World Tiger Day 2025: हर साल 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे मनाया जाता है, ताकि लोगों को बाघों की घटती संख्या के बारे में जागरूक किया जा सके और उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाए जा सकें। भारत में तो बाघों को राष्ट्रीय पशु का दर्जा मिला हुआ है और यहां दुनिया के सबसे ज्यादा बाघ पाए जाते हैं। ऐसे में उनकी जान की हिफाजत और तस्करी से बचाव हमारे लिए बहुत जरूरी है।
इस खास मौके पर हम आपको एक अनोखी कहानी बताने जा रहे हैं। अक्सर आपके मन में ये ख्याल आता होगा कि बाघ के मरने के बाद उनके शव का क्या होता है। दरअसल कुछ महीने पहले राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में एक बाघ T-86 की मौत के बाद उसका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया गया। चिता सजाई गई और मुखाग्नि दी गई। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद कुछ लोगों ने सवाल उठाए कि बाघ को जलाया क्यों गया, उसे दफनाया क्यों नहीं गया? इसका जवाब सीधा है। बाघों की सुरक्षा और अंगों की तस्करी रोकने के लिए।
साल 2004 से पहले जब भी किसी बाघ की मौत होती थी, उसे गड्ढा खोदकर दफना दिया जाता था। लेकिन उसी साल सरिस्का टाइगर रिजर्व (अलवर) में एक बाघ की हत्या और उसकी हड्डियों की तस्करी का मामला सामने आया। तस्करों ने दफनाए गए बाघ का शव खोदकर अंग निकाल लिए थे। इस गंभीर घटना के बाद नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने सख्त नियम बनाए। अब किसी भी बाघ की मौत पर उसका अंतिम संस्कार यानी दाह संस्कार किया जाता है, जिससे उसकी बॉडी पूरी तरह जल जाए और कोई भी अंग तस्करी के लिए न बच पाए।
NTCA की बनाई कमेटी जिसमें वन विभाग, प्रशासन, पुलिस और NTCA के लोग शामिल होते हैं, वे सभी मौके पर मौजूद रहते हैं और पूरा ध्यान रखते हैं कि बाघ का शव पूरी तरह से जल जाए।
Published on:
29 Jul 2025 05:32 pm