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कई खेतों में भरा पानी, फसलें चौपट, फिर बीमा कंपनी नहीं मान रही नुकसान

- किसान बोले वर्तमान हालात को फसल बीमा में शामिल करें

- किसानों की चिंता बढ़ी

झालावाड़.जिले में लगातार कई दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश से फसलों को खासा नुकसान हुआ है। इनदिनों किसानों के खेतों में पानी भर होने से सोयाबीन सहित अन्य फसलों के खराब हो गई। वहीं जिले की कई तहसीलों में बुवाई के समय भी लगातार बारिश होने से किसान बुवाई ही नहीं कर पाए थे। वहीं जिन किसानों ने बुवाई कर दी, उनकी सोयाबीन सहित अन्य फसल अच्छी है, लेकिन लगातार जिले में हो रही बारिश से फसल खेतों में गलना शुरू हो गई है। सोयाबीन पूरी तरह से पीली पड़ कर सूखना शुरू हो गई है। किसान मुकेश मेहर ने बताया है कि किसानें से राम और राज दोनों रूठे हुए हैं खरीब 2024 का प्राकृतिक आपदा राहत राशि का भुगतान अभी तक नहीं हुआ। जिले में लगातार प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों की फसले नष्ट हो रही है और तैयार फसलों के उचित दाम नहीं मिलने से किसान बड़े चिंतित है। किसानों को खेती करना बड़ा ही मुश्किल साबित हो रहा है।

बीमा कंपनियों के जटिल नियम-

किसानों ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत राजस्थान में बीमा कंपनी के द्वारा कई परिवर्तन किए गए। जिसमें खड़ी फसल में जल भराव और किसी भी प्रकार का नुकसान होने पर शिकायत मान्य नहीं की जा रही है। ऐसे में किसानों में काफी आक्रोष है। किसानों की मांग है कि जिले में हो रही लगातार बारिश का अभी सर्वे करवाकर किसानों को आपदा राहत से प्रदान की जाएं।

जिले में ढ़ाई लाख हैक्टेयर में हुई बुवाई-

जिले में इस बार सोयाबीन की फसल की बुवाई करीब ढ़ाई हैक्टेयर में हुई है। ऐसे में खानपुर, मनोहरथाना, असनावर, भवानीमंडी सहित कई क्षेत्रों में किसानों के खेतों में पानी भर जाने से फसलें खराब हो गई है। वहीं जहां अभी पानी भरा हुआ है वो भी एक दो दिन में खराब हो जाएगी।

जिले में यहां ज्यादा खराबा-

जिले में असनावर तहसील में रामड़ी, खानपुर में बाघेर, लायफल, मंूडला, खेड़ा, लडानिया, दौलतपुरा,भवानीमंडी क्षेत्र में पिपलिया, छत्रपुरा, खोद, घटोद, गरनावद, गणेशपुरा, झालरापाटन में नाहरड़ी, मांडा श्यामपुरा, जगन्नापुरी, झालावाड़ में कोलाना, गागरोन, गुवाडी कला, मनोहरथाना कोहड़ी झर, खजुरी, खेरखेड़ा, दलहनपुर, गोपालपुरा, मानपुरा, सेमलीकला, बिलोनिया आदि गांवों में 25 से लेकर 50 फीसदी तक खराबा हुआ है।

फसल खराबा हैक्टेयर में

धान 520

ज्वार 35

मक्का 8370

तील 88

सोयाबीन 18235

मंूग 350

उड़द 1524

अन्य फसल 350

किसानों की पीड़ा-

01.जिले में इस बार एक सप्ताह तक लगातार बारिश होने से फसले गल गई है, जो फुल आए तो वो भी गिर गए है, ऐसे में खराब फसलों को फसल बीमा में शामिल कर किसानों को राहत देना चाहिए।

बाबूलाल परिहार, किसान।

02.जिले में पहले बुवाई के समय लगातार बारिश होने से कई किसान बुवाई ही नहीं कर पाए हैं। वहीं जिन्होंने बुवाई कर दी उनकी फसल अच्छी है, लेकिन खेतों में पानी भरा होने से खराब हो गई। इसको सरकार को दिखवाना चाहिए।

मुकेश मेहर, किसान।

03. बीमा कंपनियों ने अब ऐसे जटिल नियम बना दिए है, इससे किसानों को नुकसान होने के बाद भी फायदा नहीं मिल पाता है। अब क्रॉप कटिंग के आधार पर बीमा क्लेम नहीं देकर वर्तमान स्थिति का सर्वे करवाकर बीमा देना चाहिए।

पूरसिंह, किसान ढ़ाबला भोज।

04.जिले में एक माह में 700 एमएम बारिश हो चुकी है, जो पिछले मानसून सत्र से दो गुणा ज्यादा है। सोयाबीन के साथ ही धान फसल में भी नुकसान है। सरकार को अभी से किसानों की फसलों का सर्वे करवाकर बीमा क्लेम में शामिल करना चाहिए। शंकरलाल सुमन, किसान।

सर्वे करवा रहे-

जिले में लगातार बारिश हो रही है, लेकिन शुक्रवार से राहत है। खानपुर सहित कुछ जगह ज्यादा बारिश हुई है। सर्वे करवा रहे हैं। अगर कहीं 500 हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई ही नहीं हुई है तो उसकी सूचना पर उसका सर्वे करवाते हैं। उसमें 25 फीसदी राहत दी जाएगी।

केसी मीणा, उप निदेशक, कृषि विस्तार, झालावाड