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लाख कोशिशें भी भलाडो्य की शादी पर नहीं कस पा रही लगाम…

इस वर्ष अब तक 37 और पिछले वर्ष 95 बाल विवाह रोके गएए लेकिन इतने ही गुपचुप हो गएजनगणना 2011 के आंकड़े बता रहे उज्जैन जिले में कानूनी उम्र से पहले 18ए724 बच्चियां बनी बालिका वधु

महू

atul porwal

Nov 27, 2022

Not fully closed premature's marriage in Ujjain MP
Not fully closed premature's marriage in Ujjain MP

अतुल पोरवाल

स्पॉटलाइट
उज्जैन.

देवउठनी ग्यारस के साथ शादियों की सीजन शुरू हो गया। कलेक्टर ने भी बाल विवाह रोकने के लिए अपने अमले को अलर्ट कर दिया। परंपरा और अशिक्षा के चलते अब भी बाल विवाह हो रहे हैंए हालांकि इस सीजन में अब तक न तो कोई शिकायत मिली और न ही कार्रवाई हुई है। जनवरी 2022 से अब तक 37 बाल विवाह रोके गए। वर्ष 2021 में 95 बाल विवाह रोके गए थे। विशेषज्ञों का कहना हैए प्रशासन जितने बाल विवाह रोकता हैए उतने ही गुपचुप हो जाते हैं। कई बार आंकड़ा बढ़ भी जाता है। इस तथ्य की पुष्टि वर्ष 2011 की जनगणना में भी होती हैए जिसमें जिले की 18ए724 बालिकाएं 18 वर्ष से कम उम्र में बालिका वधु बन गईं। निश्चित तौर पर बाल विवाह की दर में कमी आई हैए लेकिन भलाडो्य की कच्ची उम्र में शादी पर पूरी तरह लगाम नहीं कस पाई है।
कानून से अनजान या परंपरा की कुरीतियों में बंधे माता.पिता अपने बच्चों को उनकी पढऩे.लिखने की उम्र में विवाह के बंधन में बांध देते हैं। बाल विवाह अपराध है। कानून भी बहुत सख्त हैए लेकिन सामाजिक ताने.बाने में कुरीतियों की बेढिय़ां टूटने में अधिक समय लग रहा है। अशिक्षा इसकी राह में बड़ा रोड़ा है। गौरतलब हैए बाल विवाह रोकने के लिए आइसीपीएस ;इंटिग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीमद्ध लगातार सक्रिय है।

बाल विवाह रोकने में बड़ी चुनौती लोगों में जागरूकता की कमी भी है। महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के साथ आइसीपीएस के तहत ब्लॉक लेवल पर टीमए पटवारीए तहसीलदारए एसडीएमए एडीएमए कलेक्टर आदि विवाह रोकने के लिए तैनात होते हैंए लेकिन शिकायत नहीं मिलने पर यह कारगर साबित नहीं होते। शिकायत के बाद जब दल विवाह रुकवाने पहुंचता है तो कागजी खानापूर्ति कर दी जाती है। सामाजिक और क्षेत्र विशेष की स्थितियों को देखते हुए कानूनी कार्रवाई का अभाव रहता है। इस कारण आपसी रजामंदी से गुपचुप बाल विवाह कर दिए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नजर चुराकर बाल विवाह ग्राफ शहरों के मुकाबले अधिक है।

95 में से एक में भी पुलिस केस नहीं महिला सशक्तिकरण कार्यालय के अनुसार बाल विवाह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती हैए लेकिन गत वर्ष रोके गए 95 बाल विवाह में से एक भी मामले में पुलिस प्रकरण नहीं बना। कर्मचारियों का मत है कि विवाह रोकने का अनुबंधए मतलब कागजी लिखापढ़ी के बाद पुलिस में प्रकरण दर्ज कराना ग्रामीण क्षेत्रों में आसान नहीं है

दोनों की रजामंदीए क्या करे प्रशासन गैरकानूनी होने के बावजूद अशिक्षित या परंपरा के नाम पर कुरीतियों में फंसे लोग बाल विवाह से परहेज नहीं करते हैं। प्रशासन की सख्ती पर कागजों पर तो विवाह टाल दिया जाता हैए दूल्हा.दुल्हन के बालिग होने तक शादी रोकने का परिजन वादा भी करते हैंए लेकिन वास्तविकता अलग ही है। शादी के खर्च और दोनों पक्ष की रजामंदी के चलते गुपचुप शादी कर लेते हैं।

2011 की जनगणना में उज्जैन की स्थिति
18 वर्ष से कम 21 वर्ष से कम

18724 ;कुलद्ध 71299;कुलद्ध

14923;ग्रामीणद्ध 56098;ग्रामीणद्ध
3801;शहरीद्ध 15201;शहरीद्ध

बालिकाओं के लिए विवाह की न्यूनतम कानूनी उम्र 18 वर्ष तथा बालकों के लिए 21 वर्ष तय है।
यह है प्रावधान
बाल विवाह एक अपराध हैए जिस पर एक लाख का दंड व दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान है।
लोग सूचना तक नहीं देते

ग्रामीण क्षेत्र में अशिक्षा व जागरूकता की कमी के कारण बाल विवाह पर रोक नहीं लग पा रहा है। जानकारी मिलती है तो हम रुकवा देते हैंए लेकिन जानकारी के अभाव में बाल विवाह हो रहे हैं। कबए कितने विवाह हुएए इसकी जानकारी देना असंभव इसलिए हैए क्योंकि पता चल जाता तो होने ही नहीं देतेए लेकिन बाल विवाह होने से इनकार नहीं कर सकते।
. संजय सक्सेनाए पूर्व सदस्यए बाल कल्याण समिति उज्जैन
शिकायत मिलते ही तत्काल दबिश देकर बाल विवाह रुकवाते हैं। परंपरा होने से जागरूकता आने की गति धीमी है। विवाह रुकवाने में कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। नाराजगी तक झेलना पड़ती है। जब दंड व सजा का प्रावधान बताते हैंए तब विवाह पर रोक लगती है। पुलिस प्रकरण की बात करें तो शादी के बाद गर्भवती होने की सूचना से पता चलता हैए नाबालिग का विवाह हुआ और वह गर्भवती हो गईए तब उनके विरूद्ध पुलिस में प्रकरण दर्ज कराते हैं। वर्ष में 3.4 मामले ऐसे हो ही जाते हैं।

. साबिर अहमद सिद्दीकीए महिला सशक्तिकरण अधिकारी