UP Crime Suicide or Murder Follow up: राजधानी लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में सोमवार को एक बेहद रहस्यमयी और सनसनीखेज मामला सामने आया, जब चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजकुमार सिंह की संदिग्ध हालात में गोली लगने से मौत हो गई। यह वारदात गोमतीनगर एक्सटेंशन के विंड क्लब के पास घटी, जहां राजकुमार का शव उनके ही वाहन के पास पड़ा मिला। शव के पास एक जर्मन मेड रिवॉल्वर भी बरामद हुई है, जिससे गोली चलने की पुष्टि हुई है। हालांकि, अब तक पुलिस यह पता नहीं लगा पाई है कि यह रिवॉल्वर किसकी है और उसका लाइसेंस धारी कौन है।
55 वर्षीय राजकुमार सिंह उत्तर प्रदेश चकबंदी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष थे और विभागीय मामलों में काफी सक्रिय माने जाते थे। घटना स्थल पर शव के पास मिली रिवॉल्वर उनके हाथ के नीचे पड़ी थी, जिससे यह प्रतीत होता है कि गोली नजदीक से चलाई गई। प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन परिजनों द्वारा हत्या की आशंका जताए जाने के बाद मामले ने नया मोड़ ले लिया है।
राजकुमार सिंह के परिजनों ने घटनास्थल पर पहुंचकर संपत्ति और रुपयों के लेन-देन के विवाद को लेकर हत्या की आशंका जाहिर की थी। परिजनों का संदेह रायबरेली के एक व्यापारी पर था, जिनका नाम उन्होंने मौखिक रूप से लिया, लेकिन अब तक कोई भी लिखित तहरीर पुलिस को नहीं दी गई है। इससे पुलिस की जांच प्रक्रिया अधर में लटक गई है।
स्थानीय थाना सुशांत गोल्फ सिटी के इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार सिंह के अनुसार, अब तक राजकुमार के परिजनों ने कोई तहरीर नहीं दी है। उन्होंने बताया कि शव के पास जो हथियार मिला है, वह जर्मन मेड रिवॉल्वर है, लेकिन उसका लाइसेंस धारक कौन है, इसका रिकॉर्ड पुलिस को अब तक नहीं मिल सका है। पुलिस द्वारा आयुध विभाग और लाइसेंसिंग शाखा से संपर्क किया गया है, लेकिन कोई पुष्टि नहीं हो सकी है।
राजकुमार सिंह के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और पुलिस को रिपोर्ट का इंतजार है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो सकेगा कि गोली किस दिशा से चली, कितनी दूरी से मारी गई और क्या यह आत्महत्या थी या साजिशन हत्या। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की दिशा तय की जाएगी।
घटनास्थल के पास कोई CCTV कैमरा नहीं है, जिससे घटना के समय की स्थिति का आकलन करना मुश्किल हो गया है। पुलिस आसपास के क्षेत्रों में लगे कैमरों की फुटेज खंगाल रही है ताकि यह पता चल सके कि वारदात के समय कोई संदिग्ध व्यक्ति वहां मौजूद था या नहीं।
राजकुमार सिंह की विभागीय सक्रियता के चलते उनकी कुछ लोगों से तनातनी भी मानी जा रही थी। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने हाल ही में चकबंदी विभाग में कुछ अनियमितताओं को उजागर किया था, जिससे कई प्रभावशाली लोग उनसे नाराज चल रहे थे। इस पहलू को भी पुलिस गंभीरता से जांच रही है।
राजकुमार सिंह की मौत के बाद सामाजिक संगठनों और कर्मचारी संघों में शोक की लहर दौड़ गई है। कर्मचारी संगठनों ने राजकुमार की मौत को सुनियोजित हत्या बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, कुछ राजनीतिक संगठनों ने भी इस मामले को सदन में उठाने की बात कही है।
घटना के 24 घंटे बाद भी पुलिस अब तक यह तय नहीं कर सकी है कि रिवॉल्वर किसकी है और किसके लाइसेंस पर खरीदी गई थी। इस बात को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। आम जनता में इस बात को लेकर आक्रोश है कि एक विभागीय अध्यक्ष की हत्या जैसे गंभीर मामले में भी पुलिस इतनी सुस्त क्यों है।
Published on:
05 Aug 2025 10:02 am