Weather Analytical Report: उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में इस वक्त गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं लेकिन जो बात सबसे ज्यादा चौंका रही है, वो है — रात में भी न गर्मी कम हो रही है, न राहत मिल रही है। पहले जहां रात होते ही तापमान गिरने लगता था, अब रात 11 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक भी तापमान 35 से 38 डिग्री के आसपास बना रहता है। सवाल है — आखिर रात में भी इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है?
इस बार की अत्यधिक गर्मी के पीछे एक बड़ा कारण है जिसे वैज्ञानिक भाषा में "हीट डोम" कहा जाता है। यह एक उच्च दबाव वाला सिस्टम होता है जो किसी इलाके को एक ढक्कन की तरह ढक लेता है और गर्म हवा को नीचे ही कैद कर देता है। इससे न सिर्फ दिन में सूरज की किरणें जमीन को सीधे और ज्यादा गर्म करती हैं, बल्कि रात के समय भी गर्मी बाहर नहीं निकल पाती है। यही कारण है कि रातों को भी उमस और गर्मी बेहिसाब बढ़ रही है।
जब लगातार कई दिनों तक पारा 44-46 डिग्री पर बना रहता है, तो धरती की सतह और इमारतें दिनभर गर्म होकर रात में भी गर्मी छोड़ती रहती हैं लेकिन हीट डोम की वजह से ये गर्मी वातावरण में फैल नहीं पाती और आसपास ही घूमती रहती है।नतीजन, रात को भी तेज गर्म हवा महसूस होती है और ठंडी नींद अब एक लग्जरी बनती जा रही है।
पिछले सप्ताह लखनऊ में अधिकतम तापमान 42.4°C (15 मई) और न्यूनतम तापमान 25.6°C (20 मई) दर्ज किया गया। पूरे सप्ताह गर्मी का प्रकोप बना रहा, तापमान 37°C से ऊपर रहा। हालांकि 21 मई को तापमान में हल्की गिरावट और बारिश की संभावना से लोगों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई गई लेकिन ये ज्यादा समय तक ठीक नहीं पाया और गर्मी बरकरार रही।
शहरों में सीमेंट, डामर और कंक्रीट की भरमार है जो गर्मी को दिनभर सोखते हैं और रात में धीरे-धीरे छोड़ते हैं। इसे "अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट" कहा जाता है। इसका मतलब है कि शहरों में रहने वालों को गांव या कस्बों के मुकाबले ज्यादा रात की गर्मी झेलनी पड़ रही है।
अमेरिका और भारत में हुई कई रिसर्च यह बता चुकी है कि रात के समय अगर तापमान ज्यादा रहता है, तो शरीर को आराम और रिकवरी का मौका नहीं मिलता। इससे हृदय रोग, स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और नींद की भारी कमी जैसे खतरे बढ़ जाते हैं।
इस बार की गर्मी केवल दिन में नहीं, बल्कि रातों को भी धीरे-धीरे हमें जला रही है। इसका सबसे बड़ा कारण प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन और हीट डोम जैसी घटनाएं हैं। अब वक्त आ गया है कि हम केवल AC या कूलर के भरोसे न रहकर, गर्मी के वैज्ञानिक कारणों को समझें और सतर्क रहें।
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Updated on:
22 May 2025 09:20 pm
Published on:
22 May 2025 09:19 pm