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कब सुधरेंगे हालात: पीएचसी में लाखों के वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम बिना उपयोग हुए कबाड़

जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में करीब चार-पांच साल पहले वॉटर प्यूरीफायर सिस्टमकी सप्लाई हुई है मगर एडंवास तकनीक वाले ये वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम अधिकांश जगहों पर आज कहीं अस्पताल के सामने परिसर में तो कहीं अस्पताल के शौचालयों घरों के सामने कबाड़ की तरह पड़ी हुई है।

कब सुधरेंगे हालात: पीएचसी में लाखों के वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम बिना उपयोग हुए कबाड़
कब सुधरेंगे हालात: पीएचसी में लाखों के वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम बिना उपयोग हुए कबाड़

अस्पतालों में ये जिन हालातों में पड़े हुए हैं, उसे देखकर समझा जा सकता है कि जिम्मेदारों ने भी इसे सडऩे के लिए छोड़ दिया है। इधर स्थिति यह है कि अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीज से लेकर परिजनों को कहीं बोर का पानी पीना पड़ रहा है या कहीं गरम पानी पीकर प्यास बुझानी पड़ रही है। नहीं तो बोतलबंद पानी खरीदकर पीने मजबूर हैं। गर्मी की शुरूआत के साथ ही पानी हर कोई की जरूरत बन गई है। शासकीय अस्पतालों में मरीज और परिजनों के लिए पानी की व्यवस्था की हकीकत जानने पत्रिका की टीम ने जिले के कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर स्थिति देखी। अधिकांश जगहों पर वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम केवल कबाड़ की तरह ही पड़ी हुई मिली। ऑनलाइन में इस तरह की मशीन करीब 70 हजार रुपए में मिल रही है।
किसने खरीदा-किसने भेजा... कोई जवाब ही नहीं
विडंबना यह है कि स्वास्थ्य केंद्रों में जो वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम मौजूद हैं, उसे किसने खरीदा है, किसने भेजा है, कितनी राशि की है, इस बारे में संस्था के प्रभारियों के पास कोई जवाब-जानकारी नहीं है। अधिकांश द्वारा प्रभारियों का कहना है कि उनके कार्यकाल के पहले का है, जानकारी ही नहीं है। हालांकि कुछ कर्मचारियों का कहना रहा कि शायद शासन स्तर से ही सप्लाई हुई है।
दो हेल्पलाइन नंबर, दोनों ही बंद...
वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम मशीन में 250 एलपीएच और आरओ+यूवी+टीडीएस एडजेस्ट टेक्नोलॉजी लिखा हुआ है दो हेल्पलाइन नंबर भी लिखे हुए हैं। पत्रिका रिपोर्टर ने दोनों नंबर पर कॉल किया लेकिन दोनों ही नंबर स्वीच ऑफ मिला।

जानिए.. जिम्मेदारों का क्या रहा कहना


शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जांजगीर


शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम शौचालय के करीब रखकर छोड़ दिया गया है। बाहर परिसर में एक वाटर फ्रिजर लगा हुआ है, जिसमें गरम पानी निकल रहा था। मरीज व परिजन इसी का पानी पीते हैं। प्रभारी डॉ. रूचि वर्मा से जानकारी लेने पर उनका कहना है कि वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम के बारे में जानकारी नहीं है। शायद उनके कार्यकाल से पहले आया होगा। कार्यालय के अन्य स्टाफ शायद बता सके। गरम पानी आ रहा था उसे दुरूस्त करा लेंगे।


बीडीएम अस्पताल चांपा


बीडीएम अस्पताल चांपा में मुख्य गेट के सामने ही वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम धूल खाते पड़ा हुआ मिला। यहां भी कोई उपयोग नहीं हो रहा। प्रभारी डॉ. अनिता श्रीवास्तव का कहना है कि पेयजल के लिए यहां बोर व नल की पूरी सुविधा है। मरीज व परिजनों को पानी की कोई समस्या है। वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम चालू है या बंद देखना पड़ेगा। गर्मी में ठंडे पानी की व्यवस्था हर साल की जाती है।


प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरखों


प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरखों में भी वॉटर प्यूरीफायर सिस्टम एक कोने में धूल खाते पड़ा हुआ है। अस्पताल परिसर के अंदर उसे रखने की जगह नहीं है। प्रभारी के मुताबिक, एक बार कंपनी के कुछ लोग आए थे और टेस्टिंग करके दिखाया था पर दोबारा फिर नहीं आए। नहीं तो हम तो बाहर शेड लगवाकर उसे लगवाना चाह रहे थे। अब कोई आ ही नहीं , इसलिए उपयोग नहीं हो रहा।