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Raksha Bandhan 2025: सिर्फ एक धागा नहीं, राखी से जुड़ी हैं ये 7 चौंकाने वाली बातें, 99% लोग नहीं जानते

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना सदियों पहले था। यह सिर्फ भाई-बहन का रिश्ता नहीं है, बल्कि भरोसे, समर्पण और प्रेम की वह डोर है जो हर रिश्ते को बांधती है और कभी नहीं टूटती। लेकिन इससे जुड़ी कई ऐसी दिलचस्प बातें हैं जो कम लोगों को ही मालूम होती हैं। आइए जानते हैं उन सभी चौंकाने वाली बातों को।

भारत

MEGHA ROY

Aug 07, 2025

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Rakhi traditions and unknown facts for 2025 फोटो सोर्स – Freepik

Raksha Bandhan 2025:रक्षाबंधन का नाम सुनते ही भाई-बहन के प्यार की वो डोर याद आती है, जो ना सिर्फ भावनाओं से जुड़ी होती है, बल्कि इतिहास, परंपरा और विज्ञान तक इसकी जड़ें फैली हुई हैं। राखी सिर्फ एक रंगीन धागा नहीं है ।यह समर्पण, सुरक्षा और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है। हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व सिर्फ एक परंपरा भर नहीं, बल्कि अनगिनत कहानियों का संवाहक है, जिनमें छुपे हैं कुछ ऐसे रहस्य और किस्से, जो आज भी बहुत से लोगों को नहीं मालूम।चलिए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ अनसुनी, लेकिन बेहद दिलचस्प बातें, जो इस त्योहार को और भी खास बना देती हैं।

द्रौपदी और श्रीकृष्ण

महाभारत में वर्णित एक कथा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तब उनकी अंगुली से रक्त बहने लगा। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया। यह घटना श्रावण पूर्णिमा की थी। कहते हैं, यही वो रक्षासूत्र था जिसकी कीमत श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय चुकाई जब उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाई।

यम और यमुना

प्राचीन कथा के अनुसार, यमराज और यमुना के बीच गहरा प्रेम था, लेकिन समय की व्यस्तता के चलते वे मिल नहीं पाते थे। एक दिन यमुना ने उपवास रखा और यमराज के आने पर उन्हें रक्षासूत्र बांधा। बदले में यमराज ने वचन दिया कि जो भी बहन अपने भाई को राखी बांधेगी, वह उसकी रक्षा का संकल्प लेगा। तभी से यह परंपरा शुरू हुई।

रानी कर्णावती और हुमायूं

मुगलकाल की एक प्रसिद्ध घटना के अनुसार, मेवाड़ की रानी कर्णावती ने जब बहादुर शाह के आक्रमण से खुद को असहाय महसूस किया, तब उन्होंने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने इस धागे की मर्यादा रखते हुए न सिर्फ उनकी रक्षा की, बल्कि राखी के मान को एक नया आयाम दिया।

पेड़-पौधों से लेकर सैनिकों तक को बांधी जाती है राखी

भारत के कई क्षेत्रों में महिलाएं पेड़, देवता, ब्राह्मण और सैनिकों को भी राखी बांधती हैं। यह परंपरा सुरक्षा और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में निभाई जाती है। खासतौर से वृक्षों को राखी बांधने की परंपरा पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी एक सुंदर पहल है।

सीमाओं के पार भी गूंजता है रक्षाबंधन का जादू

रक्षाबंधन सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। नेपाल, फिजी, मॉरीशस जैसे देशों में बसे भारतीय समुदाय इस त्योहार को उतनी ही श्रद्धा और उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व अब एक ग्लोबल कल्चरल आइडेंटिटी का रूप ले चुका है।

राखी में छिपा है विज्ञान

पारंपरिक राखियों में चंदन, केसर, हल्दी जैसे तत्वों का प्रयोग होता था, जिनमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। इस वजह से राखी पहनने वाले की कलाई ना सिर्फ सुरक्षित रहती थी, बल्कि यह एक तरह का आयुर्वेदिक स्पर्श भी माना जाता था।

5,000 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है राखी इंडस्ट्री का बाजार

आज रक्षाबंधन सिर्फ भावनाओं का त्योहार नहीं रह गया है, यह एक विशाल बाजार बन चुका है। राखियों की डिज़ाइनिंग, मिठाइयों के गिफ्ट बॉक्स, ऑनलाइन डिलीवरी, ब्रांडेड उपहार इन सब मिलाकर रक्षाबंधन के आसपास का व्यापार 5,000 करोड़ से भी अधिक का हो जाता है। ये त्योहार अब एक बड़ा बिजनेस ट्रेंड भी बन चुका है।