गाडी़ तो वो चला रहे थे दफ्तर की, पर स्टेयरिंग से बच्चों को सफलता की राह दिखा दी...यह बात सटीक बैठती है सरकारी महकमे में चालक के पद पर पदस्थ कलेक्टर ऋषव गुप्ता के चालक भगवान सिंह, एडीएम केआरबड़ोले के चालक रूपसिंह सोलंकी और जिपं अध्यक्ष पिंकी खेड़े के चालक राकेश राव की। इन्होंने बच्चों को अफसरों के किस्से सुनाकर पढ़ने का हौंसला दिया। ऐसे ही सामान्य किसान की बेटी ने संघर्षों के बीच ऊंचा मुकाम हासिल की। इन सभी ने सीमित संसाधनों, आर्थिक चुनौतियों के बीच अपनी खुशियों को त्याग कर बच्चों को अफसर बनाया।
अंबेडकर वार्ड-9 निवासी रूप सिंह सोलंकी एडीएम के वाहन चालक हैं। अफसरों के साथ ड्यूटी के दौरान उन्होंने ठान लिया कि उनके बेटे भी अफसर बनें। उन्होंने अपनी और पत्नी की आवश्यकताओं को नजरअंदाज कर घर के खर्च में कटौती की। कपड़े और अन्य जरूरतों में समझौता कर जीपीएफ निकालकर बेटे रितिक को पढऩे दिल्ली विश्वविद्यालय भेजा। यूपीएससी की कोचिंग करवाई। रितिक ने भी पिता के मान रखा और एमपीएसी-2022 पास कर ट्रेजरी ऑफिसर बनने का सपना पूरा किया।
सनावद निवासी राकेश राव खंडवा जिला पंचायत कार्यालय में चालक हैं। जेल रोड स्थित छोटे से घर में रहते हुए कम वेतन में तीन बच्चों को अफसर बनाने का लक्ष्य तय किया। बड़े बेटे राहुल राव ने इंजीनियरिंग के बाद बैंक में काम किया। फिर पीएससी-2019 पास कर ट्रेजरी अधिकारी बने। रितिक बैतूल में तो बेटी रूबी शहडोल में पटवारी पद पर कार्यरत हैं। राव बताते हैं कि आर्थिक तंगी इतनी थी कि एक समय बाजार से भी कर्ज नहीं मिला, लेकिन हार नहीं मानी और शिक्षा ऋण लेकर बच्चों को पढ़ाया। बेटा राहुल बताते है कि पापा ने हमारे लिए हर त्याग किया, उन्होंने कभी अपने लिए कुछ नहीं चाहा।
बजरंग नगर निवासी भगवान सिंह कलेक्टर के चालक हैं। खुद अधिकारी नहीं बने तो बेटों को अफसर बनाने का सपना देखा। बेटे की पढ़ाई के लिए घर खर्च कम किया। इंदौर में कोचिंग फीस भरने के लिए डेढ़ बीघे जमीन बेची। पिता के सपने को पूरा करने बेटा चिरंजीव सिंह तोमर ने दिन-रात एक किए। 10 वीं व 12 वीं टॉप किया। आज चिरंजीव खरगोन में पोस्ट विभाग में कार्यरत है। उनका दूसरा बेटा भी सरकारी नौकरी में है। हालांकि भगवान सिंह इससे संतुष्ठ नहीं है। दोनों बेटों और ऊंचे ओहदे पर जाने के लिए प्रेरित कर रहे है। बेटे बताते हैं कि अफसर बनने के लिए वे कलेक्टर कार्यालय दिखाकर प्रेरित करते थे।
लखन गांव के किसान अमरसिंह डुडवा की बेटी जमुना वित्त विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर है। अमरसिंह नेे पांच बेटों के बीच अपनी बेटी जमुना को अधिकारी बनाने का सपना देखा था। जमुना बताती हैं कि बचपन में पिता गांव आए अफसरों की गाडिय़ां दिखाकर उन्हें प्रेरित करते थे। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने कोचिंग के लिए इंदौर भेजा। किस्तों में फीस भरी। सालों तक संघर्ष और कई परीक्षाओं के बाद आखिरकार उनका सपना साकार हुआ। वे कहती है उनकी हर उपलब्धि के पीछे माता-पिता का होंसला और समर्पण है।
Updated on:
27 Jul 2025 11:44 am
Published on:
27 Jul 2025 11:39 am