Rinku Singh Faces Double Blow: भारतीय क्रिकेटर और आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से खेल चुके रिंकू सिंह को बीते एक महीने में दो बड़े झटके लगे हैं। एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के पद पर नियुक्त करने की प्रक्रिया रोक दी गई है, वहीं दूसरी ओर भारत निर्वाचन आयोग ने उन्हें मतदाता जागरूकता अभियान के लिए नामित ‘आइकन’ पद से हटा दिया है। एक तरफ जहां सरकार द्वारा खिलाड़ियों को सम्मानित कर उन्हें सरकारी नौकरी देने की पहल की जा रही है, वहीं रिंकू सिंह के मामले में शैक्षिक योग्यता आड़े आ गई है। दूसरी ओर, उनकी राजनीतिक जुड़ाव की संभावनाओं ने निर्वाचन आयोग को भी सतर्क कर दिया है।
बीते महीने राज्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 11 खिलाड़ियों को विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। इस क्रम में रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के पद पर नियुक्त करने का प्रस्ताव सामने आया। उनके चयन की फाइल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष भेजी गई थी। हालांकि, यह प्रक्रिया उस समय अटक गई जब यह सामने आया कि रिंकू सिंह केवल आठवीं कक्षा तक शिक्षित हैं, जबकि बीएसए पद के लिए नियमानुसार अभ्यर्थी का पोस्ट ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने बताया कि रिंकू सिंह से शैक्षिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे। लेकिन प्रस्तुत दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ कि उनकी शैक्षणिक योग्यता निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है। इस आधार पर उनकी फाइल को स्थगित कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार, बीएसए पद पर तैनाती के लिए न केवल पोस्ट ग्रेजुएट होना जरूरी है, बल्कि शैक्षणिक प्रबंधन से जुड़ा अनुभव भी अपेक्षित है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यदि रिंकू सिंह को यह नियुक्ति मिल भी जाती, तो उन्हें सात वर्षों के भीतर स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करनी होती। उनकी वर्तमान शैक्षिक योग्यता और उम्र को देखते हुए यह लगभग असंभव प्रतीत होता है। यही कारण है कि शासन स्तर पर भी इस नियुक्ति पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
इस बीच रिंकू सिंह को एक और बड़ा झटका तब लगा जब भारत निर्वाचन आयोग ने उन्हें मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचन सहभागिता (SVEEP) कार्यक्रम से हटा दिया। चुनाव आयोग ने उन्हें कुछ माह पूर्व ही उत्तर प्रदेश में मतदाता जागरूकता अभियान का आइकन नियुक्त किया था। लेकिन हाल ही में समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज के साथ उनकी सगाई की खबरें सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने यह कदम उठाया। आयोग का मानना है कि चुनावों के पूर्व इस तरह के राजनीतिक संबंध निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते हैं।
SVEEP कार्यक्रम के तहत आयोग विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों को अपने जागरूकता अभियानों से जोड़ता है, ताकि मतदाताओं में मतदान के प्रति जागरूकता लाई जा सके। लेकिन किसी राजनीतिक दल से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी हस्ती को इससे जोड़े रखना आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगा सकता है।
राज्य सरकार ने बीते आठ वर्षों में खेल क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास किया है। एक तरफ ग्रामीण क्षेत्रों तक खेल सुविधाएं विकसित की गई हैं, वहीं पदक विजेता खिलाड़ियों को सम्मानित कर उन्हें नौकरी देने की व्यवस्था भी की गई है। खिलाड़ियों के लिए नीति के अंतर्गत तय किया गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और राज्य का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को शासकीय सेवाओं में अवसर दिया जाएगा। इसी कड़ी में रिंकू सिंह का नाम भी शामिल हुआ था।
पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा 11 खिलाड़ियों की सूची तैयार की गई थी, जिसमें से कई को नियुक्तियां मिल चुकी हैं। लेकिन रिंकू सिंह की नियुक्ति पर शैक्षिक योग्यता की शर्त भारी पड़ गई।
रिंकू सिंह का समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज से सगाई की खबरें सार्वजनिक होते ही यह सवाल उठने लगे कि क्या उनका किसी राजनीतिक दल से निकटता उनकी नियुक्तियों और जिम्मेदारियों को प्रभावित कर रही है। चुनाव आयोग द्वारा उठाया गया कदम भी इसी दिशा में देखा जा रहा है। आयोग का मानना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए राजनीतिक रूप से निष्पक्ष हस्तियों को ही जागरूकता अभियानों में जोड़ा जाना चाहिए।
बेसिक शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि रिंकू सिंह की नियुक्ति प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित किया गया है। यदि भविष्य में वे निर्धारित शैक्षिक योग्यता को पूरा कर पाते हैं, तो मामला पुनर्विचार के लिए खोला जा सकता है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने भी SVEEP कार्यक्रम में किसी नए आइकन की घोषणा नहीं की है, लेकिन संभावना है कि रिंकू सिंह की जगह किसी और ख्यातिप्राप्त हस्ती को जोड़ा जाएगा।
संबंधित विषय:
Published on:
02 Aug 2025 07:53 am