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आदि कर्मयोगी अभियान : प्रदेश में ढाई लाख आदिवासियों के पास पक्की छत नहीं, 50 हजार बाहर कर रहे शौच

प्रदेश में आदिवासी बहुल गांवों में ढाई लाख से अधिक आदिवासी झुग्गी-झोपड़ी, कच्चे-खपरैल और पॉलीथिन की छत के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। यही नहीं 50 हजार से अधिक हजार परिवार खुले में शौच करने को विवश है।

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खंडवा

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Rajesh Patel

Nov 02, 2025

tribals

विशेष ग्राम सभाओं में विकास कार्यों का किया गया अनुमोदन

प्रदेश में आदिवासी बहुल गांवों में ढाई लाख से अधिक आदिवासी झुग्गी-झोपड़ी, कच्चे-खपरैल और पॉलीथिन की छत के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। यही नहीं 50 हजार से अधिक हजार परिवार खुले में शौच करने को विवश है।

प्रदेश के 41 जिले में सर्वे फाइल

आदि कर्मयोगी अभियान के दौरान प्रदेश में 41 जिले के 13051 ग्रामों में कराए गए सर्वे में सामने आया है। हालांकि अब इन आदिवासी गांवों में सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 50 हजार करोड़ के प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे हैं।

ढाई लाख परिवारों के बीच मूलभूत सुविधाओं का टोटा

केंद्रीय मंत्रालय जनजातीय कार्य विभाग ने प्रदेश के 13051 ग्रामों में आदि कर्मयोगी अभियान के तहत आदिवासी गांवों में मूलभूत सुविधाओं का सर्वे कराया। ग्रामीणों के माध्यम से गांवों की आवश्यकताएं जानी गई थी। इसी में सामने आया कि आदिवासी बहुल गांव में मकान, शुद्ध पानी, शौचालय, सोलर लाइट, सड़क, स्वास्थ्य, आंगनबाड़ी केंद्र, कनेक्टिविटी जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। इन्हीं आवश्यकताओं को पूरा करने के गांवों के विकास कार्यों का ब्लू प्रिंट तैयार किया है।

मंत्री के गृह जिले में 45 हजार आदिवासियों की छत नहीं

जिनका पिछले दो अक्टूबर को विशेष ग्राम सभाओं में अनुमोदन भी करा लिया गया। इसमें सर्वाधिक ढाई लाख से अधिक पीएम आवास की कार्य योजना तैयार की हैं। अकेले जनजातीय मंत्री विजय शाह के गृह जिले में 45 हजार आदिवासियों ने आवास मांगा है। इसी तरह झाबुआ, शिवपुरी, शहडोल, मंडला, बैतूल के जिलों में 50-50 हजार से अधिक परिवारों ने भी आवास उपलब्ध कराने की मांग की है।