RakshaBandhan Celebration: जेल की ऊँची दीवारों के भीतर आज भावनाओं का ऐसा ज्वार उमड़ा, जिसने कैद की कठोरता को भी कुछ समय के लिए पिघला दिया। रक्षाबंधन के पावन अवसर पर लखीमपुर खीरी जिला कारागार में कैदियों और उनकी बहनों के बीच मुलाकात का अद्भुत और भावुक दृश्य देखने को मिला। सुबह से ही जेल के बाहर बहनों की लंबी कतारें लगीं, हाथों में थाल सजाए, आंखों में अपने भाइयों से मिलने की चमक और दिल में एक ही अरमान, कलाई पर राखी बांधकर अपने रिश्ते की डोर को और मजबूत करना।
जैसे ही सूरज की पहली किरणें जेल की दीवारों पर पड़ीं, मुख्य प्रवेश द्वार पर बहनों की भीड़ जमा होनी शुरू हो गई। कई महिलाएं अपने बच्चों के साथ आईं, कुछ ने दूरी की थकान को नजरअंदाज करते हुए सिर्फ इस दिन का इंतजार किया था। हर हाथ में रंग-बिरंगी राखियां, मिठाइयों के डिब्बे और दिल में ढेर सारा स्नेह भरा हुआ था। जेल प्रशासन ने इस विशेष दिन के लिए खास इंतजाम किए थे। सुरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो।
मुलाकात का समय शुरू होते ही कैदियों को उनके परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए बुलाया जाने लगा। जैसे ही किसी बहन ने अपने भाई को देखा, चेहरे पर मुस्कान और आंखों में आंसू दोनों साथ-साथ आ गए। कुछ बहनें अपने भाइयों की लंबी दाढ़ी और बदली हुई शक्ल देखकर चौंक उठीं, तो कुछ ने हंसते-हंसते उन्हें गले लगाया।
जिला कारागार प्रशासन ने बहनों के लिए नाश्ते और पानी की व्यवस्था की थी। जेल अधीक्षक ने बताया कि यह त्यौहार कैदियों के लिए मानसिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। “राखी सिर्फ धागा नहीं, बल्कि रिश्ते की एक मजबूत डोर है। यह कैदियों को उनके परिवार और समाज से जोड़े रखने में मदद करती है,” उन्होंने कहा।
रक्षाबंधन हमेशा से भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक रहा है। लेकिन जब यह पर्व जेल की ऊंची दीवारों के भीतर मनाया जाता है, तो इसका अर्थ और भी गहरा हो जाता है। यहां राखी सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि उम्मीद का प्रतीक बन जाती है।
उम्मीद कि एक दिन ये भाई जेल की सलाखों से बाहर आएंगे।उम्मीद कि वे फिर से सामान्य जीवन जी पाएंगे।उम्मीद कि बहनों का यह प्यार उन्हें सही रास्ते पर लौटने की प्रेरणा देगा।
जेल में प्रवेश करने से पहले हर बहन की पूरी तरह जांच की गई। राखी, मिठाई और पूजा की थाल की बारीकी से जांच की गई। इसके बाद ही उन्हें मुलाकात कक्ष में जाने दिया गया। वहां पर भी सुरक्षा कर्मी मौजूद थे, लेकिन माहौल में गर्मजोशी और अपनापन ही हावी था।
कई कैदियों ने कहा कि साल में यही एक दिन होता है जब उन्हें अपने परिवार से इतना करीब से मिलने का अवसर मिलता है। एक बंदी ने कहा, “जब बहन राखी बांधती है, तो लगता है कि मैं सिर्फ कैदी नहीं, बल्कि किसी का भाई भी हूं, जिसके लिए बाहर कोई इंतजार कर रहा है।”
इस पूरे आयोजन ने यह संदेश दिया कि इंसान चाहे किसी भी परिस्थिति में क्यों न हो, रिश्तों की अहमियत कभी कम नहीं होती। जेल की दीवारें शरीर को कैद कर सकती हैं, लेकिन दिल के रिश्तों को नहीं। लखीमपुर खीरी जिला कारागार में आज का दिन न केवल कैदियों और उनकी बहनों के लिए, बल्कि वहां मौजूद सभी लोगों के लिए भावुक और यादगार रहा। रक्षाबंधन के इस पर्व ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि प्यार, अपनापन और रिश्तों की डोर हर दीवार को पार कर सकती है,चाहे वह जेल की हो या समाज की।
Published on:
09 Aug 2025 03:06 pm