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BSP Meeting Lucknow: अच्छे दिन हम लाएंगे -मायावती का संकल्प, बोलीं सत्ता की चाबी से ही बदलेंगे बहुजन समाज के दिन

Mayawati Meeting Lucknow : बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को लखनऊ में ओबीसी नेताओं की बैठक में कहा-अच्छे दिन हम लाएंगे, बशर्ते सत्ता की चाबी हमारे पास हो।” उन्होंने सपा-भाजपा को जातिवादी बताते हुए ओबीसी समाज से बसपा के साथ आने की अपील की। साथ ही कहा, “सवर्ण खुद-ब-खुद पार्टी से जुड़ेंगे।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Nov 01, 2025

‘सवर्ण खुद आ जाएंगे, उनके लिए अलग संगठन की जरूरत नहीं’     (फोटो सोर्स :   Ritesh Singh  )  

‘सवर्ण खुद आ जाएंगे, उनके लिए अलग संगठन की जरूरत नहीं’     (फोटो सोर्स :   Ritesh Singh  )  

BSP Meeting Lucknow Mayawati Latest Statement: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती इन दिनों पूरी तरह एक्शन मोड में हैं। विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारी में जुटी मायावती लगातार विभिन्न वर्गों से संवाद बढ़ा रही हैं। शनिवार को उन्होंने लखनऊ में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेताओं के साथ बड़ी बैठक की, जिसमें उन्होंने संगठन को मजबूत करने, समाज से जुड़ाव बढ़ाने और राजनीतिक रणनीति पर विस्तार से चर्चा की।

इस बैठक में मायावती ने साफ कहा कि अच्छे दिन हम लाएंगे, लेकिन इसके लिए सत्ता की चाबी हमें हासिल करनी होगी। सवर्ण समाज समझदार है, जब उसे लगेगा कि उसका हित बसपा में सुरक्षित है, तो वह खुद-ब-खुद हमारे साथ आ जाएगा। यह बयान सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि बसपा की रणनीति में बदलाव का संकेत भी है। पिछले कुछ समय से मायावती दलित-मुस्लिम और अब ओबीसी वर्गों को जोड़ने में पूरी ताकत झोंक रही हैं।

ओबीसी नेताओं की बैठक- संगठन में नई ऊर्जा भरने की कोशिश

‘पिछड़ा वर्ग समाज भाईचारा संगठन’ के बैनर तले यह बैठक करीब एक घंटे तक चली। बैठक में 250 से अधिक ओबीसी पदाधिकारी शामिल हुए। हालांकि, मायावती के भतीजे और राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद तथा वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा इस बैठक में मौजूद नहीं रहे। पार्टी सूत्रों के अनुसार आकाश आनंद बिहार चुनाव अभियान में व्यस्त होने के कारण अनुपस्थित थे। बैठक में मायावती ने ओबीसी नेताओं से संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने के निर्देश दिए और कहा कि समाज के हर वर्ग में बसपा का संदेश पहुँचाना ही अब प्राथमिकता है।

दो दिन पहले मुस्लिम नेताओं से हुई थी बैठक

यह बैठक मायावती की लगातार चल रही रणनीतिक बैठकों की श्रृंखला का हिस्सा है। दो दिन पहले उन्होंने मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की थी और कहा था कि भाजपा को हराना है तो सपा नहीं, बसपा को वोट दीजिए। इससे पहले उन्होंने अक्टूबर में चार बड़ी बैठकें और एक रैली की थी। 9 अक्टूबर को लखनऊ में विशाल रैली, 16, 19 और 30 अक्टूबर को पार्टी के 400-400 नेताओं के साथ रणनीतिक बैठकों का आयोजन हुआ था।

 मतदाता सूची पर फोकस -मायावती का सख्त निर्देश

बैठक में मायावती ने चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान (SIR) पर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि बसपा के वोटर्स का नाम मतदाता सूची से किसी भी कीमत पर कटने नहीं देना है। हर जिले के पदाधिकारी इस दिशा में गंभीरता से काम करें। इसके अलावा उन्होंने पार्टी को आर्थिक सहयोग देने की अपील की और संगठनात्मक गतिविधियों की समीक्षा की। उनका कहना था कि अगर पार्टी को सत्ता में वापसी करनी है, तो जमीनी स्तर पर सक्रियता दिखानी होगी।

सवर्ण खुद आ जाएंगे, उनके लिए अलग संगठन की जरूरत नहीं’

मायावती ने अपने संबोधन में कहा कि अपर कास्ट (सवर्ण) समाज अब पहले से कहीं अधिक राजनीतिक रूप से जागरूक है। इनको पार्टी से जोड़ने के लिए अलग से भाईचारा संगठन बनाने की जरूरत नहीं है। जब वे देखेंगे कि बसपा में हर वर्ग का सम्मान है और उनका हित सुरक्षित है, तो वे खुद हमारे साथ जुड़ेंगे। यह बयान मायावती की उस सोच की झलक देता है, जिसमें वे अब सिर्फ दलित या मुस्लिम राजनीति तक सीमित नहीं रहना चाहतीं, बल्कि ओबीसी और सवर्ण वर्गों को भी अपने साथ जोड़ना चाहती हैं।

सत्ता की चाबी से ही आएंगे अच्छे दिन

मायावती ने कहा कि बसपा के शासन में हर वर्ग- विशेषकर ओबीसी  का सम्मान और हक सुरक्षित रहा। जब बसपा की सरकार होती है, तब पिछड़े वर्ग को आत्मसम्मान और रोजगार दोनों मिलता है। लेकिन सपा, भाजपा और कांग्रेस केवल चुनावी जुमले देती हैं। ये पार्टियां ओबीसी समाज के संवैधानिक हकों और आरक्षण को लेकर हमेशा जातिवादी रहीं हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता की चाबी अगर बसपा के हाथ में आई, तो अच्छे दिन वास्तव में आएंगे, न कि केवल नारों में।

 ‘बामसेफ’ को लेकर मायावती ने साफ किया भ्रम

बैठक में मायावती ने ‘बामसेफ (BAMCEF)’ को लेकर चल रहे भ्रम पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बामसेफ कोई राजनीतिक संगठन नहीं है। यह शिक्षित कर्मचारियों का सामाजिक संगठन है, जिसकी स्थापना कांशीराम जी ने की थी। इसका मकसद बहुजन समाज को जागरूक करना है, न कि राजनीति करना। उनका कहना था कि बामसेफ का नाम लेकर विपक्ष भ्रम फैलाने की कोशिश करता है, जबकि असली बामसेफ बहुजन विचारधारा की आत्मा है।

ओबीसी समाज में एकता जरूरी’

मायावती ने कहा कि ओबीसी समाज की कई जातियाँ आपस में बंटी हुई हैं। कुछ जातियाँ अपने-अपने संगठन और पार्टी बनाकर बिखर गई है, जिससे उनकी एकता कमजोर पड़ी है। इसी का फायदा जातिवादी पार्टियाँ चुनावों में उठाती हैं। उन्होंने ओबीसी नेताओं से अपील की कि वे समाज में एकता लाने और बसपा की नीतियों को हर गाँव तक पहुँचाने का काम करें।

‘विरोधी दल जुमलेबाज, बसपा करती है काम’

बसपा प्रमुख ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि सपा और भाजपा ने ओबीसी वर्ग के लिए अब तक कोई ठोस कार्य नहीं किया। वे केवल हवा-हवाई बातें करते हैं। बसपा ने हमेशा सामाजिक न्याय, रोजगार और आत्म-सम्मान की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। मायावती ने कहा कि बसपा की चार बार की सरकारें इस बात का प्रमाण है कि ओबीसी वर्ग के लिए सबसे ज्यादा काम उनकी पार्टी ने किया है।

बैठक के अंत में मायावती ने कहा कि आगामी चुनाव बसपा के पुनर्जागरण का अवसर हैं। उन्होंने पदाधिकारियों से कहा कि वे न तो निराश हों और न ही ढिलाई बरतें। हमें जनता के बीच जाना है, लोगों को यह विश्वास दिलाना है कि बसपा ही वह पार्टी है जो सबको साथ लेकर चलती है।