वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और राजस्थान वन विभाग ने थार मरुस्थल में शिकारी पक्षियों की पारिस्थितिकी समझने के लिए रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया है। ' रेप्टर इकोलॉजी इन द थार डेजर्ट ' नामक इस अध्ययन के तहत पहली बार जैसलमेर में गिद्धों और अन्य रैप्टर प्रजातियों पर जीपीएस ट्रांसमीटर आधारित टेलीमेट्री की जा रही है। हाल ही में एक इजिप्शियन वल्चर और एक टॉनी ईगल पर ट्रांसमीटर लगाए गए हैं, जिससे उनकी गतिविधियों की सटीक जानकारी मिल सकेगी। वैज्ञानिकों के अनुसार यह अध्ययन प्रवास मार्ग, निवास स्थान, प्रजनन व्यवहार और खतरों की पहचान करने में मदद करेगा। जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क देश में शिकारी पक्षियों का महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां भारत में पाई जाने वाली नौ गिद्ध प्रजातियों में से आठ मौजूद हैं।.प्रोजेक्ट में छह प्रमुख प्रजातियां — रेड हैडेड वल्चर, व्हाइट रम्प्ड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, इंडियन वल्चर, टॉनी ईगल और लग्गर फाल्कन — शामिल की गई हैं। जीपीएस से पता चलेगा कि ये पक्षी किस मौसम में कहां जाते हैं, क्या खाते हैं और किन खतरों का सामना करते हैं।.टेलीमेट्री तकनीक के जरिए वैज्ञानिक न केवल उड़ान पथ और भोजन के स्रोतों का अध्ययन कर पाएंगे, बल्कि बिजली लाइनों, पवन टर्बाइनों और जहर जैसे खतरों की पहचान भी करेंगे। इससे गिद्ध संरक्षण की दिशा में ठोस रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। पांच वैज्ञानिकों की टीम इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है और अध्ययन से प्राप्त डेटा भविष्य में शिकारी पक्षियों के संरक्षण का आधार बनेगा।
Updated on:
04 Aug 2025 09:11 pm
Published on:
04 Aug 2025 09:09 pm