Nagar Nigam Lucknow : नगर निगम लखनऊ में हाल ही में तीन पीसीएस स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति के बाद प्रशासनिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। हालांकि इनकी तैनाती सहायक नगर आयुक्त के रूप में की गई है, लेकिन नगर आयुक्त गौरव कुमार द्वारा अभी तक किसी को भी जोनल अधिकारी का स्थायी प्रभार नहीं सौंपा गया है। बरसात के इस अस्थिर मौसम में तात्कालिक तौर पर केवल विभागीय जिम्मेदारी दी गई हैं, जिससे जोनल कुर्सियों को लेकर सस्पेंस और भी गहरा गया है।
लखनऊ नगर निगम में तीन पीसीएस अधिकारियों की एंट्री को एक अहम प्रशासनिक बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। जिन तीन अधिकारियों की नियुक्ति हुई है, उनमें विनीत कुमार सिंह, रामेश्वर प्रसाद और विकास सिंह प्रमुख हैं। तीनों को सहायक नगर आयुक्त बनाया गया है और उन्हें विभिन्न विभागों की जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं:
इन तीनों अधिकारियों की तैनाती उन इलाकों में की गई है जहां पहले कार्यवाहक अधिकारी काम संभाल रहे थे और कोई स्थायी पीसीएस स्तर का अफसर नहीं था।
नगर निगम में कुल 8 से अधिक जोन हैं, जहां जोनल अधिकारियों की नियुक्ति का कार्य सामान्यत: पीसीएस स्तर के अधिकारियों को सौंपा जाता है। लेकिन वर्तमान में कई जोन ऐसे हैं जहां प्रभारी के तौर पर कार्यरत अधिकारी ही काम देख रहे हैं। इन नए अफसरों की नियुक्ति के बाद यह माना जा रहा था कि जल्द ही जोनल स्तर पर पुनर्गठन होगा, लेकिन अभी तक नगर आयुक्त गौरव कुमार द्वारा इस संबंध में कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार, नगर आयुक्त और तीनों नए अफसरों की हाल ही में मुलाकात भी हुई, लेकिन बातचीत के बाद भी यह साफ नहीं हो सका कि किस अधिकारी को कौन सा जोन सौंपा जाएगा।
नगर निगम के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में जोनल कुर्सियों को लेकर निर्णय टालने का एक प्रमुख कारण बरसात का मौसम है। नगर निगम इस समय जलभराव, नाले-नालियों की सफाई, सड़कों की मरम्मत, जल निकासी और आपातकालीन नियंत्रण जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में स्थायी जोनल बदलाव करने से कार्य की निरंतरता प्रभावित हो सकती है। नगर आयुक्त ने शायद इसीलिए फिलहाल इन नए अफसरों को विभागीय जिम्मेदारिया देकर स्थिति स्थिर रखने की कोशिश की है। लेकिन इस स्थिति ने मौजूदा प्रभारी जोनल अधिकारियों में बेचैनी पैदा कर दी है।
जोनल प्रभारी पदों पर कार्यरत कई अधिकारियों में अब अपनी कुर्सी बचाने को लेकर हलचल तेज हो गई है। सूत्रों की मानें तो कुछ अधिकारी अपने वरिष्ठों से लगातार मेलजोल बना रहे हैं, तो कुछ "संपर्क साधना" के जरिए अंदरखाने सक्रिय हो गए हैं। चर्चा यह भी है कि कुछ जोनल प्रभारी राजनीतिक और पार्षद स्तर तक पहुंच बना कर अपने पद को सुरक्षित रखने की कोशिश में जुटे हैं।
प्रशासनिक गलियारों में एक और चर्चित पहलू यह है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी मौजूदा माहौल में यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि पीसीएस अफसरों की परफॉर्मेंस अतीत में कोई खास नहीं रही है। ऐसे में वे यह तर्क दे रहे हैं कि वर्तमान प्रभारी अधिकारी भी कुशलता से कार्य कर रहे हैं और उन्हें ही जिम्मेदारी जारी रखनी चाहिए।
निगम कार्यालय में देखा जा रहा है कि कुछ अफसरों ने हाल ही में विभागीय समन्वय और एकजुटता दिखाने का नया नाटक भी शुरू कर दिया है। यह "एकजुटता" फिलहाल आंतरिक राजनीति से अधिक जुड़ी नजर आ रही है, क्योंकि हर किसी की निगाहें जोनल कुर्सियों पर हैं। इन परिस्थितियों में यह स्पष्ट हो गया है कि जोनल जिम्मेदारियों को लेकर निर्णय अब "अगली फाइल" खुलने के बाद ही लिया जाएगा।
नगर निगम का जोनल सिस्टम सीधे तौर पर जनता और पार्षदों से जुड़ा रहता है। ऐसे में यह स्वाभाविक है कि जोनल नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप या दबाव की भूमिका भी बन सकती है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कुछ जोन ऐसे हैं जिनकी कमान अपने चहेते अधिकारियों को दिलाने के लिए पार्षदों और राजनीतिक प्रतिनिधियों के प्रयास शुरू हो चुके हैं।
जैसे ही बारिश का मौसम खत्म होता है, नगर निगम को सड़कों की मरम्मत, सफाई, ट्रैफिक कंट्रोल और दुर्गा पूजा-दशहरा जैसे आयोजनों की तैयारियों में जुटना होगा। ऐसे में यदि अभी जोनल अधिकारियों की नियुक्ति नहीं होती, तो नए नियुक्त अधिकारी कार्यभार संभालने में पर्याप्त समय नहीं पा सकेंगे। इससे प्रशासनिक संचालन पर असर पड़ सकता है।
फिलहाल नगर आयुक्त गौरव कुमार की रणनीति स्पष्ट नहीं है। वे शायद समय का इंतज़ार कर रहे हैं कि परिस्थितियाँ पूरी तरह अनुकूल हो जाएं और फिर सही समय पर फैसला लिया जाए। हालांकि महकमे के अंदरूनी माहौल में इस देरी को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
Published on:
01 Aug 2025 08:22 am