CG School: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में सरकारी स्कूलों में शिक्षा में गुणवत्ता की बात पर अकसर सवाल होते हैं। इस पर अधिकारी तर्क देते हैं कि शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी। व्यवस्था में सुधार किया जाएगा। लेनिक अधिकारियों के वादे धरातम पर मेल नहीं खा रहे हैं। कई स्कूलों भवन जर्जर हैं। विद्यार्थियों के जरूरत के अनुसार से भवन नहीं है। साधन और संसाधनाें की भी भारी कमी है। आज भी कई स्कूल सुविधाविहीन है।
जिले के प्राथमिक शाला गोकुलनगर में छात्रों के लिए पर्याप्त भवन ही नहीं है। इस प्राथमिक शाला के एक कमरे में ही पहली से पांचवी तक के विद्यार्थियों को एकसाथ बैठाया जाता है, 83 बच्चों वाले इस स्कूल में जब कभी सभी बच्चे एक साथ उपस्थित हो जाते हैं, तब शिक्षक स्टाफ रूम में दो कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बैठाते हैं। हालात सिर्फ इस स्कूल तक ही सीमित नहीं हैं।
जिले में कुल मिलाकर 2226 स्कूल संचालित हैं। इनमें प्राथमिक से लेकर हाई और हायर सेकेंडरी भी शामिल हैं। पिछले वर्ष तक की जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के 645 स्कूल भवन काफी जर्जर हैं। कुछ माह पहले ही शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल जतन योजना के तहत मरमत भी करवाया गया था।
कुछ स्कूलों में जर्जर भवन के कारण बच्चों को वहां नहीं बिठाया जा सकता, ऐसे स्कूलों में अधिक कक्षा की मांग की जाती है। लेकिन यह मांग पूरी नहीं होती। बरसात के मौसम में कुछ स्कूलों की छत से पानी टपक रही है। लेकिन यहां भी मरमत नहीं हुई है। जिसका खामियाजा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी भुगतना पड़ता है। खास तौर पर प्राथमिक स्तर की पढ़ाई का सबसे बुरा हाल है।
प्राथमिक स्कूल गोकुल नगर में वैसे तो तीन कमरे दिखते हैं। स्कूल के कैंपस में एक कमरे में शिक्षक बैठते हैं, जो स्टाफ रूम है, दूसरा कमरा बच्चों के लिए है। जबकि तीसरा कमरा जर्जर है। इसका किसी तरह का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। यहां मध्याह्न भोजन से जुड़े बर्तन और अन्य सामग्रियों को रखा जाता है. जर्जर भवन को स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
एक ही कमरे में जब एक से अधिक कक्षा के बच्चों को बैठाया जाता है तब शिक्षक इसे बहुकक्षा कहते हैं। हालांकि शिक्षक भी स्वीकार करते हैं कि टाइम टेबल के अनुसार एक साथ पांचो कक्षाओं को पढ़ाना संभव नहीं हो पाता। एक कमरे में जब एक कक्षा की पढ़ाई होती है। तो दूसरे कक्षा के बच्चे या तो चुपचाप बैठे रहते हैं, या तो उन्हें कोई कार्य आबंटित किया जाता है। लेकिन इन परिस्थितियों को कम से कम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की संज्ञा तो नहीं दी जा सकती। बच्चों के लिए सिर्फ एक कमरा, जो ठीक-ठाक है।
स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए यहां केवल एक ही कमरा बच जाता है और इसी में कक्षा एक से पांच तक के सभी बच्चों को एक साथ बिठा दिया जाता है। वर्तमान में स्कूल में बच्चों की दर्ज संया 83 है। लेकिन पिछले वर्ष बच्चों की संख्या 100 थी। अभी जब सितंबर तक एडमिशन का दौर चलेगा। तब संख्या 100 के पास जाने की भी उम्मीद है। शिक्षक कहते हैं की इतने अधिक बच्चे जब एक साथ स्कूल आ जाते हैं। तब स्टाफ रूम में भी दो कक्षाओं को लगाया जाता है। ताकि एक ही कमरे में 100 बच्चों को ना बैठना पड़े।
प्राथमिक शाला गोकुलनगर की प्रधान पाठक रजनी पाटिल जोशी ने बताया कि हमारे स्कूल में वर्तमान में 83 बच्चे अध्यनरत हैं। स्कूल का एक कमरा ही बच्चों के लिए है। इसमें सभी बच्चों को एक साथ बिठाया जाता है। इसे हम बहुकक्षा कहते हैं, टाइम टेबल के हिसाब से उन्हें अध्यापन कार्य करवाने में दिक्कत होती है।
जब सभी बच्चे एक साथ आ जाते हैं, और संख्या ज्यादा हो जाती है। तब हम दो कक्षाएं स्टाफ रूम में भी लगाते हैं, एक अन्य कमरा भी हमारे पास है, लेकिन वह जर्जर है। इसलिए हम उसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, यदि कोई विपरीत परिस्थिति निर्मित हुई तो जिम्मेदारी शिक्षकों की ही होती है. इन सभी परिस्थितियों से हमने उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया है। उमीद है कि जल्द ही हमें अतिरिक्त कक्ष मिल जाएगा। जिससे कि बच्चों को अलग-अलग बिठाकर पढ़ाया जा सके।
Published on:
02 Aug 2025 03:14 pm