,Ayodhya Lucknow Highway Bridge Damage: उत्तर प्रदेश में विकास कार्यों की गुणवत्ता पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है। अयोध्या-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित सहादतगंज बाईपास तिराहे का नया ओवरब्रिज, जिसे लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था, महज 6 महीने में ही धंस गया। बाउंड्री दीवार में भी गंभीर दरारें आ गई, जिसके बाद प्रशासन ने यातायात को तत्काल रोक दिया और मरम्मत कार्य शुरू कर दिया। यह घटना न केवल तकनीकी और प्रशासनिक लापरवाही का संकेत है, बल्कि सरकारी ठेकों और निर्माण गुणवत्ता पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है।
यह ओवरब्रिज राष्ट्रीय राजमार्ग-27 का हिस्सा है, जो अयोध्या को लखनऊ से जोड़ता है। सहादतगंज बाईपास तिराहे पर यातायात सुचारू करने के लिए इस फ्लाईओवर का निर्माण हुआ था। इसका उद्घाटन करीब छह महीने पहले ही बड़े धूमधाम से किया गया था। लेकिन अब, ब्रिज का एक हिस्सा धंस गया है। बाउंड्री में लंबी दरारें आ गई हैं, जो स्पष्ट रूप से निर्माण में खामी और नींव की कमजोरी को दर्शाती हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कई दिनों से यहां हल्की कंपन और सड़क की सतह में असमानता महसूस हो रही थी, लेकिन विभाग ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
सिविल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी भी फ्लाईओवर का डिजाइन इस तरह किया जाता है कि वह दशकों तक बिना किसी बड़े ढांचे के नुकसान के टिक सके। 6 महीने में धंसना इस बात की गवाही देता है कि
अयोध्या से लखनऊ जाने वाले एक व्यापारी ने कहा, “जब 150 करोड़ का ब्रिज छह महीने में धंस सकता है, तो बाकी सड़कें और पुल कितने सुरक्षित हैं .
सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए और कहा कि “लापरवाही पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
सपा और कांग्रेस ने इस घटना को लेकर सरकार पर सीधा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया: “ये है डबल इंजन का डबल करप्शन। 150 करोड़ का पुल 6 महीने में धंस गया।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह ‘विकास’ नहीं, ‘विनाश’ का उदाहरण है।
सिविल इंजीनियर प्रो. आर.के. वर्मा कहते हैं,“150 करोड़ का पुल 6 महीने में धंसना केवल तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि सिस्टम फेल्योर है। मिट्टी की जाँच, नींव की गहराई और स्ट्रक्चर टेस्ट में गंभीर चूक हुई है।”
Published on:
10 Aug 2025 11:36 am