स्कूल परिसर में ही लगे होने के कारण छोटे बच्चे खेलते-कूदते उन खंडहर भवनों के अंदर चले जा रहे हैं। जिससे किसी दिन गंभीर हादसा भी हो सकता है। संबंधित स्कूलों के द्वारा अनुपयोगी पड़े इन भवनों को ढहाने भेजे गए प्रपोजल के बाद जिले में शिक्षा विभाग के रिकार्ड में डिस्मेंटल करने लायक ऐसे स्कूल भवनों की संख्या 60 से ऊपर है। मगर डिस्मेंटल की प्रक्रिया को जटिल बताते हुए विभाग भी चुप बैठा रहता है। गौरतलब है कि अत्यंत जर्जर और अनुपयोगी हो चुके भवनां को डिस्मेंटल करने चिन्हांकित तो किया जा रहा है। उनके स्थान पर अधिकांश स्कूलों में नए भवन भी बना दिए गए हैं। मगर लेकिन पुराने भवन को ढहाने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। हालांकि ऐसे भवनों को अुनपयोगी बताते हुए शिक्षकों के द्वारा बच्चों को बिठाया तो नहीं जा रहा है लेकिन स्कूल परिसर में ही खड़े होने से छोटे बच्चे खेलते-कूदते या प्रशाधन के लिए अंदर तक चले जा रहे हैं।
नए भवन बना रहे तो पुराने को ढहाने में देरी क्यों
जिम्मेदार विभाग स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। समय-समय पर जिला शिक्षा विभाग की ओर से जर्जर और अत्यंत जर्जर हो चुके भवनों की जानकारी मंगाई जाती है और रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसके लिए उन स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष या नए भवन की मंजूरी दी जाती है। अफसरों ने नए भवन बनाने को लेकर सक्रियता दिखाई जा रही है लेकिन पुराने भवन, जो जर्जर हालत में है, उसे उसी हालत में छोड़ दिया जा रहा है। कई वर्षों से यह इसी हालत में हैं और अब यह खंडहर हो चुकी है।
आज भी खड़े हैं ऐसे जर्जर भवन
पामगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत भंवतरा में मिडिल और प्राइमरी स्कूल एक ही परिसर में स्थित है। यहां प्रायमरी की पुरानी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है और अनुपयोगी पड़ी है। प्रायमरी के लिए नया भवन बन गया लेकिन पुराने भवन को डिस्मेंटल करना है वह खंडहर की तरह आज भी स्कूल परिसर में ही खड़ी है। इससे स्कूल में बच्चों को खेलने के लिए छोटा सा मैदान ही बचा है। इसी तरह शासकीय प्रायमरी स्कूल पेण्ड्री में भी जर्जर भवन आज भी वैसे ही खड़ा हुआ है। नया अतिरिक्त कक्ष बनकर तैयार है और कक्षाएं इसी में लग रही है। ऐसे में जर्जर भवन अनुपयोगी ही पड़ा है पर ढहाने ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसी तरह जिला जांजगीर में सदर स्कूल, पामगढ़ ब्लॉक में लोहर्सी समेत सभी ब्लॉकों में अनुपयोगी भवन आज भी खड़े हैं।
डिस्मेंटल की प्रक्रिया काफी लंबी रहती है। आरईएस, जनपद समेत कई विभागों से निरीक्षण के बाद प्रक्रिया पूर्ण होती है। इस संबंध में सभी बीईओ से जानकारी मांगी जाएगी। जिला प्रशासन के मार्गदर्शन लेकर आगे की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी।
अश्वनी कुमार, डीईओ
Published on:
22 Mar 2024 09:57 pm