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बालक की आंख में सींग लगा, ऑपरेशन टेबल पर मौत

- परिजन व राजपुरोहित समाज का निजी अस्पताल में हंगामा और धरना

kid died
अस्पताल के बाहर धरना देते परिजन व समाज के लोग

जोधपुर.

महामंदिर थानान्तर्गत पावटा में आंखों के निजी अस्पताल में गुरुवार को एक बालक की मृत्यु के बाद हंगामा हो गया। ऑपरेशन के दौरान एनेस्थिसिया की अधिक डोज से मृत्यु का आरोप लगाकर परिजन व राजपुरोहित समाज के लोगों ने अस्पताल में मुख्य द्वार पर धरना दिया। पुलिस व अस्पताल प्रशासन रात तक समझाइश के प्रयास में जुटे हुए थे।

थानाधिकारी देवेन्द्रसिंहदेवड़ा ने बताया कि बालोतरा जिले में पचपदरा तहसील के चांदेसर गांव निवासी कार्तिक राजपुरोहित (4) की आंख में बुधवार को बकरे का सींग लग गया था। इससे एक आंख में गंभीर चोट आई। नजदीकी अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद परिजन कार्तिक को जोधपुर ले आए, जहां पावटा में कामदार नेत्र चिकित्सालय ले गए। जांच के बाद उसे भर्ती कर लिया गया। आंख का ऑपरेशन करने के लिए कार्तिक को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया, जहां उसका ऑपरेशन किया गया, लेकिन बालक को होश नहीं आया। डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ ने प्रयास किए, लेकिन असफल रहे। इस बीच, गुरुवार को बालक की मृत्यु हो गई।

इसका पता लगते ही परिजन के सब्र का बांध टूट गया। वे हंगामा करने लगे। कुछ देर में राजपुरोहित समाज के लोग भी निजी अस्पताल पहुंच गए। इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया गया। दोषी डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर परिजन व समाज के लोग अस्पताल में ही धरना देकर बैठ गए। पुलिस और आरएसी जाप्ता अस्पताल पहुंचा व समझाइश के प्रयास किए, लेकिन परिजन दोषी डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अड़ गए।

अधिक डोज से मृत्यु का आरोप

परिजन व समाज के लोगों का आरोप है कि डॉक्टर्स ने बालक की आंख ठीक होने का पूरा भरोसा दिलाया था। परिजन को उसके ऑपरेशन करने की जानकारी भी नहीं दी गई थी। डॉक्टर ने लापरवाही बरतते हुए ऑपरेशन के लिए आवश्यक एनेस्थिसिया की अधिक डोज दे दी। इससे बालक को होश नहीं आया और फिर उसकी मृत्यु हो गई। परिजन का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने जबरन शव ले जाने के लिए दबाव डाला। पुलिस व आरएसी बुलाकर अंदर जाने से रोक दिया गया।

नहीं हुई लापरवाही...

'हॉस्पिटल में बच्चे की आंख की पलक और आंसू की नली की चोट का ऑपरेशन किया जा रहा था। ऑपेरशन अंतिम चरण में था। उसी दौरान बच्चे की हृदय गति अस्वाभाविक रूप से रुक गई। तुरंत ही सीनियर डाॅक्टर्स व टीम ने सीपीआर व जरूरी चिकित्सकीय इलाज़ किया, लेकिन सभी प्रयासों के बावजूद भी बच्चे को बचाया नही जा सका। इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई।'

-डॉ.गुलाम अली कामदार, कामदार आई हॉस्पिटल