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झालावाड़ स्कूल हादसा: पुराने टायर डालकर किया बच्ची का अंतिम संस्कार

लापरवाही : मुक्तिधाम में नहीं सूखी लकड़ी रखने का इंतजाम, ग्रामीणों को होती है परेशानी, गीली लकडि़यों से आई परेशानी, ज्वलनशील पदार्थ और टायर जलाकर अंतिम संस्कार

jhalawar school collapse
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झालावाड़। झालावाड़ जिले के मनोहर थाना उपखंड के पिपलोदी गांव में हुए स्कूल हादसे के शिकार 7 बच्चों में से 6 की अंत्येष्टि पिपलोदी गांव में की गई, जबकि एक बच्ची के शव को पास के गांव चांदपुरा भीलान ले जाया गया। जैसे ही शव गांव पहुंचे कोहराम मच गया। शवोें के पहुंचने से पहले ही अर्थियां बनाना शुरू कर दिया गया था। भारी पुलिस बल के साथ दुर्घटना स्थल के समीप बने शमशान तक लाया गया।

वहीं गांव चांदपुरा भीलान में प्रियंका के अंतिम संस्कार में गीली लकडि़याें से काफी परेशानी हुई। ऐसे में लकडि़यों को जलाने के लिए ग्रामीणों की ओर से ज्वलनशील पदार्थ और पुराने टायर का उपयोग कर अंतिम संस्कार किया गया।

मुक्तिधाम में नहीं इंतजाम

दरअसल, गांव में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी को सूखी रखने के लिए अलग से भंडार घर नहीं है। ऐसे में मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के समय लकड़ी खुले में पड़ी होती है। इसके अलावा लोग घरों और आसपास से लकड़ी लेकर पहुंचते हैं। लेकिन बरसात के चलते मुक्तिधाम और कवेलूपोश मकान में रहने वाले ग्रामीणों के पास लकड़ी को सूखी रखने के लिए स्थान नहीं है। ऐसे में बरसात के सीजन में सभी लकडि़यां गीली हो गई।

नहीं पकड़ी आग तो फिर…

जब काफी प्रयास के बावजूद चिताओं ने आग नहीं पकड़ी, तो आग को लगातार जलाए रखने के लिए घास, सूखे कंडों, राल और घी के साथ ज्वलनशील पदार्थ और टायरों का उपयोग करना पड़ा।