मिसाइलों, स्टील्थ ड्रोन, उपग्रह-आधारित आईएसआर और गतिज ड्रोन हमलों का उपयोग किया गया था। जो पाकिस्तान के सुदूर इलाकों को टारगेट किया गया। यह ऐसा क्षेत्रीय आयाम जो कारगिल के दौरान नहीं देखा गया था। यह गैर-संपर्क युद्ध रहा। कारगिल के विपरीत, इस अभियान को युद्ध घोषित नहीं किया गया था। नियंत्रण रेखा के पार पैदल सेना की कोई तैनाती नहीं की गई थी। इसका उद्देश्य तनाव बढ़ाए बिना, निवारक और दंडात्मक कार्रवाई करना था।
कारगिल युद्ध के समय एयर स्पेस का उल्लंघन नहीं किया था। जबकि इस बार पाकिस्तान के ‘घर’ में घुसकर एयर स्ट्राइक की गई। ऑपरेशन विजय कई सप्ताह तक चला, जबकि ऑपरेशन सिंदूर में 25 मिनट में 9 आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की गई। चार दिन में सीजफायर हो गया।
मेजर जनरल राजन कोचर वीएसएम (रिटायर्ड) ने कहा कि कारगिल और ऑपरेशन सिंदूर समय, भूभाग और तकनीक के मामले में अलग-अलग थे, फिर भी दोनों बार-बार आने वाली सच्चाई को रेखांकित करते हैं। साथ ही दोनों का उद्देश्य पाकिस्तान को सबक सिखाने का था। कारगिल युद्ध ने भारत की खुफिया विफलताओं (विशेषकर रॉ और एमआई की) और अपर्याप्त निगरानी को उजागर किया। इसके चलते कारगिल समीक्षा समिति (केआरसी) की सिफारिश पर महत्वपूर्ण सुधार किए गए, जिनमें रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए), राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) का गठन और उन्नत उपग्रह क्षमताएं शामिल थे। कारगिल के बाद भारत ने दुनिया के सामने पाकिस्तान के काम को सबूतों के साथ रखकर एक्सपोज कर बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल की थी। ऑपरेशन सिंदूर केसमय कूटनीतिक सफलता अपेक्षाकृत नहीं मिली है। इसकी वजह है कि पहलगाम में आतंकी हमला करने वालों की पहचान नहीं होना रहा है। कोचर ने कहा कि हम आत्मनिर्भर हथियारों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद हमें अभी कई सुधार करने होंगे।
1. चीन अपने 45 सैटेलाइट्स से पाकिस्तान की मदद कर भारतीय सेना के मूवमेंट की जानकारी उपलब्ध कराता है। इससे निपटने के लिए भारत को भी 360 डिग्री वाली सैटेलाइट्स की संख्या को तीन गुना करना होगा।
2. बंकर नष्ट करने वाली मिसाइल: अमेरिका की तर्ज पर भारत को भी बंकर ब्लास्टिंग मिसाइलों को बनाना होगा। इससे दुश्मन के 50 मीटर गहराई तक के बंकरों को नष्ट किया जा सकेगा।
3. ड्रोन ब्रिगेड-अब समय आ गया है कि भारतीय सेना में ड्रोन ब्रिगेड का गठन करना चाहिए। इससे ड्रोन वार में मदद मिलेगी।
4. मिसाइलों की संख्या बढ़ाना: इरान ने इजरायल का मुकाबला अपनी 4500 मिसाइलों के दम पर किया है। भारत को भी अपनी मिसाइलों की संख्या को बढ़ाना चाहिए।
Published on:
26 Jul 2025 10:40 am