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देश के पहले हाई स्पीड टेस्टिंग ट्रैक का काम अधूरा, दिल्ली-मुबंई रूट पर ट्रायल; ट्रेनों का संचालन हो रहा प्रभावित

Mission Raftar Project: राजस्थान के जयपुर-जोधपुर के बीच बन रहे देश के पहले वर्ल्ड क्लास हाई स्पीड टेस्टिंग ट्रैक का काम अटकने से ट्रेनों की टेस्टिंग अब भी दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग के कोटा रेल मंडल में करनी पड़ रही है।

कोटा

Anil Prajapat

Aug 03, 2025

Kota-Railway-Division
कोटा के निकट मिशन रफ्तार के तहत चलता ट्रैक अपग्रेडेशन का काम। फोटो: प​त्रिका

कोटा। राजस्थान के जयपुर-जोधपुर के बीच बन रहे देश के पहले वर्ल्ड क्लास हाई स्पीड टेस्टिंग ट्रैक का काम अटकने से ट्रेनों की टेस्टिंग अब भी दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग के कोटा रेल मंडल में करनी पड़ रही है। ऐसे में दिल्ली-मुंबई जैसे देश के व्यस्ततम रेलमार्ग पर यातायात प्रभावित हो रहा है। भारतीय रेलवे में वर्तमान में कोई भी विश्व स्तरीय टेस्टिंग ट्रैक नहीं है। ऐसे में नए युग की तेज रफ्तार ट्रेनों के ट्रायल के लिए रेलवे को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

वंदे भारत, बुलेट ट्रेन समेत भविष्य की तेज रफ्तार ट्रेनों के ट्रायल के लिए अब तक देश के चुनिंदा और प्राकृतिक दृष्टि से अनुकूल ट्रेकों पर ट्रेनों का ट्रायल किया जाता है। इसके चलते भारतीय रेलवे की ओर से विश्व स्तरीय टेस्टिंग ट्रैक बनाने का निर्णय लिया गया।

पांच वर्ष बाद भी योजना का काम पूरा नहीं

अनुसंधान, अभिकल्प और मानक संगठन (आरडीएसओ) की देखरेख में 820 करोड़ रुपए की लागत से जयपुर-जोधपुर रेलमार्ग पर वर्ष 2020 में 64 किमी लंबे ट्रैक का निर्माण शुरू किया गया। इस ट्रैक पर 200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेनों का संचालन किया जा सकेगा, लेकिन पांच वर्ष बाद भी योजना का काम पूरा नहीं हो सका है। अब भी नावां के पास गुढ़ा से मीठड़ी तक और सांभर झील के किनारे वेटलैंड क्षेत्र के करीब 2.5 किमी से अधिक हिस्से में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी ही नहीं मिली है। ऐसे में यहां ट्रैक का काम अटक गया है। ट्रैक का करीब 80 फीसदी काम पूरा होने के बाद भी योजना अधर में है।

यह है वर्ल्ड क्लास टेस्टिंग ट्रैक योजना

विश्व स्तरीय ट्रैक को अमरीका, चीन और ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। 64 किमी लंबे इस ट्रैक में से 23 किमी लंबी मुख्य लाइन बनाई जा रही है। इसमें से गुढ़ा साल्ट में 13 किमी का हाई स्पीड लूप बनाया जाएगा, जबकि नावां में 3 किमी का क्विक टेस्टिंग लूप बनेगा। इसके अलावा मिठड़ी में 20 किमी का कर्व टेस्टिंग लूप भी बनाया जाएगा। इस ट्रैक पर आठ स्टेशन और मेजर ब्रिज, छोटे-बड़े पुल, अंडरब्रिज और ओवरब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। ट्रायल ट्रैक के प्रथम चरण में टेस्ट ट्रैक व ब्रिजों का निर्माण तथा दूसरे चरण में वर्कशॉप, प्रयोगशाला व आवास बनाए जाएंगे।

अब भी रोकना पड़ता है यातायात

देश में नई ट्रेन या वैगन का परीक्षण करते समय यातायात रोकना पड़ता है। कोटा में अब तक दर्जनों बार वंदे भारत, नमो भारत ट्रेन, अमृत भारत ट्रेनों के कई तरह के सेटी ट्रायल हो चुके हैं। ऐसे में कोटा जैसे व्यस्ततम मार्ग पर रेलवे ट्रैफिक रोकना या डायवर्ट करना पड़ता है। यह ट्रैक चालू होने से न सिर्फ नए इंजनों और कोच का ट्रायल सुगम होगा, बल्कि भविष्य में बुलेट ट्रेन के कोच भी यहीं परखे जा सकेंगे। रेलवे के लिए यह एक बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि यहां 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रायल हो सकेगा। निर्माण के बाद इस ट्रैक पर लोकोमोटिव और कोचों के अलावा हाई स्पीड एक्सल लोड वैगन के ट्रायल के लिए भी प्रयोग में लाया जाएगा।

साढ़े 3 हजार करोड़ का मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट

दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर मथुरा से कोटा होते हुए नागदा तक ट्रेनों के भारी आवागमन के चलते यहां ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए से अधिक के मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट का काम अंतिम चरण में है। इस प्रोजेक्ट के बाद इस रेलमार्ग पर 180 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार तक ट्रेनों का संचालन किया जा सकेगा। इससे समय की बचत होने से अन्य ट्रेनों के संचालन और ट्रेनों के ठहराव बढ़ाने की योजना है।