CG News: छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर जिले में हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बाबा मलंग शाह का दो दिवसीय सालाना उर्स आज रविवार 25 मई से शुरू होगा। आयोजन समिति के सदर महबूब अंसारी और सेकरेट्री सरफराज आलम ने बताया कि उर्स का शुभारम्भ रविवार 25 मई को मजार में कुरआन खानी के साथ होगा। इसी दिन नमाजे जोहर संदल व ग़ुस्ल के बाद शाम 4 बजे चादरपोशी की जाएगी। सोमवार 26 मई को कुरान ख्वानी और फातेहा ख्वानी का कार्यक्रम सम्पन्न होगा।
जशपुर स्थित बाबा मलंग शाह रह. की मजार पर हर साल की तरह उर्स के अवसर पर दोनो रातों को कव्वाली मुकाबला का आयोजन किया गया है। पहली रात 25 मई को मुंबई महाराष्ट्र की कव्वला मीना नाज और नईम शाबरी के बीच सुरीला मुकाबला देखने को मिलेगा। वहीं 26 मई को मीना नाज और देश के इस समय के प्रख्यात कव्वाल रईस अनीश साबरी से कव्वाली का मुकाबला करती हुई नजर आएगी।
मोहम्मद इस्माइल ने बताया कि रिसायत के अंतिम राजा विजय भूषण सिंह देव के द्वारा कही कहानी उन्हें याद है। मो इस्माईल ने बताया कि जिस समय जशपुर रियासत के राजा विशुन देव सिंह के समय अपने दो हाथियों और चार शागिर्दों के साथ बाबा जशपुर आए थे। घोड़ों का व्यापार करते थे लेकिन जशपुर सहित आसपास के लोग उनके पास समस्या लेकर आते थे। उन्होंने बताया कि एक बार राजा विशुन देव उनकी ख्याति सुनकर स्वयं अपनी समस्या लेकर यहां पैदल आए और उनकी चार समस्याओं का समाधान हो जाने पर उन्होंने हर संसाधन यहां जुटाए।
उन्होंने बताया कि जशपुर में बाबा मलंगशाह करीब 20 साल तक रहे और जशपुर क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाकर सामाजिक सौहार्द्र की मिसाल छोड़ गए। जिसके लिए वे आज भी याद किए जाते हैं। बाबा मलंग शाह ने जिस भूमि का चयन किया था, वहां उन्होंने करबला का निर्माण कराया। लंबे समय तक रहने के बाद, बाबा के परदा फरमाने याने निधन के बाद उसी भूमि पर उनकी मजार बनाई गई, जो बाबा मलंगशाह के मजार शरीफ के नाम से दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
Updated on:
25 May 2025 05:51 pm
Published on:
25 May 2025 05:49 pm