Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Kota: सगाई में दूल्हे ने लौटाया 1.11 करोड़ रुपए का दहेज, बोल दी ऐसी बात की सबकी आंखें हो गई नम, जिंदगीभर की कमाई दे रही थी मां

Unique Engagement Ceremony: उन्होंने वधू पक्ष की ओर से दी गई अचल संपत्ति, नकदी और कीमती सामान को विनम्रतापूर्वक वापस कर दिया। सगाई की रस्म में मौजूद लोग भी दूल्हे के इस निर्णय पर चौंक गए।

2 min read
Google source verification

फोटो: पत्रिका

Groom Return 1.11 Crore Rupees Dowry: शिक्षा नगरी कोटा में बुधवार शाम एक सगाई सिर्फ दो परिवारों के मध्य रिश्ते की रस्म ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक और प्रेरक संदेश बन गई। पटरी पार बापू कॉलोनी निवासी पंडित भरतलाल शर्मा ने अपने बेटे सत्यम की सगाई के मौके पर वधू पक्ष की ओर से उपहार स्वरूप दी गई 1.11 करोड़ की मोटी राशि को यह कहकर लौटा दिया कि ‘हमें बेटी चाहिए, दहेज नहीं। दहेज लेना सभ्य समाज के लिए अच्छी बात नहीं है’, आपने हमें अपने दिल का टुकड़ा दे दिया और क्या चाहिए।’

उन्होंने वधू पक्ष की ओर से दी गई अचल संपत्ति, नकदी और कीमती सामान को विनम्रतापूर्वक वापस कर दिया। सगाई की रस्म में मौजूद लोग भी भरतलाल के इस निर्णय पर चौंक गए दुल्हन के परिजनों ने भरतलाल को गले से लगा लिया।

उम्रभर की कमाई बेटी को दे रही थी मां

सत्यम शर्मा का विवाह 2 नवंबर को स्टेशन क्षेत्र निवासी सुषमा शर्मा की बेटी दीक्षा से होने वाला है। दीक्षा के पिता नहीं हैं। उनका पूर्व में निधन हो चुका है। सारी जिम्मेदारी मां सुषमा पर है। वह रेलवे से सेवानिवृत्त हैं।

उसने बेटी की खुशी के लिए अपने पूरे जीवन की कमाई दहेज में सौंप दी लेकिन दूल्हे के पिता भरतलाल शर्मा ने पलभर भी राशि अपने हाथ में नहीं रखी और दुल्हन की मां को लौटा दी। दुल्हन व परिजन बेटी के होने वाले ससुर का यह व्यवहार देखकर भावुक हो गए।

देते हैं उपदेश तो क्यों न करें आत्मसात

भरतलाल शर्मा ज्योतिष व भागवताचार्य हैं। दुल्हन ने एलएलबी की है। दूल्हा सत्यम भी कथावाचक है। भरतलाल बताते हैं कि दहेज के फेर में घर टूटते हैं तो मन व्यथित होता है। ज्योतिष और कथाकार होने के नाते लोगों को उपदेश देते हैं तो क्यों न खुद आत्मसात करें।

घर में ईश्वर की कृपा से सब कुछ है और फिर दुल्हन के माता-पिता अपने कलेजे के टुकड़े को दूसरे परिवार की खुशी के लिए सौंपते हैं, इससे बढ़कर क्या हो सकता है। मन में यह विचार आया तो निर्णय लिया। हमारा तो मानना है कि कोई भी माता-पिता, लड़की के माता-पिता से दहेज न मांगे।

यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसी जगह रिश्ता तय हुआ है। भावनाओं को व्यक्त करना संभव नहीं है। कोई उपहार की राशि भी लौटा दे, इससे बढ़कर क्या बात हो सकती है। इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी। सभी लोग इस तरह की सोच रखें तो समाज में बदलाव संभव है।
सुषमा शर्मा, दुल्हन की मां

सगाई में यह निर्णय न सिर्फ दोनों परिवारों को जोड़ गया, बल्कि समाज को एक नई दिशा भी दे गया। यह घटना कोटा शहर में चर्चा का विषय बन गई। लोग भरतलाल के इस कदम को प्रेरणादायक पहल मान रहे हैं। एक ओर दहेज के कारण कई रिश्ते टूट जाते हैं वहीं परिवार ने यह साबित कर दिया कि' बदलाव की शुरुआत घर से होती है।'