बरसाती सीजन में जर्जर स्कूलों के सर्वेक्षण की कार्रवाई के साथ शहरी क्षेत्र में पुराने जर्जर और क्षतिग्रस्त मकानों के भी खतरा बनने की आशंका के मद्देनजर नगरपरिषद प्रशासन हरकत में आया है। परिषद आयुक्त लजपालसिंह सोढ़ा ने अन्य अधिकारियों के साथ शहर में स्थित विभिन्न जर्जर मकानों का निरीक्षण किया और हाथोहाथ उन पर नोटिस चस्पा करवाए गए हैं। निरीक्षण दल में राजस्व अधिकारी पवन कुमार और कनिष्ठ अभियंता राजकुमार महतो आदि शामिल थे। शहर में करीब दो दर्जन मकान इस श्रेणी के पाए गए हैं, जिनके गिरने का खतरा है। इन मकानों के मालिकों को जारी नोटिस में तीन दिन की अवधि में सुरक्षित ढंग से जर्जर हिस्से को उतरवा लेने का निर्देश दिया गया है। अन्यथा यह काम नगरपरिषद अपने स्तर पर करवाएगी और इस कार्रवाई का शुल्क संबंधित मकान मालिक से वसूल करेगी। शहर में सबसे ज्यादा जर्जर मकान ऐतिहासिक सोनार दुर्ग में स्थित हैं। जानकारी के अनुसार नगरपरिषद ने वहां कुल 12 मकानों का चिन्हीकरण किया है। इनमें से 9 मकानों की हालत ज्यादा खराब बताई जाती है। साथ ही परिषद ने दशहरा चौक के सामने वाले हिस्से में सार्वजनिक शौचालय के ऊपरी भाग में बनी पुरानी पानी की टंकी को हटवाने का निर्णय लिया है।
नगरपरिषद ने चस्पा किए नोटिस में संबंधित जर्जर मकानों के मालिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनका मकान गिर कर आसपास के पड़ोसियों और आम राहगीरों के जान-माल के नुकसान का कारण बन सकता है। तीन दिन में मकान को सुरक्षित ढंग से उतरवाया जाए अन्यथा नगरपरिषद की ओर से खतरनाक व गिरने लायक मकान को नीचे गिरा दिया जाएगा और उसका खर्च उनसे वसूल किया जाएगा। नगरपरिषद ने यह भी साफ किया है कि नोटिस से किसी भी प्रकार का मालिकाना हक साबित नहीं होगा।
गौरतलब है कि स्थानीय निकाय विभाग के उच्चाधिकारियों ने गत दिनों प्रदेश भर के निकाय प्रमुख अधिकारियों की वीसी लेकर उन्हें अपने क्षेत्र में जर्जर मकानों को उतरवाने के लिए निर्देशित किया था। इन निर्देशों की पालना में जैसलमेर नगरपरिषद का अमला हरकत में आया है। आयुक्त लजपाल सिंह ने बताया कि आगामी सोमवार से ही परिषद इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर देगी और बहुत जरूरी जर्जर मकान को अपने स्तर पर उतरवाएगी।
गौरतलब है कि जैसलमेर में हर बार मूसलाधार बारिश के दौरान कहीं न कहीं पुराने मकानों की छतों या दीवारों के ध्वस्त होने की घटनाएं सामने आती रही है। इनमें ऐतिहासिक सोनार दुर्ग का स्थान सबसे ऊपर है। सोनार दुर्ग पर आज भी ऐसे खंडहरनुमा मकान हैं, जिनके बरसाती सीजन में धराशायी होने की पूरी आशंका बनी हुई है। विगत वर्षों में ऐसे अनेक हादसे हुए हैं। जब कभी मूसलाधार बरसात होती है, तब जर्जर मकानों व भवनों की समस्या को लेकर जिम्मेदार दौड़-धूप करते नजर आते हैं, लेकिन समय गुजरने के साथ वे इस समस्या को बिसरा जाते हैं। यही कारण है कि इस समस्या का स्थाई समाधान आज तक नहीं हो पाया है।
Updated on:
02 Aug 2025 08:36 pm
Published on:
02 Aug 2025 11:33 pm