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राजस्थान के इस जिले में बन रहा भारत का पहला ‘वंदे भारत’ मेंटिनेंस डिपो, एक साथ 3 ट्रेनों की हो सकेगी मरम्मत

देश भर में 4 वंदे भारत मेंटिनेंस डिपो बनाने की योजना है। जोधपुर में मेंटिनेंस डिपो बनाने का काम शुरू हो गया है। इस साल के अंत तक काम पूरा होने की उम्मीद है।

Vande Bharat Express
बिहार में इस समय 20 Vande Bharat Express दौड़ रही हैं। पत्रिका

जोधपुर। जोधपुर रेलवे डिवीजन के भगत की कोठी में वंदे भारत ट्रेनों के लिए एक रखरखाव डिपो का निर्माण किया जा रहा है, मंगलवार को एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा बताया कि यह देश में अपनी तरह का पहला डिपो है। अधिकारी ने आगे कहा कि देश भर में ऐसे 4 डिपो की योजना बनाई गई है, लेकिन यह पहला है जो निर्माणाधीन है।

परियोजना के बारे में बात करते हुए जोधपुर मंडल रेल प्रबंधक अनुराग त्रिपाठी ने कहा, जोधपुर मंडल के भगत की कोठी में बनाया जा रहा वंदे भारत रखरखाव डिपो देश में अपनी तरह का पहला डिपो है। यह पूरे भारत में वंदे भारत ट्रेनों के रखरखाव का काम संभालेगा। 600 मीटर में फैले इस डिपो में एक साथ तीन ट्रेनों की सर्विस के लिए तीन पिट लाइन होंगी।

इसी साल काम हो जाएगा पूरा

उन्होंने बताया कि देश भर में ऐसे चार और डिपो बनाने की योजना है, लेकिन इस डिपो पर काम शुरू हो गया है। त्रिपाठी ने बताया कि रखरखाव डिपो का निर्माण 2025 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि डिपो के पास एक कार्यशाला और प्रशिक्षण केंद्र बनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।

वंदे भारत डिपो के लिए होगी भर्ती

अधिकारी ने कहा बताया कि रेलवे भर्ती बोर्ड के माध्यम से हायरिंग की जाएगी, इसके बाद ट्रेनिंग देकर यहां पर तैनात किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हमने डिपो के पास एक कार्यशाला और प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये की नई परियोजना का भी प्रस्ताव रखा है। मंजूरी मिलने के बाद, निविदाएं जारी की जाएंगी और काम शुरू हो जाएगा। रखरखाव डिपो इस साल के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है। कार्यशाला और प्रशिक्षण केंद्र बनने में अधिक समय लगेगा, लेकिन एक बार शुरू होने के बाद तेजी से काम होगा।

भारत की पहली वंदे भारत ट्रेन

बता दें कि वंदे भारत एक्सप्रेस भारतीय रेलवे के भविष्य का प्रतिनिधित्व करती है, जो नवाचार, आत्मनिर्भरता और सतत विकास के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन 15 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली-कानपुर-इलाहाबाद-वाराणसी मार्ग पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाई गई थी। इस ट्रेन को रखरखाव प्रौद्योगिकियों और कार्यप्रणाली को उन्नत करने और सभी रेलवे परिसंपत्तियों और जनशक्ति की उत्पादकता और प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए शुरू किया गया है।

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