
Ramayana Life Lessons for a Better Today (फोटो सोर्स: शिरीष)
Ramayana life lessons : दशरथ-पुत्र राम अपने गुणों के कारण ‘मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम’ कहलाए। वह न केवल आदर्श पुत्र, आदर्श पति और आदर्श राजा थे, बल्कि धर्म, सत्य और न्याय के प्रतीक भी थे। ‘राम’ कलियुग में भी आपके आस-पास हो सकते हैं। खुद आप उनकी श्रेणी में आ सकते हैं। उनके गुणों को अपना कर। जानते हैं श्रीराम के किन गुणों के आधार पर आप अपने अंदर या आस-पास के ‘राम’ की पहचान कर सकते हैं।
1. जो हर परिस्थिति में सच बोले और कर्तव्य-पथ पर अटल रहे– श्रीराम सदैव सत्य के मार्ग पर चले। राजा दशरथ ने कैकेयी को वरदान दिया था, यह सत्य जान कर उन्होंने बिना एक शब्द बोले अपने लिए वनवास स्वीकार कर लिया।
2. जो धर्म के मार्ग पर चले और सबके लिए इंसाफ करे– राम ने किसी भी परिस्थिति में धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा और सबके साथ इंसाफ किया। सुग्रीव और विभीषण के साथ हुए अन्याय को भी खत्म कराया।
3. जो माता-पिता और बड़ों को आदर दे– राम ने पिता के आदेश को सर्वोपरि मान राजसुख छोड़ा। उनका वचन झूठा न साबित हो, इसके लिए राजमहल छोड़ जंगल जाना कबूल किया।
4. जो मर्यादा और संयम का पालन करे– राम ने जीवन के हर क्षेत्र में मर्यादा का पालन किया और संयम भी दिखाया। सीता-स्वयंवर में शिवधनुष तोड़ने लायक शक्ति अकेले उनमें ही थी, फिर भी कभी ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं किया। कठिन से कठिन परिस्थिति में भी धैर्य नहीं खोया।
5. जो खुद से पहले समाज का भला सोचे– राम ने धर्म और समाज की रक्षा के लिए निजी सुख-दुःख को त्याग दिया। उन्होंने कभी अपने हित को महत्व नहीं दिया। एक शासक के तौर पर भी हमेशा उन्होंने जनता की भलाई को ही सबसे ऊपर रखा। अपने ज्ञान, पद और संसाधनों का उपयोग जनहित में करने वाले व्यक्ति में राम का अंश देखा जा सकता है।
6. जो कमजोरों और जरूरतमंदों की सहायता करे, सब पर समान भाव से करुणा दिखाए– राम ने दया दिखाने और प्रेम बरसाने में ऊंच-नीच का ख्याल नहीं किया। जटायु का पुत्रवत संस्कार किया, शबरी के जूठे बेर भी खाए। उन्होंने गरीब केवट का भी उद्धार किया।
7. जो वीर और साहसी हो– जहां भी जरूरी हुआ, राम ने अपनी वीरता दिखाई। इसका नाहक प्रदर्शन नहीं किया। रावण जैसे शक्तिशाली राजा का अंत किया।
8. मित्रता और सहयोगभाव– हनुमान, सुग्रीव, विभीषण जैसे मित्रों को सम्मान और सहयोग दिया।
9. जो अन्याय और अधर्म का डटकर सामना करे- श्रीराम सदैव न्याय और निष्पक्षता में विश्वास रखते थे। रावण से युद्ध भी केवल धर्म और न्याय के लिए ही किया। सुग्रीव, विभीषण जैसे मित्रों व सहयोगियों को इंसाफ दिलवाया।
10. जो रिश्तों में वफादारी रखे, निष्ठावान जीवनसाथी बने- मां-बाप-भाई-गुरू…राम ने हर रिश्ते में वफादारी दिखाई और जीवनभर केवल सीता जी को ही पत्नी माना।
Updated on:
30 Sept 2025 03:30 pm
Published on:
30 Sept 2025 03:29 pm
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