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जातीय जनगणना पर गरमाई सियासत: संजय निषाद ने बताया ऐतिहासिक कदम, सपा सांसद ने कहा– चुनावी हथकंडा

केंद्र सरकार की जातीय जनगणना योजना पर सियासत तेज हो गई है। मंत्री संजय निषाद ने इसे सामाजिक न्याय का बड़ा कदम बताया, वहीं सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने भाजपा पर चुनावी फायदे के लिए जनगणना का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। पूरी रिपोर्ट पढ़ें।

लखनऊ

Nishant Kumar

May 01, 2025

जातीय जनगणना
अवधेश प्रसाद और संजय निषाद

केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना को मंजूरी देने के फैसले पर देश की राजनीति में हलचल मच गई है। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ. संजय निषाद ने जहां इसे ऐतिहासिक और सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम" बताया, वहीं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद अवधेश प्रसाद ने इसे "चुनावी माहौल को साधने की कोशिश" करार दिया।

भाजपा की ऐतिहासिक पहल: संजय निषाद

कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि भाजपा ने ऐसा कदम उठाया है, जो आज़ादी के बाद पहली बार होने जा रहा है। उन्होंने कहा,”अब सामान्य जनगणना में जाति का कॉलम भी शामिल किया जाएगा, जिससे ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों की सही हिस्सेदारी सुनिश्चित की जा सकेगी।"

निषाद ने ब्रिटिश काल का जिक्र करते हुए कहा कि 12 अक्टूबर 1871 को उनकी जातियों को 'क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट' के तहत अपराधी घोषित कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि आज़ादी के बाद भी इन जातियों को न्याय नहीं मिल पाया।

उन्होंने कहा कि 1994 में कई जातियों को एससी से हटाकर ओबीसी में डाल दिया गया था, और 2016 में संघर्ष के बाद ही उनका दर्जा बहाल हुआ।"जातीय जनगणना से अब इन समुदायों को आबादी के अनुपात में अवसर और प्रतिनिधित्व मिलेगा,"उन्होंने कहा।

सपा का पलटवार: 'सब चुनावी नाटक'

दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने जातीय जनगणना का समर्थन तो किया, लेकिन केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा,"यह फैसला बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया गया है। भाजपा सिर्फ घोषणाएं करती है, ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं करती।"*

उन्होंने आरोप लगाया कि महिला आरक्षण की घोषणा भी इसी तरह अधूरी रह गई है। जब तक जातीय जनगणना नहीं होती, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा रहेगा। उन्होंने भाजपा पर "दोहरा मापदंड" अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि सपा बाबा साहेब के विचारों पर चलती है और एक समतामूलक भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

अंबेडकर की तस्वीर पर भी घमासान

भाजपा द्वारा अखिलेश यादव के एक पोस्टर में बाबा साहेब आंबेडकर की तस्वीर लगाने पर नाराजगी जताने को लेकर भी अवधेश प्रसाद ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जब गृहमंत्री संसद में बाबा साहेब पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं, तब भाजपा खामोश क्यों रहती है? 

क्या है जातीय जनगणना?

जातीय जनगणना में देश की जनसंख्या को उनकी जातियों के आधार पर दर्ज किया जाता है। भारत में पिछली बार 1931 में जाति आधारित जनगणना हुई थी। अब लगभग एक सदी बाद केंद्र सरकार इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करने जा रही है।

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नजरें अब आगे की प्रक्रिया पर

जातीय जनगणना को लेकर देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के अलग-अलग रुख से साफ है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में बड़ा राजनीतिक विषय बन सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस प्रक्रिया को कितनी पारदर्शिता और प्रभावशीलता से लागू कर पाती है।