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ऐतिहासिक किले का हस्र: छत का एक हिस्सा टूटकर गिरा, रंगमहल का कंगूरा भी टूटा

उपेक्षा और अव्यवस्था का शिकार विजयराघवगढ़ किला, गौरवशाली धरोहर को खंडहर होने किया विवश

कटनी

Balmeek Pandey

Aug 17, 2025

Vijayraghavgarh Fort has become dilapidated
Vijayraghavgarh Fort has become dilapidated

कटनी. जिले का ऐतिहासिक विजयराघवगढ़ किला जो कभी राजा प्रयागदास की शौर्यगाथा और राजा सरयूप्रसाद के स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रहा, आज बदहाल स्थिति में खड़ा है। स्वतंत्रता दिवस जैसे पावन अवसर पर भी किले की दुर्दशा उजागर हो गई जब इसके प्रवेश द्वार की छत का एक हिस्सा अचानक गिर पड़ा। छत में बने छेद ने यह साफ कर दिया है कि किले की जर्जरता अब किसी भी वक्त बड़ी दुर्घटना को जन्म दे सकती है। यही नहीं, किले के भीतर बने रंगमहल की पहली मंजिल की चारदीवारी पर पेड़ की भारी डाल टूटकर गिरी, जिससे दीवार का कोना ढह गया। हाल ही में जामुन की विशाल शाखा गिरने से पूर्व दिशा का मुख्य कंगूरा भी क्षतिग्रस्त हो गया है। यह घटनाएं संकेत हैं कि रखरखाव के अभाव ने इस धरोहर को खंडहर में बदल दिया है।
किले की स्थिति से साफ दिखता है कि यहां हर जगह झाड़-झंखाड़ और बेतरतीब वनस्पति उग आई है। दीवारों की दरारों में पेड़-पौधे जम चुके हैं जो धीरे-धीरे किले की नींव को खोखला कर रहे हैं। रंगमहल की नक्काशी और कलात्मक दीवारें टूट-फूट का शिकार हो चुकी हैं। किले के आंतरिक हिस्से में सफाई का नामोनिशान नहीं है, सीलन और काई ने पत्थरों को कमजोर कर दिया है। वर्षों पहले यह किला पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को अपनी ओर खींचता था, लेकिन अब इसकी दुर्दशा देख लोग लौट जाते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को न तो उचित गाइडेंस मिलती है और ना ही पहले जैसी सुविधाएं।

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रख रखाव का अभाव

इतिहास के जानकार राजेंद्र सिंह ठाकुर बताते हैं कि राजा प्रयागदास ने सन 1826 में इस किले का निर्माण अपने आराध्य भगवान राघवजी की स्मृति में कराया था। 1857 की स्वतंत्रता संग्राम में यह किला क्रांतिकारियों का केंद्र रहा, लेकिन गौरवशाली इतिहास के बावजूद यह धरोहर धीरे-धीरे मिट रही है। 1957 में विजयराघवगढ़ राजपरिवार ने किले को शासन को सौंपा था ताकि पुरातत्व विभाग इसे संरक्षित रख सके। शुरुआती वर्षों में विभाग ने संरक्षण का काम संभाला भी, लेकिन बीते कुछ वर्षों से स्थिति बदल गई। राज्य शासन ने किले को पर्यटन गतिविधियों के लिए प्राइवेट एजेंसियों को लीज पर देने की प्रक्रिया शुरू की और इसके बाद पुरातत्व विभाग ने हाथ खींच लिए। नतीजतन रखरखाव का काम ठप हो गया और आज यह किला अव्यवस्था का गढ़ बन गया है।

दोवों की पोल खोल रहा किला

किले की जर्जरता केवल ऐतिहासिक धरोहर के नष्ट होने की कहानी नहीं है बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही का भी बड़ा उदाहरण है। सरकार द्वारा करोड़ों रुपए पर्यटन और धरोहर संरक्षण पर खर्च करने के दावे किए जाते हैं, लेकिप विजयराघवगढ़ किले की हालत इन दावों की पोल खोल रही है। यहां किसी भी तरह का नियमित रखरखाव, सफाई या मरम्मत नहीं हो रही। दीवारें झड़ रही हैं, छतें गिर रही हैं और पत्थरों पर लगी नक्काशी टूटकर बिखर रही है। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढिय़ां केवल तस्वीरों और इतिहास की किताबों में ही इस किले को देख पाएंगी।