Flood Fury in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गंगा, यमुना और अन्य नदियों के बढ़ते जलस्तर ने हालात गंभीर बना दिए हैं। लगातार बारिश और ऊपरी क्षेत्रों से पानी छोड़े जाने के कारण वाराणसी, कौशांबी, बहराइच, प्रयागराज समेत कई जिलों के गांव और शहरी इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में जलस्तर में गिरावट शुरू हो गई है, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी जिले में संसाधनों की कमी न होने पाए। प्रत्येक जिले में कंट्रोल रूम 24 घंटे सक्रिय रखा गया है और हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने जनता से अफवाहों पर ध्यान न देने और केवल प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
वाराणसी में बाढ़ प्रभावित इलाकों जैसे सामने घाट, ज्ञान प्रवाह, अस्सी और नगवा में राहत व बचाव कार्य जारी है। महापौर और जिलाधिकारी ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनीं। काशी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से हालात की मॉनिटरिंग की जा रही है।
गंगा नदी का जलस्तर प्रति घंटे 4 सेंटीमीटर की दर से घट रहा है और शुक्रवार सुबह यह 71.58 मीटर दर्ज किया गया। हालांकि जलस्तर में गिरावट के साथ संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ गया है। नगर आयुक्त अशोक कुमार तिवारी ने अधिकारियों को विशेष साफ-सफाई, एंटी-लार्वा छिड़काव और फॉगिंग अभियान तेज करने के निर्देश दिए हैं। वरुणा और गंगा किनारे के नक्खी घाट, पुलकोहना, शक्कर तालाब, सामने घाट, अस्सी और नगवा में विशेष अभियान चल रहा है।
कौशांबी जिले के चायल तहसील के कटैया और बड़हरी गांवों के संपर्क मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। जिला प्रशासन ने नावों की व्यवस्था कर ग्रामीणों की आवाजाही सुनिश्चित की है। बाढ़ चौकियों पर एंटी-वेनम इंजेक्शन और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की गई है। हालांकि, अधिकांश लोग राहत चौकियों के बजाय आसपास के सुरक्षित गांवों में शरण ले रहे हैं।
बहराइच में घाघरा नदी के उफान और भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और घाघरा घाट गेज स्टेशन पर जलस्तर व जलप्रवाह की जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने बाढ़ चौकियों और चिकित्सा शिविरों का निरीक्षण किया। मंत्री ने ग्रामीणों को खाद्य सामग्री किट वितरित करते हुए आश्वासन दिया कि सरकार संकट की घड़ी में पूरी तरह उनके साथ है। जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी और एसपी रामनयन सिंह भी लगातार हालात की समीक्षा कर रहे हैं। नावों के जरिए राहत सामग्री और दवा किट प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाई जा रही हैं।
प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया है। गंगा का फाफामऊ में जलस्तर 155 सेंटीमीटर और यमुना का नैनी में 123 सेंटीमीटर कम हुआ है। जलस्तर घटने से कई क्षेत्रों में पानी निकलना शुरू हो गया है, लेकिन प्रशासन अभी भी सतर्क है।
जलस्तर में गिरावट के बाद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमों को सक्रिय कर दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में दवा किट वितरित की जा रही है और मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए फॉगिंग व एंटी-लार्वा छिड़काव किया जा रहा है। अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे केवल उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पिएं, खुले में रखे खाने से बचें और किसी भी बीमारी के लक्षण दिखते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
राहत शिविरों में बड़ी संख्या में लोग शरण लिए हुए हैं। नावों की आवाजाही लगातार जारी है, जिससे फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा सके। जिला प्रशासन ने बाढ़ चौकियों पर पर्याप्त भोजन, पानी, दवाएं और चिकित्सा कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित की है। हालांकि, कई ग्रामीण इलाकों में अब भी सड़क संपर्क बहाल नहीं हो सका है। बरसाती नालों के उफान और कटाव से खेतों में खड़ी फसलें भी प्रभावित हुई हैं। कृषि विभाग ने प्राथमिक सर्वे शुरू कर दिया है, ताकि नुकसान का आकलन कर किसानों को मुआवजा दिलाया जा सके।
प्रदेश के अधिकांश जिलों में बारिश का दौर थमने से जलस्तर में कमी आई है। फिर भी ऊपरी क्षेत्रों से पानी छोड़े जाने की संभावना बनी हुई है, जिससे निचले इलाकों में खतरा बरकरार है। प्रशासन ने अगले कुछ दिनों तक अलर्ट मोड में रहने का निर्णय लिया है।
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Published on:
08 Aug 2025 09:29 am