CBCID Follow up: लखनऊ के महानगर थाने में सीबीसीआईडी में कार्यरत एएसपी मुकेश प्रताप सिंह और उनके परिवार के पांच सदस्यों के खिलाफ हत्या एवं प्रताड़ना के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई मृतक महिला नितेश सिंह की आत्महत्या की कथित संदिग्ध परिस्थितियों के बाद उसके भाई प्रमोद सिंह की तहरीर के आधार पर की गई है। मृतका का शव घर में फांसी के फंदे से लटका हुआ मिला था, लेकिन परिजनों ने हत्या और दमन का आरोप लगाया है।
मूलतः फिरोजाबाद के नगला निवासी प्रमोद सिंह, जो पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं, ने आरोप लगाया कि 30 नवंबर 2012 को उनकी बहन नितेश की शादी मुकेश प्रताप सिंह से हुई। मुकेश इटावा के भीम नगर अजीत नगर इलाके से हैं और वर्तमान में सीबीसीआईडी लखनऊ में तैनात हैं। मामले की गंभीरता तब उजागर हुई जब प्रमोद ने बताया कि शादी के समय से ही मुकेश का कोई अन्य महिला कर्मचारी के साथ अविवाहित प्रेम संबंध था, जो कि नितेश ने मुकेश के व्हाट्सएप संदेशों से जान लिया था। विरोध के बावजूद यह संबंध जारी रहा और उसके घरवालों द्वारा शिकायत करने पर उसे नजरअंदाज किया गया।
प्रमोद ने तहरीर में बताया कि नितेश को ससुराल में लगातार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। बातचीत के दौरान जब उसने यह जानकारी परिवार को दी, तो किसी ने उसकी कोई सुध ना ली और उल्टा ससुराल पक्ष ने उसे तलाक का दबाव देना शुरू कर दिया। विशेष रूप से आरोप है कि ससुराल में जब शिकायत की गई तो मामला थाने तक पहुंचने की बजाय समझौते के लिए दबाव बनाया गया। इसके अतिरिक्त रमेश चंद्र वर्मा (पिता), सुधा चंद्रा (मां), अनुभव चंद्रा (छोटा भाई) और आस्था (बहन) भी नितेश को प्रताड़ित करने में शामिल रहे।
प्रमोद के अनुसार, 30 जुलाई की दोपहर, नितेश ने फोन कर बताया कि परिवार में विवाद हो गया है और उसकी मां फांसी के फंदे से लटकी हुई पाई गई है। प्रमोद तत्काल लखनऊ पुलिस लाइन की ओर रवाना हुए, जहां उन्होंने अपनी बहन का शव घर के फर्श पर पड़ा पाया। मिली जानकारी के अनुसार, इस घटना से कुछ दिन पहले ही मुकेश वाराणसी ड्यूटी पर गए थे। परिवार ने मिलकर उससे बातचीत की और सब कुछ सामान्य बताया, लेकिन यह घटना अचानक और गहराई से पनपी हुई प्रतीत होती है।
डीसीपी मध्य शीष श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रमोद की तहरीर प्राप्त होने के आधार पर हत्या तथा उत्पीड़न की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोन संदेश, व्हाट्सएप चैट्स व परिवार के बयान एकत्रित कर मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
यह मामला कई दृष्टियों से संवेदनशील है और भारतीय दंड संहिता की महत्वाकांक्षी धाराओं के तहत आता है, जैसे:
यह मामला स्थानीय राजनीति और महिला अधिकारों की संगीन समस्या दोनों को स्पर्श करता है। कई सामाजिक संगठन और महिला अधिकार समूह इस मामले की निगरानी कर रहे हैं और न्याय व पारदर्शिता की मांग उठा रहे हैं। यदि मामला संवेदनशील रूप लेता है तो दिल्ली या लखनऊ हाईकोर्ट में लोकहित याचिका भी दायर हो सकती है।
Updated on:
05 Aug 2025 09:32 am
Published on:
05 Aug 2025 09:30 am