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असमतल रास्ता, हादसों का डर: लिंक सड़क पर झुकते वाहनों से हादसे की आशंका

सरकार की ओर से समय-समय पर करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च कर डामर सडक़ों का निर्माण करवाया जा रहा है।

सरकार की ओर से समय-समय पर करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च कर डामर सडक़ों का निर्माण करवाया जा रहा है। दूसरी तरफ खतरनाक मोड़ को कम नहीं करने और चौराहों का निर्माण नहीं करवाए जाने के कारण हर समय हादसे का भय बना रहता है। जबकि तकनीकी खामियों को दूर कर दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसा ही एक तिराहा कस्बे में जैसलमेर रोड पर मिड-वे के आगे स्थित है। यहां तकनीकी खामी के चलते सडक़ ऊंची-नीची होने के कारण हर समय हादसे का भय बना रहता है। गौरतलब है कि परमाणु नगरी पोकरण दो राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ी हुई है। कस्बे के उत्तर दिशा में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 है, जो पोकरण से बीकानेर तक है। पश्चिम दिशा में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 है, जो पोकरण से जैसलमेर तक जाता है। इसी प्रकार पूर्व दिशा में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 125 है, जो पोकरण से जोधपुर तक है। यहां दिन-रात वाहनों का आवागमन होता है। कस्बे में जैसलमेर रोड पर मिड-वे के पास स्थित हाइ-वे पर खतरनाक मोड़ के कारण यहां कभी किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।

झुक जाते हैं वाहन, पलटने का डर

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 पर पोकरण कस्बे के मिड-वे के पास तिराहा बनाया गया है। यहां सडक़ की ऊंचाई अधिक है। इसके साथ जैसलमेर से पोकरण कस्बे की तरफ गोलाई इतनी खतरनाक है कि वाहन मोडऩे के समय एक तरफ झुक जाते है। साथ ही यहां चौराहा नहीं बनाया गया है। केवल डिवाइडर ही है। ऐसे में वाहन के पलटने का डर रहता है।

चौराहा बने तो रुक सकते हैं हादसे

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से कुछ वर्ष पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 का पुनर्निर्माण, जीर्णोद्धार व विस्तार करवाया गया था। इस दौरान यहां सडक़ में झुकाव अधिक रख दिया गया। जिसके कारण वाहन घूमने के दौरान पूरा झुक जाता है। मिड-वे के पास चौराहा बनाकर सर्किल का निर्माण करवा दिया जाए तो हादसे की आशंका को खत्म किया जा सकता है। साथ ही सडक़ की ऊंचाई को कम कर गोलाई को कुछ कम करने की भी जरुरत है।


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