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Pushkar Mela 2025: ऊंटों का मेला, संस्कृति का मेला…राजस्थान का दिल कहलाने वाला पुष्कर मेला 2025, इस बार क्या रहेगा स्पेशल?

Pushkar Mela 2025: पुष्कर मेला 2025 की शुरुआत 30 अक्टूबर से हो चुकी है, जो 5 नवंबर तक चलेगा। ऊंटों की गूंज, लोकगीतों की मधुर धुन और राजस्थानी परंपराओं की झलक से सजा यह मेला हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।

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भारत

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MEGHA ROY

Nov 02, 2025

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Things to do in Pushkar Fair|फोटो सोर्स – Freepik

Pushkar Mela 2025: राजस्थान का रेगिस्तानी शहर पुष्कर एक बार फिर अपने सालाना पशु मेले के लिए तैयार है। भव्य पुष्कर मेला 2025 की शुरुआत 30 अक्टूबर से हो चुकी है, जो 5 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान देशभर से व्यापारी, पर्यटक और श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे। ऊंटों की गूंज, लोकगीतों की मधुर धुन और राजस्थानी परंपराओं की झलक से सजा यह मेला हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।इस साल भी पुष्कर की पवित्र धरती पर संस्कृति, अध्यात्म और रोमांच का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं, इस बार के मेले में क्या रहेगा खास।

2025 के मेले में इस बार कई नए आकर्षण होंगे

  • तिथियां: 30 अक्टूबर – 5 नवंबर, 2025
  • समय: सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक
  • स्थान: पुष्कर मेला ग्राउंड, पुष्कर, जिला अजमेर, राजस्थान
  • प्रवेश शुल्क: सभी आगंतुकों के लिए प्रवेश निःशुल्क है।

30 अक्टूबर से मेले की शुरुआत हो चुकी है

राजस्थान की सुनहरी रेत, ऊंटों की लयबद्ध चाल और हवा में घुली महक यही है पुष्कर मेला का जादू। हर साल जब कार्तिक पूर्णिमा करीब आती है, तो छोटा सा शहर पुष्कर एक विशाल रंगमंच में बदल जाता है। लेकिन इस साल, 30 अक्टूबर से 5 नवम्बर 2025 तक, ये मेला कुछ और भी खास होने वाला है।

पुष्कर मेला

सुबह की पहली किरण के साथ ही पुष्कर के मेले में रौनक लौट आती है। मैदानों में हलचल बढ़ जाती है, और दूर तक फैली रेत पर हजारों ऊंट, घोड़े, भैंसें और देसी नस्ल के पशु अपनी पूरी शान में नजर आते हैं। हर पशुपालक अपने ऊंट को मोरपंख, झुमके और रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाता है मानो कोई शाही परेड निकल रही हो। जब ऊंट अपने मालिक के इशारे पर नाचते हैं, तो दर्शक तालियों से मैदान गुंजा देते हैं।

ऊंट नाच और पारंपरिक खेलों का रोमांच

“ऊंट नाच प्रतियोगिता”, “सर्वश्रेष्ठ पशु सजावट” और “कबड्डी” जैसे पारंपरिक खेल दिनभर के माहौल को जोश से भर देते हैं। बच्चों के लिए मिट्टी के खिलौनों की दुकानें हैं, जबकि बड़ों के लिए हस्तनिर्मित आभूषण, रंगीन पगड़ियां और राजस्थानी वस्त्रों की चमक सबका मन मोह लेती है।

शाम की सांस्कृतिक शाम और दीपों का जादू

जैसे ही सूरज ढलता है, रेत पर सजे मंचों पर लोक संगीत की धुनें गूंजने लगती हैं। कालबेलिया नृत्यांगनाएं अपने लहराते लहंगों में घूमती हैं, ढोल और सारंगी की थाप पर पूरा पुष्कर झूम उठता है। और जब पुष्कर सरोवर के घाटों पर सैकड़ों दीपक जलते हैं।

स्वाद, रंग और संस्कृति से सजा ग्रामीण बाजार

मेलें में राजस्थानी खाने का मजा जरूर लें। कचोरी, पापड़ी, दाल-बाटी और मिठाइयां बहुत प्रसिद्ध हैं। यहां के बाजारों में सुंदर कपड़े, गहने और हेंडीक्राफ्ट मिलते हैं, जो आपको यादगार तोहफे के रूप में ले जाने को मिलेंगे। छोटे स्टॉल पर सस्ता और बढ़िया सामान भी मिल जाता है।