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Railway Lower Berth Rules: लोअर बर्थ सीट पर किसका हक, सोने का टाइम भी तय, टिकट बुक करने से पहले जान लें ये नियम

Railway Lower Berth Rules: भारतीय रेलवे ने लोअर बर्थ से जुड़े नियम क्या हैं। जानिए किसे मिलती है लोअर बर्थ की प्राथमिकता, रात में सोने का तय समय क्या है और TTE कब बदल सकता है सीट।

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भारत

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Rahul Yadav

Nov 01, 2025

Railway Lower Berth Rules

Railway Lower Berth Rules (Image: Patrika.com)

Railway Lower Berth Rules: अगर आप भी ट्रेन से सफर करते हैं या फिर निकट भविष्य में रेल यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है। दरअसल, रेलवे लगातार यात्रियों की सुविधा के लिए नए-नए तरीके निकल रहा है। इसी कड़ी में हाल में वन-स्टॉप सॉल्यूशन के लिए RailOne ऐप्लिकेशन भी लॉन्च की गई थी जिसमें रेलवे से जुड़ी जानकारी इसी एप पर मिल जाती है। साथ ही टिकट बुकिंग से लेकर फूड ऑर्डर तक इस ऐप से आसानी से कर सकते हैं।

इसी सिलसिले को जारी रखते हुए रेलवे ने कुछ अहम बदलाव किये हैं, जिनकी जानकारी आपको होनी ही चाहिए। चलिए जानते हैं रेलवे के नए नियमों के बारे में।

अब 120 दिन नहीं, 60 दिन पहले ही बुक हो पाएगा टिकट

रेलवे ने टिकट बुकिंग की अग्रिम अवधि में बड़ा बदलाव किया है। अब यात्री यात्रा की तारीख से 60 दिन पहले तक टिकट बुक कर सकते हैं। पहले यह अवधि 120 दिन थी, यानी पहले से चार महीने पहले तक टिकट बुकिंग की सुविधा थी। रेलवे का मानना है कि इस बदलाव से यात्रियों को यात्रा की योजना बनाने में आसानी होगी और रद्द होने वाले टिकटों की संख्या भी घटेगी।

Railway Lower Berth Rules: लोअर बर्थ सीट के लिए रेलवे के नियम जानिए

अक्सर ट्रेन टिकट बुक करते समय यात्रियों को ‘लोअर बर्थ प्रिफरेंस’ का विकल्प चुनने के बाद भी ऊपरी या मिडिल बर्थ मिल जाती है। रेलवे के कम्प्यूटराइज्ड रिजर्वेशन सिस्टम (CRS) के तहत कुछ कैटेगेरी को लोअर बर्थ में प्राथमिकता दी जाती है। जिनमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष वरिष्ठ नागरिक, 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं और गर्भवती महिलाएं शामिल हैं।

अगर इन कैटेगेरी के लिए टिकट बुकिंग के समय लोअर बर्थ उपलब्ध नहीं होती है तो ट्रेन में टिकट चेकिंग स्टाफ (TTE) को अधिकार होता है कि वह यात्रा के दौरान खाली हुई लोअर बर्थ उन यात्रियों को आवंटित कर सके।

लोअर बर्थ चुनते समय ध्यान रखें ये बातें

ऑनलाइन टिकट बुक करते समय ‘लोअर बर्थ प्रिफरेंस’ का ऑप्शन तभी काम करता है, जब सिस्टम में वास्तव में निचली बर्थ उपलब्ध हो। अगर लोअर बर्थ उस समय बुक है तो सिस्टम टिकट तभी कंफर्म करेगा जब यात्री अन्य बर्थ चुनने के लिए तैयार हो। इसलिए यात्रियों को यह समझना जरूरी है कि ‘लोअर बर्थ’ की प्राथमिकता, गारंटी नहीं है।

सोने और बैठने के समय को लेकर भी हैं नियम

रेलवे के नियमों के अनुसार, आरक्षित कोचों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक यात्री सोने का अधिकार रखते हैं। इस समय के अलावा यानी दिन के समय यात्रियों को बैठने की सुविधा दी जाती है।

अगर किसी यात्री के पास RAC टिकट है, तो साइड लोअर बर्थ दिन में दो लोग साझा करते हैं, एक RAC यात्री और दूसरा साइड अपर बर्थ वाला। रात 10 बजे के बाद लोअर बर्थ पर केवल उस यात्री का अधिकार होता है जिसके नाम पर वह बर्थ आवंटित की गई है।

RailOne ऐप: एक प्लेटफॉर्म, सभी समाधान

भारतीय रेलवे का नया RailOne ऐप यात्रियों को कई सुविधाएं एक साथ देता है। इसके जरिए न केवल टिकट बुक किए जा सकते हैं बल्कि ट्रेन की रियल-टाइम जानकारी, PNR स्टेटस, प्लेटफॉर्म अलर्ट और भोजन ऑर्डर करने जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। रेलवे का कहना है कि यह ऐप यात्रियों के लिए ''एक प्लेटफॉर्म, सभी समाधान'' की तरह काम करेगा।