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Mau Police: पुलिस की करतूत, महिला के गर्भपात और अपमान की आरोपित वारदात में 20 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश

ताजपुर उस्मानपुर गांव निवासी रीता देवी (पत्नी रामजतन यादव, उम्र 40 वर्ष) द्वारा कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र के बाद CJM कोर्ट ने सरायलखंसी थाने के तत्कालीन थाना अध्यक्ष शैलेश सिंह सहित कुल 20 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया है।

मऊ

Abhishek Singh

Aug 01, 2025

Mau news
मऊ न्यायालय, Pc: पत्रिका

Mau news: कानून के रक्षक जब खुद ही बन जाएं भक्षक, तो इंसाफ की उम्मीद करना आमजन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है। मऊ जिले के सरायलखंसी थाने की पुलिस पर ऐसा ही एक सनसनीखेज आरोप सामने आया है, जहां एक महिला के गर्भपात, उसके परिवार की पिटाई, अपमान और जबरन फर्जी मुकदमे में फंसाने की वारदात ने पुलिस महकमे को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

जानिए पूरा प्रकरण

सराय लखंसी थाना क्षेत्र के ताजपुर उस्मानपुर गांव निवासी रीता देवी (पत्नी रामजतन यादव, उम्र 40 वर्ष) द्वारा कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र के बाद CJM कोर्ट ने सरायलखंसी थाने के तत्कालीन थाना अध्यक्ष शैलेश सिंह सहित कुल 20 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया है।

रीता देवी के अधिवक्ता प्रमोद कुमार शर्मा के मुताबिक, पीड़िता का अपने पड़ोसी रामभवन यादव व श्रीकांत यादव से सरकारी नाली और खड़ंजा को लेकर विवाद चल रहा था। रीता ने इस मामले की लिखित शिकायत जिलाधिकारी से की, जिसमें जांच के बाद आरोप सही पाए गए। इसी बीच, आरोप है कि आरोपी पड़ोसी रामभवन यादव के रिश्तेदार और तत्कालीन चौकी प्रभारी केसर यादव द्वारा पीड़िता और उसके परिवार को लगातार धमकाया जाने लगा।

23 मार्च 2025 की दिन में ही हालात भयावह हो गए। रीता देवी का आरोप है कि लगभग 20 पुलिसकर्मी उसके पड़ोसी के छत से कुर्सी लगाकर उनके घर में जबरन घुसे, छत फांदकर अंदर आए (लाइव वीडियो), दरवाजा तोड़ा और उसके बच्चों को बेरहमी से पीटा गया। अश्लील गालियां दी गईं, बेटी के साथ अभद्रता की गई और पूरे गांव में घसीटते हुए थाने ले जाया गया।

पुलिस ने न केवल पीड़िता और उसके परिजनों से जबरन खाली स्टांप पेपर पर दस्तखत करवाने की कोशिश की, बल्कि विरोध करने पर फिर से थाने में पिटाई की गई। इस पीड़ित को जेल भेजने की कार्यवाही अमानवीय मारपीट से पीड़िता का गर्भपात हो गया और हालत बिगड़ने पर उसे पहले जिला अस्पताल और फिर बीएचयू रेफर किया गया।

हालांकि शुरुआत में जिला प्रशासन ने आरोपियों के प्रभाव में आकर मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस अधीक्षक द्वारा कराई गई गहराई से जांच में सरायलखंसी पुलिस की भूमिका संदिग्ध पाई गई और एकतरफा कार्रवाई की पुष्टि हुई। इसके बाद कोर्ट में दाखिल याचिका के आधार पर अब न्यायालय ने 20 पुलिसकर्मियों पर FIR दर्ज करने का आदेश दे दिया है।

इन आरोपितों में प्रमुख नाम हैं –

शैलेश सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष

काशीनाथ चंदेल, एसआई

केसर यादव, तत्कालीन चौकी प्रभारी पिपरीडीह

विक्की कुमार, एसआई

कोमल कसौधन, एसआई

प्रभाकर सिंह, हेड कांस्टेबल

जयप्रकाश गोंड, सिपाही

अनुराग पाल, सिपाही

उत्तम मिश्रा, महिला सिपाही

मनीष यादव, सिपाही

ऊषा जायसवाल, महिला होमगार्ड

दुर्गविजय यादव, होमगार्ड

व अन्य 6-7 अज्ञात पुलिसकर्मी

अब देखना यह है कि क्या मऊ पुलिस इस शर्मनाक घटना में अपने ही कर्मियों के विरुद्ध निष्पक्ष जांच कर पीड़िता को न्याय दिला पाएगी या फिर यह मामला भी 'सिस्टम' की चक्की में पिसता रह जाएगा।