School children Heart Screening: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम और संवेदनशील कदम उठाया है, जिससे राज्य के लाखों स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। राज्य सरकार अब 5 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों की दिल से जुड़ी बीमारियों की मुफ्त स्क्रीनिंग कराने जा रही है। यह योजना न केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित होगी, बल्कि निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी इसके दायरे में आएंगे। यह पहल बच्चों में बढ़ रही हार्ट अटैक की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए की गई है, ताकि समय रहते खतरनाक बीमारियों की पहचान कर इलाज सुनिश्चित किया जा सके।
इस अभियान का मुख्य फोकस दिल की उस बीमारी पर है जिसे रूमेटिक हृदय रोग (Rheumatic Heart Disease - RHD) कहा जाता है। इस बीमारी में दिल के वाल्व में सिकुड़न और लीकेज की समस्या पैदा हो जाती है। पीजीआई लखनऊ के कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आदित्य कपूर का कहना है कि विश्व में RHD के जितने मामले सामने आते हैं, उनमें से लगभग 50 प्रतिशत भारत में होते हैं।
डॉ. कपूर के मुताबिक RHD बच्चों में आमतौर पर गले में संक्रमण या बुखार से शुरू होकर धीरे-धीरे दिल पर असर डालता है। यदि समय रहते इलाज न हो तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। पीजीआई की ओपीडी में हर दिन लगभग पांच बच्चे इस बीमारी के लक्षणों के साथ आते हैं। कई बार मरीज रेफरल होकर बहुत देर से पहुंचते हैं, जिससे इलाज कठिन हो जाता है।
बीते कुछ महीनों में प्रदेश में बच्चों की असमय मौतों की कई घटनाएं सामने आई हैं, जो इस अभियान के पीछे की मुख्य वजह बनीं। उदाहरण के लिए:
इन सभी मामलों में प्रारंभिक लक्षणों को नजरअंदाज किया गया था। यदि समय पर स्क्रीनिंग और इलाज हो गया होता, तो शायद इन बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
यह अभियान "आरएचडी रोको" पहल के तहत चलाया जा रहा है, जिसे पीजीआई, स्टैनफोर्ड बायोडिज़ाइन और उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलकर तैयार किया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा और पीजीआई निदेशक पद्मश्री डॉ. आरके धीमान इस योजना का नेतृत्व कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम की शुरुआत अगस्त 2025 से लखनऊ में होगी, जिसके बाद इसे प्रदेश के अन्य जिलों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। योजना का मकसद सिर्फ बीमारी की पहचान करना नहीं है, बल्कि उसका संपूर्ण इलाज और फॉलोअप भी करना है।
डॉ. आदित्य कपूर के अनुसार बच्चों की स्क्रीनिंग चार चरणों में की जाएगी:
इस योजना में अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना गया है। हर स्कूल में अभिभावक-शिक्षक बैठक के माध्यम से बच्चों में हार्ट से संबंधित लक्षणों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा जनजागरूकता पोस्टर, ऑडियो-विजुअल क्लिप और मोबाइल मैसेज के माध्यम से अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी कि किन लक्षणों को गंभीरता से लेना है।
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Published on:
31 Jul 2025 09:41 am