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UP Police Bharti 2025: सपनों की परीक्षा से पहले संघर्ष की रात: लखनऊ स्टेशन पर अभ्यर्थियों ने गुजारी ठंडी रात

UP Police Aspirants: लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर यूपी पुलिस कंप्यूटर ऑपरेटर परीक्षा देने आए अभ्यर्थियों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारी। पॉलीथिन पर लेटे, मच्छरों से जूझते और ठंड में कांपते युवाओं की यह रात संघर्ष और उम्मीद दोनों की कहानी कहती है। प्रशासनिक इंतज़ाम नदारद, पर हौसला बरकरार रहा।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 01, 2025

लखनऊ में 33,631 अभ्यर्थियों की परीक्षा, 82 केंद्रों पर निगरानी के दावे (फोटो सोर्स : AI)

लखनऊ में 33,631 अभ्यर्थियों की परीक्षा, 82 केंद्रों पर निगरानी के दावे (फोटो सोर्स : AI)

UP Police Bharti : उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) द्वारा आयोजित इस परीक्षा में कुल 33,631 अभ्यर्थी शामिल हो रहे हैं। पहले दिन 47 केंद्रों पर 20,036 अभ्यर्थी, और दूसरे दिन 35 केंद्रों पर 13,595 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। परीक्षा सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक एक पाली में हो रही है। प्रशासन ने कड़ी निगरानी, डिजिटल सर्विलांस और ट्रैफिक नियंत्रण के इंतजामों का दावा किया है। लेकिन अभ्यर्थियों की शिकायत है कि ठहरने, भोजन और सुरक्षा की व्यवस्था पूरी तरह नदारद रही।

प्रशासन की तैयारी केवल परीक्षा केंद्रों तक सीमित रही

अभ्यर्थियों ने बताया कि रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और आसपास के इलाकों में न कोई हेल्प डेस्क दिखाई दिया, न किसी अधिकारी ने पूछताछ की। कई छात्रों ने कहा कि प्रशासन की निगरानी केवल परीक्षा केंद्रों तक सीमित रही, जबकि लाखों बाहर से आए परीक्षार्थियों के ठहराव की कोई योजना नहीं थी। प्रयागराज से आए शाह फैसल बोले -ट्रेन में 4 घंटे तक खड़े रहकर आया हूँ। स्टेशन पर बैठने की भी जगह नहीं। ठंड है, पैर सुन्न हो गए हैं। लेकिन कोई अधिकारी यह देखने नहीं आया कि हम कहां हैं, क्या खा रहे हैं। सरकार ने हेल्प डेस्क तक नहीं बनाया।

सेंटर से पहले ट्रेन और स्टेशन पर हो गई परीक्षा

परीक्षार्थियों के चेहरों पर थकान के बावजूद उम्मीद बरकरार थी। कई ने कहा कि हमारी पहली परीक्षा ट्रेन में दी, दूसरी स्टेशन पर, अब तीसरी परीक्षा सेंटर में देनी है। कई अभ्यर्थियों ने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में अपने एडमिट कार्ड और दस्तावेज़ संभाले। कुछ ने स्टेशन की कैंटीन से पानी लिया, कुछ ने रेलवे के आउटलेट से बिस्किट और समोसे लेकर रात काटने की तैयारी की।

संघर्ष और उम्मीद का मिला-जुला चित्र

चारबाग स्टेशन की वह रात लखनऊ की तस्वीर को दो हिस्सों में बांटती दिखी-एक ओर शहर की जगमगाती सड़कों पर प्रशासनिक तैयारियों की बातें, दूसरी ओर प्लेटफॉर्म पर बिछी पॉलीथिनों पर सोते हुए भविष्य के ‘सिपाही’। वे युवक जो कल पुलिस की वर्दी पहनकर व्यवस्था का हिस्सा बनेंगे, आज उसी व्यवस्था के इंतजामों की कमी से जूझते दिखे।

सरकार अपनी परीक्षा में पास, हमारी व्यवस्था में फेल

सरकार परीक्षा कराने में पास हो गई, लेकिन व्यवस्था में फेल। अगर उम्मीदवारों को रातभर स्टेशन पर सोना पड़े, तो यह सिस्टम की असफलता है। फिर भी, इन युवाओं की आंखों में निराशा से अधिक उम्मीद थी। थकान, ठंड और मच्छरों के बीच भी वे कहते दिखे -कल का दिन हमारा होगा।

व्यवस्था से बड़ा जज़्बा

लखनऊ में हजारों अभ्यर्थियों ने उस रात यह साबित किया कि सरकारी नौकरी की राह केवल परीक्षा केंद्र तक नहीं जाती। वह ट्रेन की भीड़, स्टेशन की फर्श और पॉलीथिन की ठंड से होकर गुजरती है। वे युवा जो आज अपने सपनों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, कल वही व्यवस्था सुधारने का हिस्सा बनेंगे।