बालमीक पांडेय@ कटनी. आज जब दुनिया जलवायु आपदाओं, बढ़ते प्रदूषण और वायरस जनित महामारियों से जूझ रही है, ऐसे में नवाचार ही हमारी आशा की किरण हैं. स्काई ओजोन लेयर 0.50 स्मोक क्लीन एयर प्यूरीफायर न सिर्फ तकनीक की जीत है, बल्कि एक आम भारतीय युवा की जिद और जुनून की प्रेरणादायक कहानी भी…। जहां पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण से बेहाल है, वहीं कटनी जिले के बड़वारा क्षेत्र अंतर्गत मझगवां गांव के एक किसान के बेटे ने ऐसा अविष्कार कर दिखाया है, जो मानव जीवन को बचाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। बीटेक की पढ़ाई के बाद सुनील कुशवाहा (पिता रामकुमार कुशवाहा) ने एक मशीन तैयार की है, जिसका नाम है स्काई ओजोन लेयर 0.50 स्मोक क्लीन एयर प्यूरीफायर।
युवक का दावा है कि यह मशीन 95 प्रतिशत तक वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और हवा में मौजूद 99.8 प्रतिशत तक खतरनाक वायरसों को निष्क्रिय करने में सक्षम है। सुनील ने पत्रिका को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर साल लगभग 70 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं, जिनमें से 16 लाख सिर्फ भारत में होती हैं, दिल्ली तो दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन चुकी है, जहां 40-50 प्रतिशत बच्चों के फेफड़े जन्म से पहले ही खराब हो रहे हैं. इसी पीड़ा को समझते हुए यह मशीन बनाई है।
सुनील ने बताया कि इस मशीन के लिए पेटेंट की प्रकिया शुरू हो चुकी है, अब तक उन्हें 3000 से अधिक ऑर्डर मिल चुके हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 3000 से 4000 करोड़ रुपए तक है। इस कम लागत वाली मशीन को अब निवेशकों का भी सहयोग मिल रहा है। दिल्ली, जबलपुर और कटनी के इन्वेस्टर के साथ मिलकर मशीनें बनाने की तैयारी चल रही है, ताकि पूरे देश में इनकी सप्लाई हो सके।
यह मशीन पेड़-पौधों की तरह काम करती है। इसमें लगाए गए विशेष फिल्टर प्रकाश-संश्लेषण तकनीक पर आधारित हैं, जो हवा में मौजूद जहरीले गैसों, कार्बन कणों, पीएम 2.5, पीएम 10 जैसे सूक्ष्म तत्वों को सोखकर उन्हें साफ, प्राकृतिक और शुद्ध हवा में बदलते हैं। यह प्रणाली न केवल हवा को शुद्ध करती है, बल्कि वातावरण का तापमान 5 से 6 डिग्री तक कम करने में भी सहायक है।
स्काई ओजोन लेयर प्यूरीफायर एफ-1 से एफ -9 तक कुल 9 फिल्टरों पर काम करता है। हर फिल्टर एक विशेष परत में बंटा है, जो हवा को चरणबद्ध तरीके से शुद्ध करता है। पहले स्टेज में बड़े कणों को रोका जाता है, दूसरे स्टेज में गैसों का फिल्ट्रेशन होता है। अंतिम स्टेज में प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से प्राकृतिक ऑक्सीजन निकलती है।
यह मशीन सोलर एनर्जी से चलती है, जिससे बिजली की बचत होती है. इसका नेटवर्किंग आधारित सिस्टम इसे ऑनलाइन मॉनिटरिंग के योग्य बनाता है। सीसी कैमरा और कंप्यूटर स्क्रीन के जरिए इसकी रियल-टाइम निगरानी की जा सकती है। इसमें एयरक्वालिटी मीटर, कार्बन संग्रहण यूनिट और लाइटनिंग प्रोटेक्टर जैसी कई हाई-टेक तकनीकें शामिल हैं। मशीन ऑटोमेटिक फिल्टर क्लीनिंग सिस्टम से लैस है, जिससे बार-बार फिल्टर बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। यह मशीन अपनी रेंज में 2 लाख 20 हजार सयर फीट एरिया को साफ रखने की क्षमता रखती है।
यह मशीन कोरोना जैसे वायरस के वेरिएंट्स को 99.8 प्रतिशत तक डीएक्टिवेट कर सकती है। 95 प्रतिशत तक वायु प्रदूषण को रोक सकती है और तापमान में 5 से 6 डिग्री की कमी ला सकती है। यह मशीन सभी प्रकार के वाहन, उद्योग, चिमनी, पावर प्लांट, फैक्ट्रियों और प्रदूषित शहरों से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने में सक्षम है। प्रदूषित शहरों को स्वच्छ वातावरण देने में सक्षम है।
वर्जन
इस मशीन को तैयार करने वाले युवक से मुलाकात कर खूबियों के बार में जानकारी ली गई है। इसके प्रभावी काम को परखा जाएगा और मशीन का उपयोग प्रदूषण व वायरस को कम करने के लिए हो, इसके लिए आवश्यक पहल की जाएगी।
दिलीप यादव, कलेक्टर।
Updated on:
30 Jul 2025 08:45 pm
Published on:
31 Jul 2025 06:37 am