शक्तिपीठों के लिए प्रसिद्ध जैसलमेर जिले में भगवान शिव के भी प्राचीन मंदिर हैं। इनमें जिला मुख्यालय से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर पूर्णतया प्रकृति की गोद में अवस्थित मुहार महादेव मंदिर की अपनी महिमा है। पूर्णतया हिंदू शैली में निर्मित मुहार महादेव मंदिर का निर्माण जैसलमेर के भारी-भरकम पीत पाषाणों से हुआ है। ग्राम पंचायत सिपला के राजस्व गांव कुंभारकोठा क्षेत्र में आया यह मंदिर सदियों पुराना है । यह मंदिर नभडूंगर देवी मंदिर से दक्षिण में 3 कि.मी. की दूरी पर है तथा श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को यहां बड़ी तादाद में आसपास के गांवों कुंभारकोठा, सिपला, डेढ़ा, कुलधरा, जामड़ा, खाभिया, खाभा आदि के अलावा जैसलमेर नगर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने व दर्शनार्थ पहुंचते हैं ।
मंदिर के पीछे के शिलालेखों के अनुसार यह मंदिर 800 वर्ष से भी अधिक प्राचीन माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग प्रतिष्ठापित है और प्रतिमाएं भी बनी हैं। बताते हैं कि खड़ीन भूमि पर मंदिर का निर्माण सदियों पहले इस इलाके में बेहद समृद्ध पालीवाल ब्राह्मणों ने करवाया। यहां आने वाले भक्तजन शिवलिंग का जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।
जैसलमेर मुख्यालय से सम मार्ग से खाभा होते हुए पहले नभडूंगर पहुंचा जाता है। वहां से मुहार मंदिर का रास्ता है। मंदिर तक जाने वाला मार्ग मुरडिय़ा से बना है।
मुहार महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष सावन मास के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। भक्तजनों का उत्साह सावन के सोमवार को देखते ही बनती है। उनकी अकाट्य आस्था इस मंदिर के प्रति है।
Updated on:
03 Aug 2025 08:32 pm
Published on:
03 Aug 2025 10:31 pm